आदित्यपुर: सरायकेला जिले के आदित्यपुर नगर निगम के वार्ड- 17 में निर्माणाधीन समय कंस्ट्रक्शन द्वारा निर्माणाधीन सहारा सनराईज टाउनशिप में बुकिंग कराने वाले ग्राहकों के लिए खतरे की घंटी कभी भी बज सकती है. ऐसा हम नहीं बल्कि सरकारी दस्तावेज और उक्त भूखंड के खाता संख्या 90 के प्लॉट संख्या 1385 में 30 डिसमिल और प्लॉट संख्या 1386 में 25 डिसमिल यानी कुल 55 डिसमिल जमीन को लेकर उपजे विवाद बता रहे हैं. यह विवाद सहारा सनराईज डेवलपर और मशहूर बिल्डर सह समाजसेवी आरके सिन्हा के बीच का है. हालांकि डेवलपर खुलकर सामने नहीं आ रहे मगर पर्दे के पीछे से बड़ा खेल कर ऊंची रसूख, सफेदपोश और ब्यूरोक्रेट्स के हाथों मामले को उलझा रहे हैं. इस विवाद में सरकारी नियमों की पूरी तरह से धज्जियां उड़ाई गयी है जिसमें नगर निगम और डीसी एलआर की भूमिका कटघरे में है.


हैरानी की बात तो ये है कि जिस कोर्ट (भूमि सुधार उपसमाहर्ता) ने उक्त भूखंड को लेकर पूर्व में फैसला आरके सिन्हा के पक्ष में दिया था उसी कोर्ट ने मामले को उलझा दिया. सूत्र बताते हैं कि इसके एवज में डीसी एलआर ने बड़ी डील की है. उसके बाद पीड़ित पक्ष यानी आरके सिन्हा ने ऊपरी अदालत यानी डीसी के कोर्ट में अपील की. तत्कालीन डीसी रविशंकर शुक्ला ने डीसी एलआर को शोकॉज जारी करते हुए पूरी सुनवाई का ब्यौरा तलब किया साथ ही एडीसी से जांच कर रिपोर्ट तलब किया है. इस मामले की अगली सुनवाई 20 जून 2025 को होनी है. सूत्र बताते हैं कि सनराईज प्रोजेक्ट में राज्य के एक पूर्व मंत्री के भाई ने भी पैसा लगाया है. यही कारण है कि मंत्री रहते सरकारी अधिकारियों ने न केवल सरकारी दस्तवेज़ों के साथ छेड़छाड़ किया है बल्कि डेवलपर को लाभ पहुंचाने में नियम कानूनों को ताक पर रखकर हर वो गलत काम किया है जिससे प्रोजेक्ट पर कभी भी ग्रहण लग सकता है.
आरके सिन्हा के सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार यदि डीसी के कोर्ट से उन्हें न्याय नहीं मिलता है तो वे हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं जिसमें डेवलपर, नगर निगम, अंचल कार्यालय, एसडीओ और डीसी एलआर को पार्टी बनाने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि अंचल और एसडीओ कार्यालय की भूमिका संदिग्ध नहीं है क्योंकि अंचल कार्यालय की ओर से साफ कर दिया गया है कि उक्त भूखंड आरके सिन्हा के नाम पर ही है. जबकि अनुमंडल कोर्ट ने नगर निगम द्वारा पास किए गए नक्शे की जांच कराकर रिपोर्ट मांगा है जिसे करीब एक साल बीतने के बाद भी नगर निगम द्वारा नहीं दिया गया. उल्टा समय अवधि पूरी होने के बाद बगैर रेरा से एनओसी मिले निर्माण कार्य के लिए एक वर्ष का एक्सटेंशन दे दिया गया है. इसमें नगर निगम के प्रशासक की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. खबर है कि प्रशासक ने अपने पद का दुरुपयोग कर डीसी कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए डेवलपर को लाभ पहुंचाया है. यही कारण है कि न तो अबतक नक्शा का जांच हुआ है न ही रेरा के नियमों का पालन किया गया है.
दरअसल नगर निगम के वार्ड 17 में समय कंस्ट्रक्शन का सहारा सनराईज प्रोजेक्ट चल रहा है. इसके तहत एक टाउनशिप डेवलप किया जा रहा है. जिसपर विवाद है, बावजूद नगर निगम द्वारा नियमों को ताक पर रखकर न केवल नक्शा पास कर दिया गया बल्कि विवाद की जानकारी होने के बाद भी डेवलपर को एक्टेंशन दे दिया गया. इसमें रेरा और आरओसी के नियमों की भी अनदेखी की गई है. जिसका खामियाजा इसमें बुकिंग कराने वाले ग्राहकों एवं जनता को उठाना पड़ सकता है. इस विवाद और फर्जीवाड़े की अगली कड़ी में प्रशासक, डीसी एलआर, डेवलपर और सफेदपोश के बीच हुए डील की पूरी विस्तृत रिपोर्ट जरूर पढ़ें. अगले अंक में क्रमशः….
