सरायकेला/ Pramod Singh जिले के आदित्यपुर स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ श्रीकांत प्रसाद द्वारा हॉस्टल के 90 छात्रों को बंधक बनाए जाने का मामला मंगलवार को उपायुक्त दरबार पहुंच गया. जहां कॉलेज के छात्रों ने उपायुक्त से मुलाकात कर पूरे मामले से अवगत कराया और इंसाफ की गुहार लगाई है. जिसके बाद डीसी ने एसडीओ सदानंद महतो को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है.
एक नजर में जाने क्या है पूरा मामला
मालूम हो कि बीते शनिवार को प्रिंसिपल ने हॉस्टल के छात्रों को आतंकवादी और गुंडा बताते हुए हॉस्टल के मुख्य गेट में ताला मरवाकर उन्हें बंधक बना लिया था. इसमें कई छात्र बीमार भी थे. सोमवार को छात्रों ने 100 नम्बर पर डायल कर पुलिस को बुलाया था जिसके बाद मौके पर पहुंची आदित्यपुर थाने की पुलिस ने सभी बंधक बने छात्रों को मुक्त कराया था. छात्रों ने प्रिंसीपल पर कई गंभीर आरोप भी लगाए थे.
क्या है छात्रों का आरोप
छात्रों ने बताया कि फ्रेशर पार्टी के लिए चंदा नहीं देने पर प्रिंसिपल ने उन्हें होस्टल कैम्पस में ही नजरबंद करा दिया था. उन्हें गुंडा और आतंकवादी कहकर संबोधित किया गया और करियर ताबह करने की धमकी दी गई. इससे संबंधित एक वीडियो और ऑडियो क्लिप भी छात्रों ने मीडिया को सौंपा है. जिसमें साफ देखा जा सकता है कि प्रिंसिपल की मौजूदगी में छात्रों को बंधक बनाया जा रहा है. वहीं ऑडियो में साफ सुना जा सकता है कि प्रिंसिपल उन्हें आतंकवादी कहकर संबोधित कर रहे हैं.
क्या कहना है प्रिंसिपल का
वहीं प्रिंसिपल ने इन सारे आरोपो को खारिज करते हुए झूठा और मनगढ़ंत बताया है. उन्होंने कहा कि हॉस्टल के छात्र बाहर से आकर पढ़ाई करने वाले छात्रों के साथ मारपीट करते हैं. फ्रेशर पार्टी को लेकर उनका कहना था कि बाहरी छात्रों को इसमें शामिल नहीं करना है. इसलिए मारपीट की आशंका को देखते हुए उन्हें आइसोलेट किया गया था.
ऐसे में सवाल यह है कि आखिर क्या वजह है कि एक प्रिंसिपल को अपने ही छात्रों के प्रति इतनी नाराजगी है कि उन्हें आतंकवादी कहकर संबोधित करना पड़ रहा है. उन छात्रों को जो अपने मां- बाप से दूर रहकर यहां अपना भविष्य गढ़ने की जद्दोजहद में लगे हैं. फिलहाल एसडीओ की रिपोर्ट का सभी को इंतजार है.
बच्चों की चिंता
छात्रों ने बताया कि मीडिया में भेद खुलने के बाद प्रिंसीपल ने जांच कमेटी बैठाया है और छात्रों को चिन्हित कर कार्रवाई करने की तैयारी शुरू कर दी है. ज्यादा चिंता फाइनल ईयर के छात्रों की है, जिन्हें अगले साल कैम्पस में बैठना है.