आदित्यपुर: सरायकेला जिले के आदित्यपुर नगर निगम की नारकीय स्थित का जिक्र करना अब शायद बेमानी होगी, क्योंकि सारे दावे सारे दिशा- निर्देश कागजों और अखबारों की सुर्खियां बनने के बाद किसी कोने में तड़प कर दम तोड़ चुके हैं.
शायद ही कोई ऐसा वार्ड होगा जो जर्जर सड़क और ध्वस्त ड्रेनेज सिस्टम दर्द से अछूता होगा. बहाना बस यही कि काम जारी है. वैसे अब इम्तेहान का वक्त आ गया है.
जनता भी इस बार पूरी तरह से तैयार बैठी है. जनता एक एक दर्द का हिसाब अपने पार्षदों एवं मेयर डिप्टी मेयर से लेगी. दावेदार कई ताल ठोक रहे हैं, उनका भी आंकलन शुरू हो चुका है.
ये नजारा जो आप देख रहे हैं ये आदित्यपुर नगर निगम के वार्ड 34 का है. पिछले दो टर्म से वर्तमान पार्षद का परिवार यहां का प्रतिनिधित्व कर रहा है. पहले उनके पति पार्षद थे अब पत्नी पार्षद हैं. रिपोर्ट कार्ड सामने हैं. बाबा आश्रम की मुख्य से लेकर ब्रांच रोड तक खस्ताहाल है. रोड नम्बर एस/ 2 की स्थिति सबसे भयावह है. न सड़क बचा, न नाला. लोग अपनी किस्मत का रोना रो रहे हैं, आखिर जाएं तो कहां जाएं.
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अब इस सड़क को देखिये, ये बाबा आश्रम का एक और प्रवेश मार्ग है. सैकड़ों लोगों का हर दिन यहां से आना- जाना होता है. सड़क की स्थिति बदहाल है. लोग हर संभावित दर पर फरियाद लगाकर थक चुके, अंत में खुद से श्रमदान कर किसी तरह सड़क को चलने योग्य बनाने के जतन करते नजर आए.
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बता दें कि पाइपलाइन का काम करनेवाली एजेंसी पूरे मोहल्ले को नर्क बनाकर जा चुकी है. शिकायत लेकर पार्षद के पास जाने से कोई सुनवाई नहीं. एजेंसी के पास जाने पर कोई सुनवाई नहीं. नगर निगम के माननीयों को अब यहां की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं, क्योंकि उन्हें पता है वोट कैसे मिलना है.
सुनें जनता की पीड़ा
चलिए अब गिनती के दिन बच गए हैं. त्यौहारी मौसम समाप्त होते ही निकाय चुनावों की रणभेरी बज जाएगी, देखना यह दिलचस्प होगा कि इस बार माननीय जनता के बीच किस रूप में जाते हैं, और जनता उनके साथ कैसा इंसाफ करती है.
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