आदित्यपुर: झारखंड में निगम चुनाव की रणभेरी कभी भी बज सकती है. इसकी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. संभवत: दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में चुनाव हो सकता है.
वैसे राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा निकाय चुनाव को लेकर जारी रोस्टर से आदित्यपुर नगर निगम का चुनाव रोचक होना तय माना जा रहा है. मेयर की उम्मीद लगाए बैठे वर्तमान मेयर विनोद कुमार श्रीवास्तव, पुरेन्द्र नारायण सिंह, चन्दन सिंह, अंबुज कुमार सरीखे नेता अब डिप्टी मेयर की रेस में शामिल हो गए हैं. सभी किसी न किसी वार्ड में अपना गणित बिठाने में जुट गए हैं. इस बार का सबसे जबरदस्त मुकाबला वार्ड 29 में देखने को मिल सकता है. जहां से वर्तमान मेयर विनोद कुमार श्रीवास्तव वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ेंगे. यहां उन्हें तीन बार की पार्षद रहे दिवंगत राजमणि देवी के बड़े पुत्र मनमोहन सिंह टक्कर देंगे. राजनीति में मनमोहन सिंह का तजुर्बा भले कम है, मगर राजनीति उन्हें विरासत में मिली है. देखना यह दिलचस्प होगा कि मनमोहन राजनीति के चाणक्य विनोद कुमार श्रीवास्तव के समक्ष कैसी चुनौती पेश करते हैं. हालांकि चुनाव में अनुभव और युवा जोश का मुकाबला देखने को जनता आतुर है.
जानें मनमोहन का परिचय
जमशेदपुर के केएमपीएम स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद केएमपीएम इंटर कॉलेज से इंटर की डिग्री हासिल करने के बाद टाटा स्टील अप्रेंटिस में सलेक्शन हुआ मगर तब सलेक्शन कमिटी पर धांधली का आरोप लगने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई. इसी बीच जमशेदपुर को- ऑपरेटिव कॉलेज से बीकॉम ऑनर्स की डिग्री हासिल करने के बाद माखनलाल चतुर्वेदी कॉलेज भोपाल से मनमोहन ने मास कम्युनिकेशन की डिग्री हासिल की. उसके बाद दिल्ली से मीडिया फील्ड में सक्रिय हो गए. इस दौरान उन्होंने इंडिया टीवी, एमएच- 1, जैन टीवी, जी न्यूज, लाईव इंडिया, जनमत न्यूज़, महाराष्ट्र माजा, गरजा माजा सरीखे नामी- गिरामी न्यूज़ चैनलों में रिपोर्टर से लेकर वीपी तक की भूमिका निभाई. इस दौरान मनमोहन सिंह ने इंडिया न्यूज चैनल जयपुर में सीनियर वाइस प्रेसीडेंट और निम्स ग्रुप के सीईओ पद पर काम किया. मगर इसी बीच उनकी मां पार्षद राजमणि देवी कैंसर से ग्रसित हो गई. उन्होंने मां के ईलाज के लिए निम्स ग्रुप को अलविदा कह दिया और मां का इलाज कराने में सारी ताकत झोंक दी, मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था. करीब 6 महीने तक इलाज कराने के बाद भी राजमणि देवी को बचाया नहीं जा सका. दिल्ली के एम्स के डॉक्टरों ने जब जवाब दे दिया तब राजमणि देवी ने अपने वार्ड की जनता के बीच अंतिम सांस लेने की इच्छा जाहिर की. इसी दौरान दिल्ली से आदित्यपुर आने के दौरान उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. जिसके बाद मनमोहन ने अपने मां के अधूरे कार्यों को पूरा करने का बीड़ा उठाया और वापस दिल्ली लौट कर नहीं गए. यहीं रह कर पत्रकारिता करते हुए राजनीति में भी सक्रिय हो गए.
सरायकेला के पत्रकारों को किया एकजुट बने अध्यक्ष
मनोहन सिंह भले 21 साल की पत्रकारिता के दौरान पत्रकारिता के शिखर पर पहुंचे. मगर अपने घर के पत्रकारों ने उन्हें स्वीकार नहीं किया. मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने जिले के पत्रकारों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया. यहां बताते चलें कि मनमोहन जयपुर प्रेस क्लब और दिल्ली प्रेस क्लब के भी सदस्य रह चुके थे. उनके पास पत्रकारों को एकजुट करने का लंबा अनुभव था. यहां भी उन्होंने द प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला- खरसावां का गठन किया, और जिलेभर के अलग-अलग चैनलों अखबारों और वेबसाइट के पत्रकारों को एकजुट किया. लगभग दो साल तक क्लब का कुशल नेतृत्व किया जिसके कायल क्लब के एक- एक सदस्य हो गए. अध्यक्ष रहते मनमोहन सिंह ने द प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला- खरसावां का झारखंड सरकार से निबंधन कराया. पत्रकारों के शोषण की सूचना मिलते ही कई बार आंदोलन खड़ा किया और जीत दिलाई. बतौर मनमोहन, उन्हें एक बात का मलाल रह गया, कि जिले के कुछ पत्रकारों ने उन्हें तवज्जो नहीं दी, और समानांतर संगठन खड़ा कर जिले के पत्रकारों की एकजुटता को तोड़ने का काम किया, मगर उन्हें गर्व है, कि उन्होंने ऐसे संगठन का नेतृत्व किया जिसका एक- एक सदस्य अपने आप में मनमोहन बन गया है. उन्होंने कहा नई पारी खेलने के लिए मैं तैयार हूं मां के बाद वार्ड 29 की जनता ने उनमें उनकी मां की छवि देखी है. उन्हें भरोसा है कि वार्ड की जनता उन्हें मां के अधूरे सपनों को पूरा करने का अवसर जरूर देगी.
मेयर की राजनीति आगे मनमोहन की योग्यता फीकी
भले मनमोहन सिंह के पास पत्रकारिता का लंबा अनुभव रहा हो, मगर राजनीति के दृष्टिकोण से मेयर विनोद कुमार श्रीवास्तव की कोई सानी नहीं. जब से झारखंड में निकाय चुनाव हो रहे हैं, तब से आदित्यपुर नगर निगम का एक प्रमुख पद उनके परिवार के पास रहा है. चाहे अध्यक्ष का पद हो, उपाध्यक्ष का पद हो या मेयर का पद. वार्ड 28 तो उनकी निजी खेती है. वहां से उनके घर का चौकीदार भी यदि चुनावी मैदान में उतर जाए तो सामने वाले की जमानत जप्त होना तय है. हालांकि मेयर के लिए ये सारे पद उनकी कद के आगे बौने हैं. एक समय था जब कोल्हान की राजनीति विनोद कुमार श्रीवास्तव के इशारों पर घूमती थी. जिस वक्त भारतीय जनता पार्टी एक- एक सीट के लिए संघर्षरत थी, उस वक्त उन्होंने कोल्हान से छ: विधायक और दो सांसद पार्टी को दिया था. उनकी गिनती भाजपा के थिंक टैंक के रूप में होती थी, मगर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण उन्हें पार्टी से निष्कासन भी झेलना पड़ा. बाद में उनकी फिर घर वापसी हुई. उसके बाद वे नगर निगम की राजनीति में सक्रिय हो गए. इसलिए माना जा रहा है, कि आदित्यपुर नगर निगम के वार्ड 29 का चुनाव अनुभव और युवा जोश के बीच लड़ा जाएगा जिसे देखने को जनता आतुर है. हालांकि मेयर ने अभी भी वार्ड 29 से चुनाव लड़ने की घोषणा नहीं की है.