आदित्यपुर: जनप्रतिनिधियों के बगैर नगर निगम क्षेत्र के लागभग सभी वार्डों में साफ- सफाई और कचरा प्रबंधन भगवान भरोसे चल रहा है. ऊपर से अब कचरा उठाने वाली एजेंसी को ₹ 20 से ₹ 80 तक अलग से शुल्क वसूली का आदेश नगर निगम ने दे दिया है. जबकि सुविधा के नाम पर खानापूर्ति हो रही है. हालांकि पूर्व पार्षदों ने इसको लेकर आवाज भी बुलंद किया है. मगर प्रशासक ने साफ कर दिया है कि सरकार द्वारा निर्धारित दर के आधार पर यूजर चार्ज हर हाल में देना होगा.
इधर वार्ड 17 के 7 एलएफ हाउसिंग कॉलोनी होते हुए काली मंदिर की ओर जाने वाला सड़क तालाब में तब्दील हो गया है. यहां पर हाउसिंग के जमीन पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य हो रहा है जो आगे चलकर जनता के हित के लिए है. मगर इस सड़क पर तकरीबन 1 वर्ष से नालियों का पानी बहने से जल मग्न हो चुका है. इस रास्ते से गुजरने वाले राहगीर रास्ता का सहारा ना लेकर नालियों के स्लैब पर होकर गुजरते हैं, आम जनता का कहना है, कि जब से आदित्यपुर नगर निगम का कार्यकाल समाप्त किया गया है तब से तकरीबन सभी वार्डो का ऐसे ही दुर्गति बनी हुई है.
अब सवाल यहां ये उठता है कि जनता सिर्फ होल्डिंग टैक्स देने के लिए बनी है या इसके बदले में उन्हें सुविधा भी मिलनी चाहिए. एक महीने बाद बारिश का मौसम शुरू होने वाला है. पानी के लिए तरसने के बाद अब एकबार फिर से जनता को जलजमाव से दो- चार होना है.
*क्या कहती है पूर्व पार्षद*
वार्ड की समस्या और सड़क पर हो रहे जलजमाव के सवाल पर पूर्व पार्षद नीतू शर्मा ने बताया कि जब से उनके अधिकार समाप्त हुए हैं तब से नगर निगम के माध्यम से वार्ड की प्रशासनिक गतिविधियां संचालित हो रही है. ना तो नियमित रूप से साफ- सफाई हो रहा है, ना ही डोर टू डोर कचरा उठाव का काम चल रहा है. सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम के लिए खोदे गए गड्ढे अभी भी रिस्टोर नहीं हो सके है. पाइपलाइन के जरिए जलापूर्ति का काम भी ठप पड़ा हुआ है. कुल मिलाकर कहे तो वार्ड की जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. निगम में सुनने वाला कोई नहीं है.