आदित्यपुर: नगर निगम की जनता पिछले करीब आठ महीने से जनप्रतिनिधि विहीन है. राज्य सरकार निकाय चुनाव कराने में पूरी तरह से विफल रही है. यहां तक कि सरकर ने हाईकोर्ट के निर्देश को भी अनसुना कर दिया. जिससे निकाय क्षेत्र में जनसमस्याओं को लेकर न अधिकारी गंभीर हैं, न कर्मी. निवर्तमान जनप्रतिनिधियों की निगम के अधिकारी और कर्मी सुनते नहीं. नतीजतन जनता भारी- भरकम टैक्स चुकाने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रही है. यहां तक कि इन्हें स्थानीय विधायक और सांसद निधि से भी कोई सहयोग नहीं मिल रहा है जिससे निगम क्षेत्र की जनता आक्रोषित है और इसका असर आगामी लोकसभा और विधानसा चुनाव में देखने को मिल सकता है.
दो- दो एक्सटेंशन के बाद भी अधर में जलापूर्ति योजना
आपको बता दें कि पिछले डबल इंजन वाली रघुवर सरकार ने आदित्यपुर नगर निगम के लिए लगभग 400 करोड़ के वृहद जलापूर्ति योजना की बुनियाद रखी थी. 6 साल बीतने के बाद भी जलापूर्ति योजना अधर में लटका हुआ है. 90 प्रतिशत वार्डों में पाईपलाइन के जरिए कनेक्शन पहुंचा दिया गया है. इसके एवज में नगर निगम ने जमकर टैक्स वसूली की, मगर उन पाइप में पानी कहां से पहुंचेगा इसका दूर- दूर तक कहीं कोई नामोनिशान नजर नहीं आ रहा है. न वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तैयार हुआ है, न जलमीनार तैयार हुआ है. ऐसे में आने वाले गर्मियों में एकबार फिर से निगम क्षेत्र की जनता को त्राहिमाम करते देखा जा सकता है.
स्थानीय विधायक और सांसद ने नहीं दिखाई गंभीरता
नगर निगम का वर्तमान कार्यकाल समाप्त होने के बाद स्थानीय विधायक चंपाई सोरेन, जो अब सूबे के मुखिया बन चुके हैं और कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा ने इस मामले पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. जबकि योजना केंद्र प्रायोजित है अब तीसरी बार परियोजना को एक्सटेंशन देने की तैयारी चल रही है. इसको लेकर सामाजिक संस्था जनकल्याण मोर्चा ने हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल किया है जिसकी सुनवाई इसी महीने होने वाली है. पिछले दिनों तत्कालीन मंत्री सह विधायक जो अब मुख्यमंत्री हैं चंपई सोरेन ने वार्ड 13 के लोगों के लिए मुफ्त पानी कनेक्शन दिलाकर खूब वहावाही लूटी मगर 34 वार्ड की जनता अभी भी त्राहिमाम कर रही है, जबकि गर्मी का मौसम शुरू होने वाला है अभी से ही कई वार्डों में पानी की किल्ल्त शुरू हो चुकी है.
वार्ड 17 सबसे ज्यादा प्रभावित, लोगों में आक्रोश कर रहे बैठक बना रहे रणनीति कभी भी फूट सकता है आक्रोश
वार्ड- 17 में रणनीति बनाते लोग
वैसे तो आदित्यपुर नगर निगम के सभी 35 वार्डों में पानी की समस्या गंभीर बनी हुई है, मगर वार्ड 17 में पानी की समस्या बेहद गंभीर है. हर साल गर्मियों में यहां की जनता को पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है. नगर निगम द्वारा टैंकर से जलापूर्ति की जाती है, मगर कुछ रसूखदार लोग नगर निगम के कर्मियों के मिली भगत से विशेष सेवा लेते हैं. जबतक चुने हुए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जलापूर्ति कराई जाती थी तबतक लोगों को सामान रूप से पानी मुहैया होता था, मगर अधिकार छिनते ही अधिकारी और कर्मी बेलगाम हो गए और रसूखदारों के इशारे पर पानी बांटने लगे. पिछले साल ऐसे कई मामले सामने आए थे. आपको बता दें कि आदित्यपुर नगर निगम का सबसे रईस वार्ड के रूप में वार्ड 17 को जाना जाता है. यहां एक से बढ़कर एक रईसों की सोसाइटी और व्यावसायिक प्रतिष्ठान है. लगभग 25000 की आबादी इस वार्ड में निवास करती है. इनमें से करीब 4600 मतदाता है. इस बार इन्होंने आंदोलन का मन बनाया है. इसको लेकर इनके द्वारा हस्ताक्षर अभियान pचलाया जा रहा है. उनकी मांग है कि जमशेदपुर से सटे आदित्यपुर नगर निगम के वार्डों में जुस्को द्वारा pपाइपलाइन के जरिए जलापूर्ति कराई जाए. हालांकि स्थानीय विधायक और सांसद के प्रति नाराजगी देखी जा रही है. आने वाले दिनों में इनके द्वारा चरणबद्ध आंदोलन चलाने की योजना है.
क्या कहना है पूर्व पार्षदों का
आदित्यपुर नगर निगम के वार्डों में पानी की समस्या को लेकर पूर्व पार्षदों में भी नाराजगी देखी जा रही है. वार्ड 17 की पूर्व पार्षद नीतू शर्मा ने बताया कि जनप्रतिनिधियों को नजर अंदाज कर नगर निगम ने कंट्रोलिंग अपने हाथ में ले लिया है. विधायक और सांसद नगर निगम के अधिकारियों संग बैठक कर पूर्व पार्षदों को किसी भी काम के लिए नहीं बुलाने का निर्देश देते हैं. जबकि जनता अपनी समस्या को लेकर उनके पास फरियाद लगाने पहुंचते हैं, मगर सांसद या विधायक कभी भी जमीन स्तर पर समस्या देखने या समझने नहीं आते हैं. उन्होंने बताया कि पूर्व से पाइपलाइन के जरिए वार्ड में पानी का जो कनेक्शन था जलापूर्ति योजना की जद में उसे भी तहस- नहस कर दिया गया. अब तक नया पाइप लाइन नहीं बिछाया गया है, ना ही घरों तक पहुंचाया गया है. इसको लेकर कई बार आवाज भी बुलंद किया, मगर निगम के अधिकारियों द्वारा अनसुना कर दिया गया. वार्ड 18 के पूर्व पार्षद रंजन सिंह ने भी बताया कि नगर निगम का कार्यकाल समाप्त होते ही उनके अधिकार समाप्त कर दिए गए. किसी भी समस्या के लिए जनता उनके पास आती है जब अधिकारियों से समाधान की मांग करते हैं तो अनसुना कर देते हैं, जबकि पावर रहते सरकार की योजनाओं को पूरी तन्मयता के साथ जमीन पर उतारने में सहयोग किया, मगर आज उन्हें दरकिनार किया जा रहा है. उनके वार्ड में भी पानी की घोर किल्लत है मगर गर्मियों में पानी कैसे मिलेगी इसको लेकर अभी से ही चिंता सताने लगी है. उन्होने भी जुस्को से पानी सप्लाई की मांग की है.