आदित्यपुर: राज्य में इन दिनों ट्रांसफर- पोस्टिंग का मौसम चल रहा है. सुबह आंख खुली नहीं की अधिकारियों के हाथों में ट्रांसफर पोस्टिंग की चिट्ठी थमा दी जाती है. इससे न केवल विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं बल्कि विधि- व्यवस्था संधारण में भी परेशानी हो रही है.
यहां हम बात कर रहेसरायकेला- खरसावां जिला के आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र की. पिछले तीन महीने के भीतर यहां तीन प्रशासक और चार नगर आयुक्त बदल चुके हैं. आपको बता दे कि पूरा आदित्यपुर नगर निगम कचरो के ढेर पर बैठा है. नगर निगम क्षेत्र के सड़कों की अगर हम बात करें तो शायद ही कोई ऐसा वर्ड होगा जहां की सड़के गड्ढों में तब्दील न हुई हो. बरसात का मौसम बीत चुका है त्यौहारी सीजन शुरू होने वाला है. एक बार फिर से नगर वासियों को जर्जर सड़कों से होकर मेला घूमने जाना पड़ेगा.
वहीं सीवरेज- ड्रेनेज और पाइपलाइन की बात करें तो यह योजना “द्रोपदी का चीर” बन चुका है. नगर निगम के निवर्तमान जनप्रतिनिधियों की बात करें तो जनता अब इश्तहार लेकर उन्हें ढूंढने का मन बना रही है. कुछएक पूर्व पार्षदों को यदि छोड़ दिया जाए तो बाकी निवर्तमान पार्षद अपने- अपने रोजगार में लगे हैं. वहीं मेयर- डिप्टी मेयर पार्टी का झंडा ढो रहे हैं.
इन सब के बीच एक जनप्रतिनिधि 365 दिन अखबारों की सुर्खियों में बने रहते हैं. माननीय अखबार में छपने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. महोदय जहां जाते हैं वहां के लोगों से उक्त वार्ड को नॉर्दन टाउन और सर्किट हाउस बनाने का वायदा कर आते हैं. मजे की बात ये है कि माननीय जिस वार्ड में रहते हैं उनके आवास के ठीक सामने से होकर गुजरने वाला सड़क ही बदहाली की आंसू रो रहा है. माननीय की पहुंच ऊपर तक है. मंत्री से लेकर संत्री तक उन्हें जानते हैं. मगर दूसरे वार्ड को नॉर्दर्न टाउन और सर्किट हाउस बनाने का सब्जबाग दिखाने वाले माननीय को अपने घर के आगे का सड़क नजर नहीं आता है. भला हो आदित्यपुर नगर निगम की जनता का जो इतना दर्द झेलने के बाद भी टैक्स चुकाने से पीछे नहीं हटते हैं. इनके टैक्स के भरोसे नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को वेतन मिलता है. मगर अधिकारी भी क्या करें शाम को योजना बनाते हैं और सुबह ट्रांसफर की चिट्ठी पकड़ा दी जाती है.