आदित्यपुर: नगर निगम प्रशासन द्वारा शुरू किए गए अतिक्रमण अभियान पर ग्रहण लगाने की तैयारी शुरू हो गयी है. सोमवार को एसटी/एससी, ओबीसी- अल्पसंख्यक सामान्य जाति की ओर से अपर नगर आयुक्त को एक ज्ञापन देकर कार्रवाई को गैर कानूनी बताते हुए इसे अविलंब रोकने की मांग की गयी है.
ज्ञापन के माध्यम से संगठन की पार्वती किस्कू ने बताया कि नगर निगम द्वारा कानून का उल्लंघन कर यह कार्रवाई की जा रही है. बगैर लिखित सूचना और फुटपाथी दुकानदारों को बसाने की तैयारी के उनके दुकानों को उजाड़ना गैर कानूनी है. उन्होंने बताया कि जो भी अतिक्रमणकारी हैं वे जिले के अलग- अलग क्षेत्रों से आते है. इनमें से ज्यादातर गरीब आदिवसी- मूलवासी हैं. निगम की कार्रवाई से इनका रोजगार छिन गया है. कई वैसे गरीब दैनिक सब्जी विक्रेता हैं जो कहीं न कहीं से लोन लेकर रोजगार कर रहे हैं. उजाड़े जाने से उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. ऐसे में निगम प्रशासन को तत्काल इस कार्रवाई पर रोक लगनी चाहिए. उन्होंने बताया कि रेलवे फाटक को बंद किये जाने के बाद उपायुक्त द्वारा थाना रोड को डेड घोषित किया गया है फिर यह अवैध अतिक्रमण कैसे हुआ. वहीं उन्होंने वैसे भवनों और मॉल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है जिन्होंने नक्शा विचलन कर बगैर पार्किंग के अपने कारोबार को संचालित कर रहे है. उनकी वजह से सड़क पर जाम लगता है और खामियाजा गरीब दिहाड़ी मजदूरों को उठाना पड़ रहा है. आपको बता दें कि ये वही पार्वती किस्कू हैं जो अभियान के दिन जिला प्रशासन के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही थीं. चार दिन बाद ही उन्होंने मामले पर यूटर्न ले लिया है.
उधर कृषि उत्पादन बाजार की सचिव ने गम्हरिया सीओ से बाजार का सीमांकन करने को लेकर पत्र लिखा है. मतलब साफ है कि सालों से बाजार समिति को शुल्क पहुंच रहा है और उसे यह नहीं मालूम कि बाजार मास्टर उसे कहां से शुल्क वसूलकर पहुंचा रहा है. अब जब निगम प्रशासन हरकत में आई तब उन्हें ज्ञान हुआ कि बाजार का सीमांकन कहां है. अब सीओ साहब जबतक नक्शा खोजेंगे तबतक मामला ठंडे बस्ते में चला जायेगा और फिर धीरे-
धीरे थाना रोड उसी अवस्था में पहुंच जाएगा. मीडिया रिपोर्ट पर गौर करें तो कुछेक वेबसाइट में दावा किया जा रहा है कि नगर निगम द्वारा फुटपाथी दुकानदारों से वेंडर शुल्क लेकर उन्हें बसाने की बात कही गयी है. जबकि बाजार समिति के लिए आवंटित 5.3 एकड़ जमीन गायब हो चुके हैं. अब पहले अंचल और निगम प्रशासन यह तय करे कि 5.3 एकड़ जमीन कहां गए. कुल मिलाकर एक सोची समझी साजिश के तहत मामले को राजनीतिक रंग देने का प्रयास शुरू हो चुका है. जबकि निगम की कार्रवाई के बाद लोगों को थाना रोड में लगने वाले जाम से निजात मिला है. इससे अदित्यपुर शहरी स्वस्थ केंद्र, पीएचडी कार्यालय, अदित्यपुर थाना, वन विभाग और बिजली विभाग आने- जाने वाले कर्मियो, फरियादियों, मरीजों और उपभोक्ताओं को काफी राहत मिली है.
अंदरखाने की माने तो थाना रोड में अतिक्रमण कर बाजार समिती के नाम पर शुल्क वसूली की आड़ में बाजार मास्टर बदनाम जरूर हो रहा है, मगर उसकी आड़ में कई पर्दे के पीछे के खिलाड़ियों को पोल खुलने का डर सताने लगा है. आदित्यपुर दिन्दली बाजार से लेकर थाना रोड तक कई ऐसे सफेदपोश हैं जिन्होंने अवैध रूप से दुकानों को कब्जा कर रखा है और उससे अवैध कमाई कर रहे हैं, यही वजह है जो वैसे खिलाड़ी पार्वती किस्कू जैसी सीधी- साधी आदिवासी नेत्री को आगे कर मामले को पेचीदा बनाने की साजिश रच रहे हैं. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या नगर निगम प्रशासन मामले पर बैकफुट पर जाती है या अभियान जारी रहता ही. हालांकि सोमवार को मजिस्ट्रेट और फोर्स की कमी का हवाला देकर अभियान को एक दिन के लिए टाल दिया गया है. वहीं उजाड़े गए फुटपाथी दुकानदारों में इसको लेकर भी नाराजगी है.