सरायकेला: बीते रविवार को जिले के आदित्यपुर थाना अंतर्गत इंडस्ट्रियल एरिया फेज 6 स्थित आरएसबी ट्रांसमिशन यूनिट- 1 में दिखा तेंदुआ 7 दिनों बाद भी वन विभाग की पकड़ में नहीं आया है, जो कहीं न कहीं वन विभाग की विफलता दर्शा रहा है. हैरान करने वाली बात ये है कि तेंदुआ पकड़ने के लिए पश्चिम बंगाल और पलामू रिजर्व टाइगर फोर्स को भी उतारा गया है, बावजूद इसके वन विभाग को सफलता नहीं मिली है. तेंदुआ अंतिम बार सोमवार को बेबको मोटर्स और इंडिगो मोटर्स के सीसीटीवी कैमरे में दिखा, उसके बाद वन विभाग केवल उसके फुटप्रिंट ही मिलने का दावा कर रहा है. ऐसे में अहम सवाल ये उठता है कि तेंदुआ गया कहां ? उससे भी बड़ा सवाल ये है कि बगैर किसी को नुकसान पहुंचाए तेंदुआ भूखा- प्यासा कहां भटक रहा है और भौतिक रूप से या सीसीटीवी कैमरों में किसी को क्यों नजर नहीं आ रहा है ? मतलब साफ है कि वन विभाग तेंदुआ पकड़ने के नाम पर खानापूर्ति कर रही है.
*क्या तेंदुआ पालतू था ?*
आपको बता दें कि इंडस्ट्रियल एरिया में तेंदुआ नजर आना कई सवालों को जन्म दे रहा है. क्योंकि पिछले करीब 4 दशक में इंडस्ट्रियल एरिया में तेंदुआ या किसी अन्य हिंसक जंगली जानवर मिलने या देखे जाने की जानकारी हमारे पास नहीं है. इंडिया न्यूज वायरल शुरू से ही इंडस्ट्रियल एरिया में तेंदुआ नजर आने की खबर पर आशंकित रही है. पहले दिन ही पड़ताल के दौरान सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हमे यह पता चला था कि किसी कंपनी में तेंदुआ को तस्करी कर लाकर रखा गया था जो मौका मिलते ही फरार हो गया जिसके बाद वह सार्वजनिक रूप से नजर आया. इस बीच अब कयास ये लगाए जा रहे हैं कि भेद खुलते ही तेंदुआ के पोषक सक्रिय हो गए और जबतक वन विभाग व्यापक रूप से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करती उसके पहले ही तेंदुआ को पड़कर उसे ठिकाने लगा दिया गया है.
*पुलिस की सख्ती पर भ्रामक प्रचार प्रसार हुआ बंद*
जब से पुलिस- प्रशासन की ओर से तेंदुआ को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक पोस्ट प्रसारित करने पर सख्ती बरते जाने की खबर सामने आई उसके बाद से तेंदुआ को लेकर कहीं से भी भ्रामक खबरों का प्रवाह तो रुक गया मगर तेंदुआ पकड़ में नहीं आया है. तो क्या वाकई तेंदुआ पालतू था जिसे भेद खुलते ही गायब कर दिया गया ? क्यों नहीं वन विभाग और जिला प्रशासन इस दिशा में जांच कर रही है !