आदित्यपुर: ईचागढ़ के बाहुबली विधायक अरविंद सिंह के साले कन्हैया सिंह हत्याकांड के बाद जिस तरह से पक्ष और विपक्ष ने होकर पुलिस- प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर रही हैं, क्या वो सही है ? निश्चित तौर पर आदित्यपुर में बीते फरवरी से लेकर अबतक 10- 10 हत्याएं हो चुकी है, ऐसी बात नहीं है कि उन हत्याओं का उद्भेदन नहीं हुआ है, और अपराधी सलाखों के पीछे नहीं भेजे गए हैं. हां एक दो अपराधी अभी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं, जिनकी गिरफ्तारी का प्रयास चल रहा है. अबतक जो भी हत्याएं हुई हैं, उनमें ज्यादातर हत्याएं अपराध और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों की हुई है.
कन्हैया सिंह की हत्या पर पुलिस को कटघरे में खड़ा करने वाले सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को यह बताना चाहिए कि पुलिस के पास क्या संसाधन उपलब्ध है, जो 72 घंटों के भीतर अपराधियों का खुलासा कर दे. ना पुलिस के पास खुफिया तंत्र है, ना अत्याधुनिक संसाधन. सीसीटीवी के लिए भी उन्हें सोसाइटीयों पर निर्भर रहने पड़ते हैं. महत्वपूर्ण चौक- चौराहों पर जितने भी सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, सभी कागज पर जरूर हैं, लेकिन जमीन पर उनका वजूद समाप्त हो चुका है. डॉग स्क्वायड टीम इनके पास नहीं है. इसके लिए दूसरे जिलों या कारपोरेट घरानों पर इन्हें निर्भर रहना पड़ता है. यहां तक कि पुलिस के पास छापेमारी करने के लिए अपना वाहन भी उपलब्ध नहीं है. इसके लिए भी दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है. ऐसे हालात में आप 72 घंटे की मोहलत दे कर किस की सहानुभूति लेना चाहते हैं ! ज्यादातर पुलिस पदाधिकारी अपनी जेब से पैसे खर्च कर केस का अनुसंधान करते हैं. यहां तक कि उन्हें वाहन भत्ते भी नहीं मिलते हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष को यह बताना चाहिए कि उन्होंने पुलिस को हाईटेक बनाने के लिए क्या किया, जबकि कोई यह नहीं कह सकता कि उन्हें शासन करने का मौका नहीं मिला.
जिन्होंने कन्हैया सिंह की हत्या पर विरोध जताया
विजय महतो भाजपा जिलाध्यक्ष सरायकेला- खरसावां ने भी गिरते कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कन्हैया सिंह की हत्या के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया.
पूर्व विधायक अरविंद सिंह के आवास पर शोक जताने पहुंचे खरसावां विधायक दशरथ गगराई एवं चक्रधरपुर नगर परिषद के अध्यक्ष केडी शाह
आदित्यपुर थाने में कन्हैया सिंह हत्याकांड के विरोध में प्रदर्शन करते पूर्व विधायक के समर्थक एवं कांग्रेसी नेता
कन्हैया सिंह हत्याकांड के विरोध में भाजपा नेता अभय सिंह ने आदित्यपुर थाने पहुंचकर हत्यारों की गिरफ्तारी को लेकर दिया 72 घंटे का अल्टीमेटम
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने भी कन्हैया सिंह हत्याकांड मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जिला पुलिस को हत्यारों की गिरफ्तारी को लेकर 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है
अब हम बात करते हैं कन्हैया सिंह हत्याकांड की. कन्हैया सिंह एक बेहद ही चर्चित शख्सियत थे, इसमें कोई दो मत नहीं. उनका कई तरह का कारोबार था. मगर हत्या तो हत्या होती है. हत्या क्यों की गई, यह जांच का विषय है. मगर जिस वक्त उनकी हत्या हुई उस वक्त के तफ्तीश के क्रम में अब तक जो बातें सामने आई है उसे समझने की पुलिस को जरूरत है. हालांकि पुलिस अपने हिसाब से अनुसंधान जरूर कर रही है. हमारे पड़ताल में जो बातें सामने आई है, उसमें कन्हैया सिंह के बॉडीगार्ड की भूमिका शुरू से ही संदिग्ध प्रतीत हो रही है. वैसे पूर्व विधायक ने इसका खंडन करते हुए उन्हें जरूर पुलिस से छुड़वा लिया, मगर जरा सोचिए बॉडीगार्ड ने हत्यारों को अपनी आंखों के सामने से भागते हुए देखा. उस वक्त बॉडीगार्ड कन्हैया सिंह के फ्लैट के नीचे ही थे. उन्होंने गोली की आवाज सुनी, वे हत्यारों के पीछे नहीं दौड़े ना ही तुरंत कन्हैया सिंह के फ्लैट की तरफ गए. सामने रहने वाले मोहन सिंह और कन्हैया सिंह का चालक बबलू पहुंच जाता है, और खून से लथपथ कन्हैया सिंह को लेकर नीचे उतरता है. उसके बाद चालक मोहन सिंह और बॉडीगार्ड घायल कन्हैया सिंह को लेकर टीएमएच जाता है, जहां चिकित्सक उन्हें मृत घोषित कर देते हैं. हैरान करने वाली बात यह है, कि कन्हैया सिंह के पास उनका लाइसेंसी रिवाल्वर भी नहीं था. कन्हैया सिंह के घर के पास सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे. जबकि पूरा फ्लैट ही हाई प्रोफाइल फ्लैट है. फ्लैट में कहीं भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा हुआ था. सिक्योरिटी गार्ड नहीं थे. मतलब कन्हैया सिंह की जबरदस्त रेकी हो रही थी और कोई तो था जो उनके पल- पल के गतिविधियों की जानकारी हत्यारों को दे रहा था.
बता दें कि हरिओम नगर सोसाइटी हाई प्रोफाइल सोसाइटी है. यहां जमशेदपुर और सरायकेला के बड़े- बड़े रसूखदारों का आवास है. मगर सुरक्षा के नाम पर गिने- चुने घरों एवं सोसायटियों में सीसीटीवी कैमरे और सिक्यूरिटी गार्ड की तैनाती है. सीसीटीवी कैमरे है भी तो उनमें से ज्यादातर कैमरे खराब हो चुके हैं, या कम क्षमता वाले हैं. हद तो ये है कि रात तो रात दिन के उजाले में भी किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है, कौन संदिग्ध है, कौन किस भूमिका में घूम रहा है, किसी को कोई लेना- देना नहीं. चूंकि कन्हैया सिंह पूर्व विधायक के साले थे, इसलिए मामला हाई प्रोफाइल हो चुका है. यहां तक कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने भी पुलिस प्रशासन को अल्टीमेटम दे दिया है. भाजपा, झामुमो, कांग्रेस सभी पुलिस प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोले बैठे हैं. मगर सभी को एक बार जरूर इस बात का मंथन करना चाहिए, कि आखिर आपने पुलिस को हाईटेक बनाने के लिए क्या संसाधन उपलब्ध कराया है. लगभग डेढ़ पौने दो लाख की आबादी पर महज तीन दर्जन पुलिस वह भी संसाधन विहीन, उनसे आप क्या उम्मीद कर सकते हैं ! ऐसी बात नहीं है कि कन्हैया सिंह हत्याकांड से हमें सहानुभूति नहीं है. निश्चित तौर पर हत्याकांड का खुलासा होना चाहिए और होगा भी. अपराधी बेनकाब होने चाहिए, मगर पुलिस को समय देने की जरूरत है. उन्हें हौसला देने की जरूरत है. कहीं दबाव में बेगुनाह पुलिस के हत्थे ना चढ़ जाए और उसका करियर चौपट हो जाए. वैसे पुलिस सूत्रों की मानें तो सारे अपराधी चिन्हित कर लिए गए हैं. कुछ गिरफ्तार हो चुके हैं, कुछ की गिरफ्तारी बची हुई है. जिसकी गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी चल रही है.
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