सरायकेला (Pramod Singh) घर को आग लगी अपने ही चिराग से.. यह कहावत चरितार्थ हुआ है आदित्यपुर के चर्चित कन्हैया सिंह हत्याकांड मामले में. बता दें कि कन्हैया सिंह हत्याकांड को लेकर जिल्लत झेलते हुए पुलिस हत्यारों तक पहुंच गयी. जल्द ही पुलिस उक्त हत्याकांड का खुलासा कर खुद पर लगे आरोपों को निराधार साबित कर देगी. मगर जब पुलिस उक्त हत्याकांड से पर्दा उठाएगी तो यकीन मानिए आपका रिश्तों से एतबार उठ जाएगा.
हालांकि हमारे भी कुछ दायरे हैं. मगर चूंकि मामले को लेकर कुछ इस तरह हंगामा बरपाया गया, कि दायरों से आगे बढ़कर लिखना होगा. वैसे लोगों को कर्तव्यबोध करना होगा जिन्हें अपने ही सिस्टम पर भरोसा नहीं हुआ और हर उस सख्स ने पुलिस को कटघरे में खड़ा किया, जो सिस्टम का हिस्सा थे. विपक्ष तो विपक्ष, सत्ताधारी दलों ने भी पुलिस को बेचारा बना डाला, इसमें कांग्रेस दो कदम आगे चल रही थी. पूरे प्रकरण में यदि कोई पुलिस के साथ खड़ा था तो वो सूबे के मंत्री सह सरायकेला के विधायक चम्पई सोरेन थे. उन्हें अपने पुलिस पर पूरा भरोसा था और उन्होंने अपने जांबाज पुलिस अधिकारियों को कन्हैया हत्याकांड के तह तक जाकर हत्यारों को ढूंढने और बेनकाब करने का निर्देश दिया. मंत्री का सहारा मिलते ही डीआईजी अजय लिंडा, एसपी आनंद प्रकाश और एसडीपीओ हरविंदर सिंह की तिकड़ी वर्दी पर लगने वाले दाग धोने में जुट गए. आधा दर्जन थानेदारों के साथ जिला पुलिस कप्तान और एसडीपीओ पूरे मामले के तह तक जाकर अंततः साजिशकर्ता, शूटर सहित करीब 11 लोगों को अलग- अलग राज्यों से हिरासत में लेकर पहुंच चुकी है. सूत्र बताते हैं कि सभी से पूछताछ शुरू हो चुकी है. संभवतः शुक्रवार को पुलिस पूरे मामले का खुलासा करेगी. सूत्रों के अनुसार कुछ तकनीकी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं. चूंकि मामला इतना हाईप्रोफाइल है, कि पुलिस से कहीं कोई ऐसी गलती या चूक न हो जाए, जिससे मामला फिर से उलझ जाए.
निखिल गुप्ता शूटर
हालांकि जिस तरह से कन्हैया सिंह हत्याकांड के बाद पूर्व विधायक अरविंद सिंह ने मीडिया में बयान दिए थे, शुरुआती दौर में पुलिस ने कन्हैया सिंह हत्याकांड को अरविंद सिंह के वर्चस्व और गंगवार से जोड़ कर तफ्तीश शुरू की. करीब डेढ़ दर्जन हिस्ट्रीशीटर अपराधियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की गयी, मगर किसी भी अपराधी का कनेक्शन कन्हैया सिंह या पूर्व विधायक से नहीं जुड़ा. जब पहले ही दिन शक के आधार पर हिरासत में लिए गए कन्हैया सिंह के अंगरक्षक मृत्युंजय सिंह को पूर्व विधायक ने छुड़वा लिया उसी समय पुलिस के कान खड़े हुए. मगर चूंकि मामला हाईप्रोफाइल था. लोग आंदोलित हो रहे थे. मामले का राजनीतिकरण और सामाजिक विद्रोह शुरू होता देख पुलिस ने मृत्युंजय सिंह को छोड़ दिया. अगले दिन पूर्व विधायक कन्हैया सिंह सबसे पहले कन्हैया सिंह के हरिओम नगर रोड नंबर 5 स्थित आवास पहुंचे जहां उन्होंने उनके फ्लैट के पास लगे खून के धब्बों को साफ किया. उसके बाद वापस अपने आवास एम टाइप लौट गए. यहां उन्होंने कहा था, कि उन्हें कमजोर करने की नियत से कन्हैया सिंह की हत्या की गई है. पुलिस की कार्यशैली पर भी उन्होंने सवाल उठाए थे. फिर कन्हैया सिंह का शव टाटा मुख्य अस्पताल से लेकर अपने आवास पहुंचे, जहां आम लोगों को दर्शन करा कन्हैया सिंह के शव के साथ तीनों बेटियां, पुत्र और पत्नी व अंगरक्षक मृत्युंजय सिंह को लेकर कन्हैया सिंह के पैतृक गांव समस्तीपुर चले गए. जहां तीसरे दिन दाह संस्कार के बाद पूर्व विधायक वापस आदित्यपुर लौट गए. यहां पहुंच कर पूर्व विधायक ने जुलूस लेकर आदित्यपुर थाने पर प्रदर्शन किया. क्षत्रिय समाज कांग्रेस सभी ने पुलिस को अल्टीमेटम पर अल्टीमेटम देना शुरू कर दिया. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की मौजूदगी में कांग्रेसी नेता संतोष सिंह ने तो यहां तक का डाला कि उन्होंने अपने कैरियर में ऐसा एसपी नहीं देखा. पूर्व विधायक ने ने बजावते प्रेस कांफ्रेंस कर हत्यारों की सूचना देने वालों के लिए एक लाख का इनाम घोषित करते हुए यहां तक कह डाला था, कि हत्यारा चाहे जो भी हो उसे वे पाताल से ढूंढ निकालेंगे. मगर उन्हें शायद यह पता नहीं था कि हत्यारा उनके घर में ही कुंडली मार कर बैठा हुआ है. संभवत विधायक सबकुछ जानते थे, मगर उन्होंने न केवल पुलिस को गुमराह किया बल्कि पूरे मामले का राजनीतिकरण कराने का प्रयास किया. मगर पुलिस ने बेहद ही गंभीरता से पूरे मामले का उद्भेदन किया और अंततः कन्हैया सिंह के पैतृक गांव समस्तीपुर के सिंघिया में दबिश दी. जहां से उनकी पुत्री अपर्णा सिंह को हिरासत में जैसे ही लिया, पूर्व विधायक के तेवर नरम पड़ गए. पूर्व विधायक यह कहते सुने गए कि मेरा पूरा कैरियर बच्चों ने तबाह कर दिया. सवाल पूर्व विधायक से, क्या घर में लगे आग की भनक उन्हें वाकई में नहीं थी ? यदि थी तो उन्होंने पुलिस को गुमराह क्यों किया ? क्यों वर्दी को दागदार कराया ? चलिए मानते हैं, कि वर्दी में दाग लगते रहते हैं ? मगर जिस तरह से सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथ सामाजिक संगठनों ने सीधे- सीधे पुलिस को कटघरे में खड़ा किया क्या हुआ सही था ? क्या सत्ता पक्ष विपक्ष और सामाजिक संगठन यह सवाल पूर्व विधायक से करने की हिम्मत जुटा पाएंगे ? जिस बैनर, तख्ती पोस्टर और पुलिस- प्रशासन विरोधी नारेबाजी लगाकर सत्ता पक्ष, विपक्ष और सामाजिक संगठनों ने पुलिस के दामन को दागदार किया क्या उसे वापस दिलाएंगे ?
अंत में
कुछ पाठकों को हमारी रिपोर्ट पर आपत्ति हो सकती है. कुछ हमारी रिपोर्टिंग को चापलूसी का दर्जा दे सकते हैं. इसकी हमें परवाह नहीं है. कुछ यह भी कह सकते हैं कि पुलिस- प्रशासन से सांठगांठ के कारण हम रिपोर्ट बना रहे हैं. उसने मेरा सवाल यह है कि आप साबित करें, क्योंकि आप हमसे दो कदम आगे चल रहे हैं और आप हमसे दो कदम आगे बढ़ कर रिपोर्ट बना रहे हैं. कोई सात साल से बिस्तर पर पड़े पूर्व विधायक के भाई बमबम सिंह को साजिशकर्ता करार दे कर मामले को पेचीदा बना रहे हैं.
अभी पिक्चर बाकी है
सूत्र बताते हैं कि कन्हैया सिंह हत्याकांड में पिक्चर अभी बाकी है. पुलिस ने साजिशकर्ता, शूटर निखिल गुप्ता और बाकी दो हत्यारों को गिरफ्तार किया उसके बाद पुलिसिया तफ्तीश कन्हैया सिंह और पूर्व विधायक के घर के इर्द गिर्द घूमने लगी. अंततः पुलिस ने कन्हैया सिंह की बेटी अपर्णा सिंह को समस्तीपुर से हिरासत में लेकर सबको चौंका दिया. सूत्र बताते हैं कि कुल 11 लोगों से पूछताछ चल रही है.