आदित्यपुर/ Shubham Mishra झारखंड सरकार कहती है कि उद्यमी राज्य में उद्योग लगाएं हम पूरी सुरक्षा देंगे, मगर सरकार के मुलाजिम उद्यमियों को आवंटित जमीन पर कब्जा दिलाने में भी सक्षम नहीं है, ऐसे में कोई उद्यमी राज्य में कैसे निवेश करे ! यहां हम बात कर रहे हैं झारखंड के उद्योग नगरी सरायकेला की. जहां जियाडा (झारखंड इंडस्ट्रिल एरिया डेवलपमेंट ऑथरिटी) द्वारा वन विभाग से अधिग्रहित जमीन को उद्योग के लिए आवंटित भूखंड पर कब्जा दिलाने में पसीने छूट रहे है.
बता दें कि जियाडा ने साल 2010 में हथियाडीह में वन विभाग से जमीन अधिग्रहण किया था. इसमें से जियाडा द्वारा जमना ऑटो को करीब 13 एकड़ जमीन उद्योग लगाने के लिए 2017- 18 में आवंटित किया था, मगर ग्रामीणों के भारी विरोध के कारण कंपनी उक्त भूखंड पर कब्जा जमाने में विफल रही. इधर बुधवार को जियाडा के कर्मी कंपनी के अधिकारियों को साथ ले उक्त भूखंड पर लाव- लश्कर के साथ पहुंची, मगर ग्रामीण महिलाएं एवं पुरुष के साथ बच्चे अड़ गए और किसी भी सूरत में भूखंड पर कब्जा देने से मना कर दिया. मामला इस कदर बिगड़ा कि एसडीओ पारुल सिंह, डीएसपी हेडक्वार्टर चंदन वत्स स्थानीय पुलिस को मौके पर पहुंचना पड़ा. बावजूद इसके ग्रामीण अपनी मांगों पर डटे रहे. अंततः गुरुवार को त्रिपक्षीय वार्ता के लिए ग्रामीणों को राजी किया गया. इधर गुरुवार को ग्रामीण, कंपनी प्रबंधन के अधिकारी एवं जियाडा के कर्मी वार्ता में बैठे, मगर बैठक बेनतीजा रहा. ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे.
क्या कहना है ग्रामीणों का
दरअसल ग्रामीणों का कहना है कि जियाडा ने अवैध तरीके से वन विभाग से खेल के मैदान को हस्तांतरित करा लिया है. यहां सालों से फुटबॉल एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे है. उद्योग लगने से ग्रामीणों से खेल का मैदान छिन जाएगा और ग्रामीण युवा बुरे लत के शिकार हो जाएंगे. साथ ही आसपास के इलाकों में प्रदूषण फैलेगा. यही वजह है कि ग्रामीण किसी सूरत में खेल के मैदान को उद्योग के लिए नहीं देना चाहते हैं.
क्या कहना है जियाडा का
इधर गुरुवार को जियाडा की ओर से वार्ता में शामिल उद्योग विस्तार पदाधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि 2010 में ही वन विभाग की ओर से उक्त भूखंड को उद्योग लगाने के लिए अधिग्रहण किया गया है. उन्होंने बतायाकि साल 2017- 18 में जियाडा द्वारा 13 एकड़ जमीन जमना ऑटो को आवंटित किया गया है. इसके लिए बजवते ग्रामसभा भी हुई है, जिसे ग्रामीण मानने से इनकार कर रहे है.
क्या कहना है कंपनी का
वार्ता में शामिल जमना ऑटो के अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीणों की मांग को देखते हुए कंपनी द्वारा आवंटित भूखंड से सटे जमीन को खेल के मैदान के रूप में विकसित करने का भरोसा दिलाया गया है, मगर ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े है. यदि ग्रामीण अपनी जिद पर अड़े रहते हैं तो प्रबंधन आगे विचार करेगी.
आगे क्या !
गुरुवार को त्रिपक्षीय बैठक बेनतीजा रहने के बाद जियाडा के वजूद पर सवाल उठ रहे है. साथ ही सरकार के उस निर्णय पर भी सवाल उठ रहे हैं, जिसमें दावा किया जाता रहा है कि उद्यमियों को राज्य में उद्योग लगाने के लिए सारी सुविधाएं और सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी. साथ ही स्थानीय प्रशासन की विफलता भी उजागर हुई है, जो इस विरोध को रोक पाने में नाकाम रही. वैसे इसकी संभावना प्रबल होने लगी है कि प्रशासन अब ग्रामीणों से सख्ती से निबटेगी.