आदित्यपुर: झारखंड की उद्योग नगरी सरायकेला जिले के आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया में इन दिनों सबकुछ ठीक- ठाक नहीं चल रहा है. जियाडा प्रशासन के एक आंख में काजल एक आंख में शूरमा के रवैये से उद्यमी डरे सहमे हैं. मूल रूप से उद्यमियों को जमीन सहित मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की जवाबदेही जियाडा की होती है, मगर इन दिनों जियाडा की भूमिका संदिग्ध प्रतीत हो रही है.
बता दें कि पिछले दिनों फेज तीन स्थित जिंको इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर आवंटित भूखंड पर गैर कानूनी रूप से पीटीपीसी द्वारा कब्जा जमाकर उद्योग संचालित करने का मामला प्रकाश में आया था, जिसपर जियाडा द्वारा विगत 6 जुलाई को जिंको और पीटीपीसी दोनों को गलत ठहराते हुए सील करने का अनुरोध पत्रांक संख्या 853/एआर के माध्यम से एसडीओ से किया गया था.
देखें एसडीओ के आदेश की प्रति
जियाडा के अनुरोध पर 11 जुलाई को ही एसडीओ की ओर से दंडाधिकारी सन्नी तिर्की को उक्त भूखंड पर कब्जा करने और सील करने की जवाबदेही सौंपी गई थी. बुधवार को उक्त भूखंड पर सन्नी तिर्की कब्जा करने पहुंचने वाले थे. आदित्यपुर थाने को भी सूचित कर दिया गया, मगर ऐन वक्त पर सनी तिर्की ने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया और क्षेत्रीय निदेशक दिनभर दफ्तर नहीं पहुंचे. इधर सिंहभूम स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पदाधिकारी एवं जिंको इंडिया के प्रोपराइटर सिद्धि सिंह दिन भर जियाडा परिसर में जमे रहे.
कैसे जियाडा की भूमिका संदिग्ध
एक हफ्ते पूर्व इसी जियाडा के अनुरोध पर एक हफ्ता पूर्व एसडीओ द्वारा प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी सनी तिर्की आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र फेज दो स्थित यूनाइटेड आर्ट प्रेस कंपनी में कब्जा दिलाने को आतुर थे और बजावते पुलिस बलों की मौजूदगी में कंपनी को सील भी कर दिया. यूनाइटेड आर्ट प्रेस के प्रोपराइटर सतीश छाबड़ा ने बताया कि 1970 से उन्हें तत्कालीन आयडा से 15000 वर्गफीट प्लॉट अलॉट किया गया था. उन्होंने बताया कि सभी तरह के कर की अदायगी के बाद भी साल 2013 में उनके प्लॉट से आधे भाग को सींक दिखाकर बिडिंग में डाल दिया गया. बिडिंग में शेर ए पंजाब ग्रुप के गुरचरण सिंह ने 1.27 करोड़ रुपए की बोली लगाई और जियाडा को पहली किस्त चुकाकर 8200 वर्गफीट एरिया हासिल किया. उधर बीते छः जुलाई को जियाडा ने उक्त कंपनी को सील कर दिया. जिसके बाद बीते बुधवार को जियाडा शेर ए पंजाब ग्रुप को कब्जा दिलाने पहुंची मगर यूनाइटेड आर्ट प्रिंट ने यह कहते हुए कब्जा देने से इंकार कर दिया कि मामला हाईकोर्ट में लंबित है, फैसला आने तक वे प्लॉट खाली नहीं कर सकते. इस बीच दोनों पक्ष के लोग आमने- सामने आ गए. हालांकि मामला बिगड़ता देख जियाडा की ओर से प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी फोर्स के आने तक दोनों पक्षों को शांति बहाल करने का निर्देश दिया. जियाडा की ओर से प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी सन्नी तिर्की ने बताया कि उन्हें दखल दिलाने का आदेश मिला है, मगर फोर्स की कमी के कारण संभव नहीं हो सका. आगे फिर जो आदेश होगा किया जाएगा. बता दें कि जियाडा द्वारा ऐसे मामले लगातार प्रकाश में आ रहे हैं, जिससे उद्यमियों में नाराजगी व्याप्त है. उद्यमी संगठनों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. कहीं ना कहीं जियाडा की भूमिका संदेहास्पद है, सूत्र बताते हैं कि जियाडा पूर्ण रूप से तीसरी दरवाजे की खोज कर इस तरह की गतिविधि को अंजाम देती है. इसकी गहराई से जांच की जरूरत है.
जिंको इंडिया के प्रोपराइटर के जीवित रहते हो गया सब खेला
मूल रूप से जिंको इंडिया सियाराम अग्रवाल के नाम पर आवंटित है. बाद में उनके द्वारा आशा अग्रवाल के साथ पार्टनरशिप किया गया. आशा अग्रवाल ने सिद्धि सिंह को पार्टनर बनाया और सियाराम अग्रवाल को मृत घोषित कर दिया, जिसे जियाडा ने भी सही मान लिया, जबकि सियाराम अग्रवाल अभी भी जीवित हैं और सोनारी में रहते हैं. इसकी भी जांच होनी चाहिए. उसके बाद करीब 50 लाख रुपए बैंक का कर्ज छोड़, आशा अग्रवाल ने रिटायरमेंट ले लिया. सिद्धि सिंह ने 2019 में जमीन हस्तांतरित करने का आवेदन जियाडा में दिया. मगर इसे गलत करार देते हुए जियाडा ने पीटीपीसी को पिछले दरवाजे से काम करने की अनुमति दे दी. जिसका प्रमाण जियाडा द्वारा बिजली विभाग को पीटीपीसी को टेंपरेरी बिजली उपलब्ध कराने का 17/05/2019 दिया गया निर्देश है.
देखें प्रति
इस टेंपरेरी कनेक्शन के माध्यम से आज तक पीटीपीसी बिजली जला रहा है. जिससे साफ प्रतीत होता है, न केवल इस मामले में जमकर भ्रष्टाचार हुआ, बल्कि सरकारी राजस्व का दोहन भी जमकर हुआ है. इसके लिए जिम्मेदार कौन है. इसकी भी जांच होनी चाहिए.
बिजली विभाग, पीटीपीसी और जियाडा की भूमिका संदेह के घेरे में
इस पूरे प्रकरण में न केवल पीटीपीसी बल्कि जियाडा और बिजली विभाग की भूमिका शक के दायरे में है. दरअसल पूरा खेला सरकारी नियम कानून को ताक पर रखकर किया गया है, जबकि होना यह चाहिए था कि सारी प्रक्रिया सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से होनी चाहिए. मगर उसे दरकिनार कर कई विभागों को ठगा गया. बता दें कि जिंको इंडिया के नाम से बिजली कनेक्शन पूर्व में अलॉट था, जिसे सिद्धि सिंह द्वारा कटवा दिया गया था. उसके बाद पिछले दरवाजे से पीटीपीसी की एंट्री होती है. और जियाडा बिजली विभाग को पत्रांक संख्या 516/ AR दिनांक 17/05/ 2019 लिखकर टेंपरेरी कनेक्शन देने का निर्देश दे देता है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बिजली विभाग महज एक दिन बाद ही टेंपरेरी कनेक्शन ना देकर स्थायी रूप से रुपये रसीद संख्या 1318223 दिनांक 18/ 05/ 2019 के माध्यम से 5.43 लाख सिक्योरिटी डिपॉजिट लेकर स्थाई कनेक्शन दे दिया. जरा सोचिए जिस बिजली विभाग में एक कनेक्शन लेने या कटवाने में उपभोक्ताओं के पैरों के चप्पल घिस जाते हैं, आखिर क्या वजह रही, कि 1 दिन बाद ही पीटीपीसी को अस्थाई के बदले स्थाई बिजली कनेक्शन दे दिया गया, जबकि नियमतः अस्थाई कनेक्शन में डेढ़ गुणा बिजली बिल एडवांस में जमा करने का प्रावधान है. इस हिसाब से अगर गणना करें तो एक साल में लगभग 18 लाख रुपए के राजस्व का नुकसान सीधे- सीधे विभाग को हुआ है. उस हिसाब से 4 साल में करीब करीब 48 लाख रुपए का चूना बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा विभाग को लगाया गया, इसके लिए जिम्मेदार कौन है ? इसकी भी जांच होनी चाहिए. क्या पूरा खेल सिस्टम में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का चल रहा है ? जिसका कोपभाजन सिद्धि सिंह बन रही है. यदि सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से यह काम हुआ होता तो पीटीपीसी को प्रदूषण विभाग और इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर रांची से भी एनओसी लेनी होती जिसका अनुपालन नहीं किया गया.
बैंक के कर्ज पर भी उठ रहे सवाल
जिंको इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर पीएनबी आदित्यपुर का करीब 50 लाख का कर्ज है, जिसे सिद्धि सिंह चुका रही है इसके एवज में सिद्धि सिंह ने अपना घर बंधक रखा है पंजाब नेशनल बैंक ने किस आधार पर जिंको इंडिया को लोन दिया, और यदि जियाडा कंपनी पर कब्जा कर लेती है, तो सिद्धि सिंह के लोन का क्या होगा.
क्या कहते हैं सिया अध्यक्ष
इस संबंध में सिंहभूम इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष सिंह ने बताया, कि पूरे मामले में भ्रष्टाचार हुआ है. पीटीपीसी की मान्यता रद्द होनी चाहिए और जिंको इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की प्रोपराइटर सिद्धि सिंह को उनका अधिकार मिलना चाहिए. उन्होंने जिंको इंडिया के मूल प्रोपराइटर सियाराम अग्रवाल के जीवित होने की बात कही है. उन्होंने बताया कि जब सियाराम अग्रवाल जीवित थे, तो किस आधार पर ज्यादा उन्हें मृत मान लिया. क्यों नहीं इसकी जांच कराई गई. वहीं उन्होंने बिजली विभाग के कर्मचारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाई है. कुल मिलाकर उन्होंने जियाडा प्रबंधन को चेतावनी दिया है, कि अगर इस मामले में इंसाफ नहीं हुआ तो जियाडा कार्यालय पर तब तक प्रदर्शन होगा जब तक इस मामले का पटाक्षेप नहीं होता है. साथ ही उन्होंने जियाडा से मांग किया है, कि आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया में उद्यमियों के साथ हो रहे अत्याचार पर नकेल कसी जाए, अन्यथा इसकी शिकायत सरकार के स्तर पर भी की जाएगी.
यूनाइटेड आर्ट प्रेस को सील करने पहुंची जियाडा की टीम