सरायकेला- खरसावां जिला के आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया में इन दिनों सब कुछ ठीक- ठाक नहीं चल रहा है. आपको बता दें कि यहां बड़े पैमाने पर कंपनियों के जमीन का खेल चल रहा है. इसका खुलासा शुक्रवार को हुआ है. जब इंडस्ट्रियल एरिया के फेज संख्या 3 के प्लॉट नंबर सी 35 स्थित परफेक्ट टूलिंग एंड पैकेजिंग कंपनी यानि पीटीपीसी कंपनी में हुए जीएसटी रेड पड़ती है.
दरअसल पीटीपीसी कंपनी के अस्तित्व से ही भ्रष्टाचार की बू आ रही है. जिस जमीन पर पीटीपीसी कंपनी स्थापित है वह कंपनी जिंको इंडिया के नाम से जियाडा में निबंधित है. जिसकी प्रोपराइटर आशा अग्रवाल और सिद्धि सिंह है. आशा अग्रवाल साल 2009 में अपने पार्टनर सिद्धि सिंह को प्लॉट हस्तांतरित कर देती है. इसके लिए बकायदा तब के आयडा अब जियाडा में आवेदन भी दिया गया है. प्लॉट के एवज में सारे कर्ज सिद्धि सिंह चुका रही है. बैंक का लोन चुकाने के लिए कंपनी और मकान तक गिरवी रखा हुआ है, जिसके सारे दस्तावेज बैंक और जियाडा में जमा है. बावजूद इसके पीटीपीसी कंपनी कैसे यहां संचालित हो रही है ! मतलब कहीं न कहीं किसी स्तर भ्रष्टाचार हुआ है, जिसकी जांच जरूरी है.
हाईकोर्ट के निर्देश पर जियाडा ने किया आवंटन रद्द, फिर कैसे चल रहा पीटीपीसी कंपनी !
बताया जा रहा है कि सिद्धि सिंह ने अपनी पार्टनर आशा अग्रवाल के खिलाफ धोखाधड़ी करने का मुकदमा दर्ज कराया है. जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है, कि आशा अग्रवाल द्वारा एक तरफ प्लॉट के कर्ज के एवज में सिद्धि सिंह को आवंटन कर दिया गया. सिद्धि सिंह कर्ज की जवाबदेही उठा रही है. उधर आशा अग्रवाल ने अनुसील वासुदेव को जमीन किराए पर देकर शहर से गायब हो गयी. सिद्धि का दावा है कि जब कंपनी का आवंटन रद्द कर दिया गया है तो पीटीपीसी कंपनी कैसे संचालित हो रहा है ? आवंटन अगर रद्द हो गया है तो सिद्धि कर्ज क्यों चुकाए ? वैसे मामला आदित्यपुर थाने में दर्ज है. पुलिस चुप क्यों है ये भी बड़ा सवाल है.
जीएसटी नम्बर अलॉटमेंट भी सवालों के घेरे में
पीटीपीसी कंपनी के नाम से जीएसटी नम्बर कैसे अलॉट हुआ इसकी भी जांच होनी चाहिए. जब जिंको इंडिया के मालिक अनुशील वासुदेव एवं शाहनवाज अहमद हैं ही नहीं तो जिंको इंडिया के नाम से आवंटित प्लॉट पर पीटीपीसी के नाम से जीएसटी कैसे अलॉट हो गया ! जीएसटी विभाग शुक्रवार से उक्त कंपनी में सर्वे कर रही है उन्हें यह बताना चाहिए कि आखिर किन नियमों के तहत पीटीपीसी को जीएसटी नंबर अलाट किया गया है.
बिजली कनेक्शन पर भी उठ रहे सवाल
पीटीपीसी कंपनी में बिजली कनेक्शन पर भी सवाल उठ रहे हैं 4 साल पूर्व बिजली विभाग ने यहां कनेक्शन काट दिया था. जिसके बाद आयडा ने ही अनुशंसा कर टेंपरेरी बिजली कनेक्शन जुड़वाया था, जिसकी मियाद 1 महीने की होती है. आखिर जियाडा ने किसके आदेश से बिजली कनेक्शन जुड़वाया. जो अब तक यहां बिजली जल रहा है. किस ग्राउंड पर पीटीपीसी कंपनी को बिजली दिया गया है, इसकी भी जांच होनी चाहिए. आखिर किसके मिलीभगत से इतना बड़ा खेल खेला जा रहा है.
अंत में
वैसे हमारे रिपोर्टर तो यहां जीएसटी रेड की खबर करने पहुंचे थे. जीएसटी के अधिकारियों ने वरीय अधिकारियों से बात करने की बात कहते हुए हमें अपनी मंशा स्पष्ट कर दी, कि वे इस संबंध में कुछ नहीं बताएंगे. चलिए यह एक बात है. हम थोड़ा और इंतजार करते हैं, ताकि कंपनी का कोई अधिकृत व्यक्ति आकर अपना पक्ष रखें, कि जीएसटी की रेड क्यों पड़ी है. देर शाम कंपनी से एक व्यक्ति बाहर निकलता है, जिसे हम नहीं पहचानते और भी पत्रकार वहां कवरेज के लिए मौजूद थे. वह अधिकारी अपनी मोबाइल से वीडियो बना रहा है. क्यों बना रहा है, यह हम नहीं बता सकते. शायद वह व्यक्ति किसी को वीडियो कॉलिंग से पत्रकारों का परिचय करा रहा है. उस व्यक्ति की भाषा सुनिए…. मैं तुम लोगों को देख लूंगा…. तुम लोग डिस्टर्ब कर रहे हो….. मैं तुम्हारी शिकायत एसपी से करूंगा…. देख लो अनिल यही वो लोग हैं… आखिर यह अनिल है कौन ? किसे यह व्यक्ति वीडियो कॉलिंग कर पत्रकारों का परिचय करा रहा है ? क्या अनिल सफेदपोश है ? वर्दीधारी है ? क्रिमिनल है ? माफिया है, या कोई बड़ा रसूखदार ! आखिर यह अधिकारी मीडिया कर्मियों का परिचय किससे करा रहा है ? सूत्र बताते हैं कि यह व्यक्ति अनुशील वासुदेव है जो खुद को झारखंड पुलिस के एक बड़े अधिकारी का मित्र बताता है.
बाईट
सिद्धि सिंह
उसी के धौंस पर उसने सारे सरकारी विभागों के अधिकारियों से परिचय बनाकर गलत तरीके से उक्त कंपनी को पीटीपीसी के नाम से चला रहा है. पीटीसीसी का मालिक आज भी सामने आकर अपनी बात क्यों नहीं रख रहा ? जियाडा के अधिकारी अपने कक्ष से क्यों गायब रह रहे हैं ?
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