आदित्यपुर: गुरुवार को दिनभर चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद अंततः सरायकेला जिले के आदित्यपुर थाना अंतर्गत हथियाडीह में जमना ऑटो को प्रशासन ने छठे दिन कब्जा दिला दिया है. बता दें कि गुरुवार सुबह से ही ग्रामीणों के भारी विरोध के बीच एसडीएम पारुल सिंह, चांडिल एसडीपीओ संजय सिंह, सीओ गिरेन्द्र टूटी के साथ आदित्यपुर, गम्हरिया एवं कांड्रा के थानेदारों ने मोर्चा संभाला और कड़ी सुरक्षा के बीच जमना ऑटो के जमीन की घेराबंदी शुरू कराई. इधर प्रशासनिक सख्ती को देखते हुए बाहरी लोग मौके से भाग खड़े हुए.
विदित हो कि बुधवार को बिरसा सेना, जेबीकेएसएस और बीजेपी ने कंपनी का पुरजोर विरोध करते हुए काम बंद करा दिया था. सभी ने सरकार और स्थानीय विधायक सह मंत्री चंपई सोरेन को इसके लिए दोषी ठहराया था. इधर गुरुवार को प्रशासन पूरे लावलश्कर के साथ विवादित स्थल पर पहुंची और विरोध में बैठे ग्रामीणों को मनाने का प्रयास किया. शुरुआती दौर में ग्रामीणों ने प्रशासन की बातों को मानने से इंकार कर दिया उसके बाद कई दौर की वार्ता हुई, जिसमें सड़क, सीएसआर के तहत विकास कार्य एवं स्थानीय ग्रामीणों को कंपनी में हाउसकीपिंग का काम देने पर राजामंदी हुई, जिसके बाद ग्रामीणों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया.
इस बीच पुनः ग्रामीण आ धमके और काम का विरोध करने लगे. जिसपर प्रशासन ने सख्ती दिखाई. जिसके बाद विरोध में बैठी महिलाओं को हिरासत में लेना शुरू किया. जैसे ही प्रशासन ने सख्ती दिखाना शुरू किया धीरे- धीरे विरोध में बैठे ग्रामीणों ने आंदोलन समाप्त कर दिया.
इधर विरोध में बैठे ग्रामीणों को स्थानीय मांझी बाबाओं ने फर्जी बताते हुए कहा कि बाहरी लोगों के प्रभाव में आकर मुट्ठी भर ग्रामीण कंपनी, प्रशासन और सरकार का विरोध कर रहे हैं. हथियाडीह के पारंपरिक मांझी बाबा ने बताया कि स्थानीय विधायक और मंत्री चंपई सोरेन की पहल पर ग्राम सभा द्वारा प्रस्ताव पारित कर कंपनी को काम करने की अनुमति दी गई है. जो विरोध कर रहे हैं वे न तो यहां के खतियान धारी हैं न ही क्षेत्र के विकास से उनका कोई लेनादेना है.
वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व जिला अध्यक्ष रंजीत प्रधान ने बताया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा शुरू से ही पारंपरिक ग्राम प्रधानों के साथ खड़ी है. ग्राम सभा से अनुमति मिलने के बाद ही मंत्री चंपई सोरेन के निर्देश पर कंपनी का काम शुरू हुआ है. ऐसे में बाहरी लोगों के प्रभाव में आकर भोले- भाले ग्रामीण मंत्री और सरकार को बदनाम कर रहे हैं.
इधर काम शुरू होते ही जमना ऑटो प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों के चेहरे पर रौनक लौट गई. कंपनी के प्लांट हेड ने सरकार, जिला प्रशासन और मंत्री चंपई सोरेन के प्रति आभार जताया और कहा सभी के सामूहिक प्रयास से प्लांट लगने का रास्ता प्रशस्त हो सका है. उन्होंने बताया कि ग्राम सभा से जो भी प्रस्ताव पारित किए गए सभी को प्रबंधन द्वारा मान लिया गया है और सारे विवादों का निपटारा हो चुका है. जल्द ही यहां कंपनी अस्तित्व में आ जाएगा और स्थानीय लोगों को इसका सीधा लाभ भी मिलेगा. कुल मिलाकर छः दिनों से चले आ रहे नाटकीय घटनाक्रम का गुरुवार को फटाक्षेप हो गया है.
वैसे अहम सवाल ये है, कि आखिर वे बाहरी ताकत कौन थे जिन्होंने काम में हस्तक्षेप किया और भोले- भाले ग्रामीणों को सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ भड़काया. यहां प्रशासन के सूझबूझ की भी दाद देनी होगी, जिन्होंने बगैर संयम रखते हुए बेहद ही सावधानी पूर्वक बीच का रास्ता निकाला और कंपनी को आवंटित भूखंड पर कब्जा दिलाने में सफलता हासिल की.
क्या है विवाद का कारण
बता दें कि जियाडा द्वारा जमना ऑटो प्राइवेट लिमिटेड को 13. 5 एकड़ जमीन उद्योग के लिए आवंटित किया गया है. यहां के खाली जमीन पर हथियाडीह के ग्रामीण कई सालों से सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं खेल के मैदान के रूप में प्रयोग करते थे. शुरू में ग्रामीणों ने इसका विरोध किया जिसके बाद ग्राम सभा के माध्यम से ग्रामीणों के लिए खेल का मैदान विकसित करने और आने- जाने के लिए 20 फीट का रोड के लिए जगह छोड़ने, सीएसआर के तहत इलाके का विकास करने एवं स्थानीय युवाओं को कंपनी में हाउसकीपिंग का काम देने पर सहमति बनी जिसके बाद कंपनी ने काम शुरू किया. इस बीच मामले को अलग रूप दे दिया गया और जेबीकेएसएस, बीजेपी और बिरसा सेना ने काम पर रोक लगा दिया. जिसके बाद मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया. हालांकि प्रशासन ने सूझबूझ का परिचय देते हुए मामले को संभाला और किसी तरह से काम शुरू कराया.
क्या कहा मंत्री चंपाई सोरेन ने
मामले पर सवाल उठने पर मंत्री चंपाई सोरेन ने बताया कि उनके पहल पर ही हथियाडीह के ग्रामीणों को जियाडा द्वारा उजाड़े जाने से बचाया गया था. एक भी ग्रामीणों को उजड़ने नहीं दिया गया है. जियाडा द्वारा कंपनी को जमीन आवंटित किया गया है हमारी सरकार विकास विरोधी नहीं है. हम आदिवासियों- मूलवासियों के साथ कभी भी नाइंसाफी होने नहीं देंगे. बाहरी लोगों द्वारा भोले- भाले ग्रामीणों को गुमराह किया जा रहा है जिसे सफल होने नहीं दिया जाएगा.
मंत्री के इशारे पर हथियाडीह के जमीन को उद्यमियों को बेच दिया गया: महाली
इधर हथियाडीह के ग्रामीणों के साथ हुए घटनाक्रम पर सरायकेला विधानसभा के पूर्व भाजपा प्रत्याशी गणेश महाली ने मंत्री और स्थानीय विधायक चंपई सोरेन पर सीधा हमला करते हुए कहा है कि मंत्री के इशारे पर हथियाडीह के ग्रामीणों के साथ नाइंसाफी हुई है जिसे स्थानीय जनता कभी माफ नहीं करेगी. उन्होंने बताया की साजिश के तहत हथियाडीह के जमीन को उद्यमियों के हाथों सौंप दिया गया है.
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