आदित्यपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत दयाल रेजिडेंसी निवासी 54 वर्षीय महेंद्र अग्रवाल तथा उनके प्रतिष्ठान के एक स्टाफ अश्वनी महतो का अपहरण कर लिया गया. महेंद्र अग्रवाल की पत्नी सपना अग्रवाल ने आदित्यपुर थाना को लिखित शिकायत की है. पुलिस ने भादवि की धारा 363 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान शुरू कर दिया है.
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महेंद्र अग्रवाल की पत्नी सपना अग्रवाल ने बताया, कि 27 अगस्त को उनके पति और एक स्टाफ अश्वनी महतो मुड़िया स्थित आटा चक्की कम्पनी के लिए निकले थे, लेकिन वे फिर वापस नहीं लौटे. बताया, कि जब फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया तो महेंद्र अग्रवाल काफी दबी हुई आवाज में बातें कर रहे थे. कुछ देर बाद मोबाइल बंद हो गया. पुलिस ने घटना की जानकारी मिलते ही टीम का गठन कर व्यवसायी की तलाश शुरू कर दी है. डीएसपी हेडक्वार्टर चन्दन वत्स के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई है, जिसमें आदित्यपुर थाना प्रभारी राजेंद्र प्रसाद, गम्हरिया थाना प्रभारी कृष्ण मुरारी, कांड्रा थाना प्रभारी राजन कुमार, राजनगर थाना प्रभारी चन्दन कुमार और चांडिल थाना प्रभारी शामिल हैं. समाचार लिखे जाने तक पुलिस जिस लोकेशन में व्यवसाई का मोबाइल स्विच ऑफ हुआ है वहां तालाश कर रही है.
सदमे में थे व्यवसायी
3 माह पूर्व व्यवसायी महेंद्र अग्रवाल के इकलौते पुत्र राहुल अग्रवाल की मौत बीमारी की वजह से हो गयी थी. जिससे वे और उनकी पत्नी सदमे में हैं.
कर्ज की बात को पत्नी के किया खारिज, पुलिस ने भी किया इंकार
मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया गया था कि व्यवसायी कर्ज में डूबे हुए हैं और इसी कारण उनका अपहरण किया गया है. इस सवाल को पत्नी सपना अग्रवाल ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कारोबार में घाटा नफा लगा रहता है, मगर ऐसा नहीं है कि कर्ज में मेरे पति आकंठ डूबे थे. हालांकि पुत्र की मौत और पति के अचानक गायब होने से वे सदमे में नजर आ रही हैं. वहीं थाना प्रभारी राजेन्द्र प्रसाद महतो ने भी कर्ज के कारण अपहरण की बात से इंकार किया. हालांकि जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट होने की बात उन्होंने कही.
फर्श से अर्श फिर अर्श पर पहुंचे व्यवसायी
व्यवसायी महेंद्र अग्रवाल मूल रूप से राजस्थान के रहनेवाले हैं. करीब 25 साल पूर्व महेंद्र जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित अपने रिश्तेदार के दुकान में बतौर डिलीवरी बॉय करियर की शुरुआत की थी. धीरे- धीरे अपनी मेहनत और लगन के बूते उन्होंने आदित्यपुर बस्ती में एक गल्ले की दुकान लगाई. धीरे- धीरे कई बड़े- बड़े संस्थानों में माल सप्लाई करते करते वहां कैंटीन का टेंडर खुद लेने लगे. बड़ी- बड़ी एजेंसियों के सीएनएफ लिए. रांची तक अपना कारोबार फैला लिया. मुड़िया में आटा मिल लगाया. किराए के मकान से सबसे पॉश इलाके में मकान खरीदा. अचानक करियर ढलान पर आना शुरू हो गया. कई कारोबार में घाटा होने लगे. धीरे- धीरे सब धंधे बंद कर दोनों पिता- पुत्र आटा मिल में ही ध्यान केंद्रित करने लगे. अचानक बेटे की मौत के बाद पूरा परिवार ही टूट गया.
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