आदित्यपुर: संगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए स्थापित ईएसआईसी अस्पताल आदित्यपुर इकाई में रेफरल के बाद किडनी मरीजों को मिलने वाली डायलिसिस सेवा भी मंगलवार से बंद कर दिया गया है. जिससे किडनी मरीजों की स्थिति खराब हो गई है. मरीजों के आश्रित बताते हैं कि उन्हें अपने मरीजों का हर महीने 12 डायलिसिस कराने की जरूरत पड़ेगी, जिससे मरीजों को 26 हजार प्रति माह भरने पड़ेंगे.
ईएसआईसी के अधीक्षक एमपी मिंज ने बताया कि ईएसआईसी का डायलिसिस करने वाली नेफ्रो प्लस के साथ टाई अप समाप्त हो चुका है. उसे केन्द्र से सेवाएं समाप्त करने का आदेश मिला है. बता दें कि ईएसआईसी में वर्तमान में 70 मरीज डायलिसिस के हैं, जिन्हें सप्ताह में 3 बार डायलिसिस कराने जरूरत पड़ती है. अब प्रश्न उठता है कि ईएसआईसी में वैसे मजदूर बीमित हैं जिनका वेतन 25 हजार से कम है. अब वे कैसे बाहर में अपने मरीजों को डायलिसिस अफोर्ड कर सकेंगे. विदित हो कि मार्च 2020 से गंभीर बीमारियों का रेफरल भी ईएसआईसी ने बंद कर रखा है. ईएसआईसी आदित्यपुर में तकरीबन 80 हजार बीमित मजदूर हैं जिनका स्वास्थ्य सुविधा के लिए कर्मचारी राज्य बीमा आयोग के साथ बीमा है. इन बीमितो से हर माह करोड़ों रुपए ईएसआईसी को मिलते हैं. इसके बावजूद मजदूरों के स्वास्थ्य सुविधाएं में कटौती करना कहां तक जायज है.
नेफ्रो प्लस ने आज अचानक नोटिस बोर्ड पर सूचना देकर कल से डायलिसिस की सुविधा बंद कर दी है. इस बात की सूचना डायलिसिस मरीज के परिजनों ने आदित्यपुर नगर पर्षद के पूर्व उपाध्यक्ष पुरेंद्र नारायण सिंह को दिया. जिसके बाद पुरेंद्र ने इसे अति आवश्यक बताते हुए तत्काल केंद्रीय श्रम एवं सामाजिक न्याय मंत्रालय के इस कदम को मजदूर विरोधी कदम बताते हुए इस संबंध में तत्काल एक मेल मंत्रालय को भेजा भी है. साथ ही केंद्रीय श्रम एवं सामाजिक न्याय मंत्री भूपेंद्र यादव के पीएस से भी उन्होंने फोन पर बात की. उन्होंने ईएसआईसी के अधीक्षक एमपी मिंज को तत्काल किडनी मरीजों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा है. चूंकि डायलिसिस कराने वाले मरीजों का इलाज प्रभावित होना उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है. ईएसआईसी के अधीक्षक एमपी मिंज मरीजों को ब्रह्मानंद अस्पताल और उमा अस्पताल जाने को कह रहे हैं, लेकिन मरीज के परिजन बताते हैं कि उमा अस्पताल में उचित सुविधा नहीं है जबकि ब्रह्मानन्द अस्पताल ने टाई अप खत्म होने को बात कही है. ऐसे में डायलिसिस के मरीज के परिजन असमंजस में हैं कि वे लोग कल से मरीज को लेकर कहां जाएंगे ?