आदित्यपुर: नगर निगम की ओर से क्षेत्र की सड़कों पर शुरू किए गए अतिक्रमण हटाओ अभियान के बाद आम लोगों ने राहत की सांसे ली है साथ ही नगर निगम के कार्रवाई का समर्थन भी किया है. समाजसेवी रमण चौधरी ने नगर निगम द्वारा उठाए गए कदम की सराहना करते हुए कहा काफी समय से क्षेत्र के लोग सड़क पर हो रहे अतिक्रमण की वजह से परेशान थे. खासकर थाना रोड में जिस तरह से अतिक्रमणकारियों का दबदबा बढ़ गया था उससे आदित्यपुर थाना, शहरी स्वास्थ्य केंद्र, पीएचडी कार्यालय, वन विभाग और बिजली विभाग के कार्यालय आने-जाने वाले लोगों और कर्मियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. नगर निगम और पुलिस प्रशासन ने अच्छा काम किया है. उससे भी बढ़िया पहल इन फुटपाथी दुकानदारों को बाजार के अंदर व्यवस्थित करने की जो तैयारी की गई है वह सराहनीय है.
कृषि उत्पादन बाजार समिति की भूमिका पर उठ रहे सवाल
नगर निगम की ओर से बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है. फुटपाथी दुकानदार डरे- सहमे है. हालांकि नगर निगम की ओर से उन्हें व्यवस्थित करने का प्रबंध किया जा रहा है, मगर हैरानी की बात यह है कि इस पूरे प्रकरण से कृषि उत्पादन बाजार समिति के अधिकारी गायब है. बता दे कि बाजार समिति द्वारा ठेकेदार बहाल की गई है जिसे बाजार के लिए चिन्हित स्थल दिंदली बाजार के अंदर दुकान लगवा कर उनसे सेवा शुल्क वसूलना है. हालांकि इसके लिए दर तय नहीं किए गए हैं, ना ही किसी प्रकार का नक्शा या लिमिट तय किया गया है कि किसे कितना भूखंड आवंटित किया जाना है जिसका लाभ उठाकर बाजार मास्टर द्वारा मनमाने ढंग से सेवा शुल्क वसूला जा रहा है. दिंदली बाजार में बड़े-बड़े रसूखदार दुकानदारों ने कब्जा जमा लिया है. एक- एक दुकानदार तीन- तीन, चार- चार दुकान बनाकर कारोबार कर रहे हैं. ऐसे भी दुकानदार हैं जिन्होंने बाजार के अंदर तो कब्जा जमाया ही है सड़कों पर भी अतिक्रमण कर कारोबार कर रहे हैं. बाजार समिति ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया. उल्टा ठेकेदार को अनुमति दे दी कि वह सेवा शुल्क वसूली करें. सेवा शुल्क कहां से वसूल करे इसका जिक्र नहीं किया गया जिसका नाजायज फायदा उठाकर ठेकेदार नगर निगम, स्थानीय पुलिस, संबंधित विभाग के कर्मचारियों- अधिकारियों के मिलीभगत से थाना रोड को मिनी मंडी में तब्दील कर दिया.
जिम्मेदार कौन!
थाना रोड के अतिक्रमण से हर कोई परेशान रहा. इसपर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी कई सवाल उठाते हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि इसी रोड में आदित्यपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र, आदित्यपुर थाना, ट्रैफिक थाना, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का कार्यालय, वन विभाग का कार्यालय और बिजली विभाग का कार्यालय है. सभी विभागों के अधिकारी- कर्मी और वहां से सरोकार रखनेवाले मरीज, मरीज के परिजन, थाना के फरियादी, संबंधित विभागों के उपभोक्ताओं को आने- जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता था. इन विभागों के अधिकारियों का आना-जाना भी होता रहा मगर किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई. कई बार इसकी शिकायत एसडीओ से लेकर उपायुक्त तक की गई मगर उपायुक्त ने कभी भी इस और ध्यान नहीं दिया. जिसका नतीजा हुआ कि बाजार मास्टर से लेकर छुटभैये नेताओं और जनप्रतिनिधियों के इशारे पर दिंदली बाजार से लेकर थाना रोड, टाटा- कांड्रा मुख्य मार्ग, खरकाई पुल, आकाशवाणी चौक, जियाडा के आगे की सड़क पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो गया. ऐसी बात नहीं है कि वे मुफ्त में कब्जा कर बैठे थे. उनसे बजावते शुल्क वसूला जाता है. इसे सेवा शुल्क कहे या गुंडा टैक्स यह हम जनता पर छोड़ते हैं. दिंदली बाजार के अंदर आदिवासियों दावे पर धार्मिक स्थल के नाम पर बड़ा भू-भाग आवंटित किया गया है. उसकी चाहर दीवारी कराई गई है. मगर धार्मिक स्थल के चारों ओर मीट- मछली, मुर्गा, अंडा विक्रेताओं का कब्ज़ा है और अवैध शराब के ठेके चल रहे हैं. दिंदली बाजार को लेकर पुराने लोगों का कहना है कि वहां कभी भी धार्मिक स्थल नहीं था. वह शुरू से हाट- बाजार ही था बावजूद इसके आदिवासियों की मांग पर धार्मिक स्थल के लिए जमीन आवंटित किया गया मगर उसकी शुद्धता और पवित्रता खतरे में है इस पर आदिवासी समुदाय के लोग मौन क्यों है यह समझ से परे है. अंदरखाने की माने तो छोटे- छोटे छत्रप अपने- अपने क्षेत्राधिकार में अवैध वसूली कर दुकाने सजवा रहे हैं. बड़े नेता वोट बैंक के लोभ में कुछ भी बोलने से बचते हैं. नतीजतन परिणाम सबके सामने हैं.
आपदा को अवसर में बदलने में माहिर है बाजार मास्टर निगम को रहना होगा सावधान
बता दे कि जब-जब प्रशासनिक सख़्ती बढ़ी, तब- तब बाजार मास्टर ने बेहद ही चतुराई से न केवल अधिकारियों को मैनेज किया बल्कि दुकानदारों को आपस में लड़वाकर जिसे चाहा उसे उजाड़ा और जिसे जहां चाहा उसे वहां बसाया. कोविड के दौर में जिला प्रशासन के आदेश पर जयप्रकाश उद्यान में अस्थाई मार्केट लगाने की अनुमति दी गई. बाजार मास्टर ने वहां भी कब्जा जमा लिया जो आज तक बरकरार है. वहां के भी दुकानदारों से सेवा शुल्क वसूले जा रहे हैं, जबकि साफ- सफाई नगर निगम कराती है. इसबार भी नगर निगम की ओर से बाजार के अंदर साफ- सफाई कराकर फुटपाथी दुकानदारों को व्यवस्थित तरीके से बसाने की योजना चल रही है कहीं ऐसा ना हो कि वहां भी बाजार मास्टर सेवा शुल्क वसूले और थाना रोड पर फिर से कब्ज़ा हो जाए. हालांकि अभी भी पूर्ण रूप से फुटपाथी दुकानदारों को हटाया नहीं गया है.
झामुमो ने उपायुक्त से उठायी दिंदली बाजार को सुव्यवस्थित करने की मांग
आदित्यपुर थाना रोड से लेकर एस टाईप चौक तक सर्विस रोड पर हुए अतिक्रमण को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा युवा विंग के अध्यक्ष भुगलू सोरेन उर्फ डब्बा सोरेन ने उपायुक्त को पत्र लिखकर दिंदली बाजार को पूर्ण रूप से सुव्यस्थित करने की मांग की है. साथ ही उन्होंने बाजार के दुकानों का दर तय करने और सीमांकन निर्धारित करने की मांग की है. उपायुक्त को सौंप मांग पत्र में भुगलू सोरेन ने आरोप लगाया है बाजार व्यवस्थित नहीं होने के कारण बाजार मास्टर द्वारा सुनियोजित तरीके से सड़क का अतिक्रमण कराया गया और दर एवं एरिया का सीमांकन नहीं होने के कारण मनमाना महसूल वसूल किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि बाजार मास्टर के द्वारा अपने मनचाहे लोगों को बाजार के अंदर मनमाने ढंग से पैसा लेकर मनचाहा जगह दिया जाता है जिससे बाजार मास्टर और दुकानदार सरकारी राजस्व का हनी कर अपना निजी लाभ बढ़ा रहे हैं.