आदित्यपुर: करीब चार सौ करोड़ की जलापूर्ति योजना के कच्छप चाल को गति देने और निगम प्रशासन को कुम्भकर्णी निंद्रा से जगाने के उद्देश्य से शनिवार को सामाजिक संस्था जन कल्याण मोर्चा एवं आदित्यपुर अधिवक्ता संघ के बैनर तले नगर निगम के खिलाफ महाधरना दिया गया. जिसमें आदित्यपुर नगर निगम के लगभग तमाम प्रबुद्ध जन, बुद्धिजीवी, अलग- अलग राजनीतिक दलों के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे और महाधरना में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर आने वाले दिनों में बड़े जन आंदोलन की बुनियाद रखी.
वैसे इस महाधरना में आयोजकों द्वारा आदित्यपुर नगर निगम के महापौर एवं उप महापौर को भी आमंत्रित किया गया था, मगर वे अनुपस्थित रहे. इतना ही नहीं इस महाधरना से भारतीय जनता पार्टी ने भी खुद को अलग रखा. वजह चाहे जो भी हो, मगर आदित्यपुर में यह चर्चा का विषय बन गया, कि आखिर जनहित के मुद्दे पर भाजपाइयों ने खुद को अलग क्यों रखा ? पूरे आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में पानी को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है फिर क्या वजह रही कि जनहित के मुद्दे पर भाजपाईयों ने किनारा कर लिया ! क्या भाजपाई मेयर एवं डिप्टी मेयर की खिलाफत करने की हिम्मत न जुटा सके ?
वैसे महाधरना सफल रहा. महाधरने में शामिल लोगों ने यह साबित कर दिया कि आनेवाला समय निगम प्रशासन और संवेदक के लिए बेहद ही चुनौतियों भरा होनेवाला है.
पुरेन्द्र दिखे लय में कहा, आदित्यपुर को सर्वश्रेष्ठ नगर निगम बनाने के आंदोलन को करेंगे भरपूर समर्थन
आदित्यपुर नगर निगम में केंद्र प्रायोजित प्रस्तावित वृहद जलापूर्ति योजना लेटलतीफी के विरुद्ध आयोजित एक दिवसीय महाधरना में शामिल होते हुए आदित्यपुर नगर निगम के पूर्व उपाध्यक्ष पुरेंद्र नारायण सिंह ने एजेंसी, विभाग एवं नगर निगम बोर्ड को आड़े हाथ लिया. जनकल्याण मोर्चा और अधिवक्ता संघ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित महाधरना में आदित्यपुर नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर को आमंत्रित करने के बावजूद नहीं पहुंचने पर पुरेंद्र नारायण सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि योजना लेटलतीफी के लिए एजेंसी, विभाग के साथ- साथ नगर निगम बोर्ड भी जिम्मेदार हैं. इन्होंने कहा कि 5 सालों में एक बार भी मेयर, डिप्टी मेयर या किसी वार्ड पार्षद ने जलापूर्ति योजना के देरी होने पर बोर्ड बैठक में जोरदार आवाज नहीं उठाई है. उन्होंने सवाल किया कि नगर निगम बोर्ड के लोग कितनी बार जलापूर्ति योजना को लेकर विभाग के मंत्रियों, वरीय अधिकारियों से मिले ? उन्होंने यह भी सवाल किया कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए एनओसी नहीं मिलने की स्थिति में कितनी बार नगर निगम बोर्ड के लोग वन विभाग के उच्च अधिकारियों से मिले ?
उन्होंने कहा कि जब वे 5 साल पूर्व पार्षद थे तो अपने वार्ड में रोड नंबर 15, 16 एवं रोड नंबर 17, 18 में घर- घर जलापूर्ति योजना देने का काम किया था, मगर पिछले 5 साल में एक भी वार्ड में घर- घर जलापूर्ति देने पर काम नहीं किया गया. जलापूर्ति के नाम पर डीप बोरिंग और टैंकर से जलापूर्ति कर नगर निगम लोगों को बाल्टी, डेकची, हंडी से पानी ढोने को मजबूर कर रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार के गांव- गांव में नल जल योजना के द्वारा घर- घर पानी पहुंचा दिया गया है और टाटा जैसे शहर में लोग चापाकल और डीप बोरिंग से पानी ढोने को मजबूर है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नगर निगम के निर्वाचित जनप्रतिनिधि जानबूझकर घर- घर जलापूर्ति योजना पर पिछले 5 वर्षों में काम नहीं किया ताकि लोग उनसे पानी मांगे और वे टैंकर उपलब्ध कराकर झूठी वाहवाही बटोर सके. उन्होंने कहा कि जलापूर्ति योजना को धरातल पर आने में अभी समय लगेगा इसलिए नगर निगम को शीघ्र ही नल जल जैसी योजना या डीप बोरिंग के माध्यम से घर- घर जलापूर्ति योजना पर काम करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि गर्मी के दिनों में नगर निगम पर्याप्त मात्रा में लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने में विफल रहती है, उल्टे जब लोग अपने पैसे से जल संकट का समाधान कराने हेतु बोरिंग कराना चाहते हैं तो उन्हें परमिशन के नाम पर महीनों दौड़ाया जाता है. उन्होंने कहा कि टैंकर से जलापूर्ति का नगर निगम में कोई रोस्टर नहीं है. उन्होंने कहा कि 35 में सिर्फ 10 वार्ड में विशेष ध्यान दिया जाता है और बाकी 25 वार्ड में अपेक्षाकृत कम टैंकर उपलब्ध कराया जाता है.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जलापूर्ति, सीवरेज एवं गैस पाइपलाइन बिछाने वाले एजेंसियों में तालमेल नहीं होने का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. पूरे आदित्यपुर की सड़कों को बारी- बारी से काटने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पूरा नगर निगम गड्ढों में तब्दील हो चुका है. रेस्टोरेशन का काम समय पर पूरा नहीं होने से अब तक सैकड़ों लोग दुर्घटनाग्रस्त होकर अपना हाथ- पैर तुड़वा चुके हैं. उन्होंने कहा कि अब जनता जाग चुकी है और आने वाले समय में ऐसे जनप्रतिनिधियों को सबक सिखाने का काम करेगी. उन्होंने कहा कि आदित्यपुर को सर्वश्रेष्ठ नगर निगम बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों और आंदोलनों का वे भरपूर समर्थन करेंगे.
एक हफ्ते का अल्टीमेटम
महाधरना के माध्यम से मोर्चा एवं अधिवक्ता संघ ने स्पष्ट कर दिया कि एक सप्ताह तक इंतजार किया जाएगा. यदि सभी साइट पर तेजी से कार्य प्रारम्भ नहीं हुए, तो मोर्चा फिर से आदोलन तेज करेगा एवं कानूनी कारवाई भी करेगा. कहा कि मोर्चा फॉरेस्ट से भी क्लीयरेंस दिलाने का प्रयास करेगा.
शनिवार के महाधरना में मुख्य रूप से सीटू के वरीय नेता केके त्रिपाठी, राजद की प्रदेश नेत्री शारदा देवी, एसयूसीआई नेत्री लीली दास, पार्षद पांडी मुखी, नीतू शर्मा, अजय सिंह, मालती देवी, वृद्ध शांति निकेतन के संस्थापक अध्यक्ष आरएस सिंह, एसिया अध्यक्ष संतोष खेतान, महासचिव दशरथ उपाध्याय, सचिव सुधीर सिंह, मुस्लिम बस्ती के नाजिर हुसेन, एनके तनेजा, प्रमोद सिंह, पूर्व पुलिस उपाधीक्षक सरयु पासवान, पूर्व उपाध्यक्ष एवं राजद प्रदेश महासचिव पुरेन्द्र नारायण सिंह. कमलेश्वरी पासवान, जवाहरलाल सिंह, अभियन्ता डीएन सिंह, युवा नेता बृज मोहन सिंह, टीएमसी नेता बाबू तांती, शंकर दास, सुशील मंडल (दिन्दली), शिक्षाविद एसडी प्रसाद, अधिवक्ता कृष्णा जी प्रसाद, बीएन ओझा, मनोज कुमार, दिलीप कुमार, विनोद ठाकुर, मदन सिंह, मनोज झा, एलबी ठाकुर, अशोक कुमार, राजेंद्र गुप्ता, पप्पू रजक, लक्ष्मी तिवारी, रघुनाथ सिंह, लालू सरदार, पर्यावरणविद सुबोध शरण पर्यावरण विद अभियंता अमरेश कुमार, पूर्व पार्षद धनंजय गुप्ता, बबीता देवी, किशन प्रधान, सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे.