आदित्यपुर: सरायकेला में चार दिवसीय लोकआस्था का महापर्व छठ संपन्न हो गया. हालांकि आदित्यपुर के कुलुपटंगा घाट में हुए हादसे के बाद छठ व्रतियों में थोड़ी मायूसी जरूर देखी गई. विदित हो कि कुलुपटंगा घाट में रविवार पहले अर्ध्य के दिन 22 वर्षीय युवक कुंदन शुक्ला की डूबने से मौत हो गई थी, जिसके बाद छठ पूजा की तैयारियों में जुटे स्वयंसेवी संगठनों ने सारे तामझाम को सीमित कर सादगी पूर्वक छठ संपन्न कराने की घोषणा कर दी. हालांकि अन्य जगहों से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली.
इधर प्रशासन की ओर से आदित्यपुर नगर निगम के वार्ड 34 में घोषित डेंजर जोन बाबाकुटी घाट में इस साल व्रतियों ने अर्ध्य नहीं दिया. कुलुपटंगा घाट की घटना के बाद प्रशासन ने यहां सख्ती और बढ़ा दी, जिससे मायूस व्रतियों ने ट्रांसपोर्ट कॉलोनी घाट का रुख किया. इस दौरान स्थानीय लोगों में प्रशासन और नगर निगम के खिलाफ आक्रोश भी देखा गया.
65 लाख का छठ घाट चढ़ गया भ्रष्टाचार की भेंट, जिम्मेदार मौन
विदित हो कि छठ पर्व के मौके पर बाबाकुटी घाट में हर साल डेढ़ से दो हजार श्रद्धालुओं का जुटान होता है. इतना ही नहीं उक्त घाट में हर दिन बंता नगर और बाबाकुटी के सैकड़ों लोग दैनिक नित्य कर्म के लिए आते हैं. नगर निगम ने यहां 65 लाख की लागत से सीढ़ीनुमा छठ घाट का निर्माण कराया था, जो उद्घाटन से पहले ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. इतना ही नहीं घाट के टूटने से जो पारंपरिक घाट थे वे भी डेंजर जोन में तब्दील हो गए. इस मामले को तत्कालीन माननीय एवं विभागीय अधिकारियों ने दबा दिया. नतीजा हर साल छठ पर्व के मौके पर प्रशासन इसे डेंजर जोन घोषित कर अपना पल्ला झाड़ लेती है जिससे हर साल यहां के श्रद्धालुओं को मायूसी झेलनी पड़ती है. वैसे निरीक्षण के दौरान हर साल इस घाट पर प्रशासनिक अमला जुटता है जांच की बात होती है मगर छठ पर्व के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. तत्कालीन उपायुक्त अरवा राजकमल से लेकर वर्तमान उपायुक्त रविशंकर शुक्ला तक बाबाकुटी छठ घाट पर आ चुके हैं, मगर यहां के श्रद्धालुओं के दर्द पर मरहम लगाने के बजाय डेंजर जोन का ठप्पा लगाकर अपनी जिम्मेदारी निभा जाते हैं. वैसे वर्तमान एसडीओ पारुल सिंह ने छठ के बाद मामले की जांच का भरोसा दिलाया है, अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या जांच होती है या एसडीओ का आश्वासन भी हवा- हवाई साबित होगा. वैसे इसबार बाबाकुटी के लोगों में नगर निगम और जिला प्रशासन के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश देखा गया है. यदि प्रशासन अपने वायदे पर अडिग रहते हुए पूरे मामले की जांच नहीं कराती है और उक्त घाट को दुरुस्त नहीं कराती है तो, संभव है कि प्रशासन को आनेवाले दिनों में भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है.