आदित्यपुर (KUNAL KUMAR) बुधवार को चांडिल डैम के विस्थापितों ने आदित्यपुर स्थित स्वर्णरेखा परियोजना कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया. चांडिल डैम विस्थापित अधिकार मंच के बैनर तले सैकड़ो विस्थापितों ने स्वर्णरेखा परियोजना के कार्यालय पर धरना- प्रदर्शन करते हुए विभाग और सरकार को आर- पार की लड़ाई लड़ने का अल्टीमेटम दिया है. विस्थापितों ने साफ कर दिया है कि इस बार अपना हक और अधिकार लेकर रहेंगे.
दरअसल विस्थापितों का विरोध इस बात को लेकर है कि बगैर जमीनी हकीकत जाने विभाग ने बीते 25 नवंबर को एक अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत डैम के विस्थापितो के लिए दावा- आपत्ति के लिए 31 दिसंबर तक की समय- सीमा निर्धारित की गई है. विस्थापितों का कहना है कि 8 जुलाई को विभाग से चिट्ठी निकलता है. 25 नवंबर को अखबारों के माध्यम से विज्ञापन जारी किया जाता है और 31 दिसंबर तक की समय- सीमा निर्धारित की जाती है, जो सरासर तुगलकी फरमान है और अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाती है.
विस्थापितों ने बताया कि देश के विकास के लिए उन्होंने अपनी जमीन दी है, मगर आज वे अपने ही राज्य में रिफ्यूजी बनकर रह गए हैं. ना तो 84 मौजा के 116 गांव के विस्थापितों का पूर्ण पुनर्वास हो सका है, ना ही उन्हें जमीन का पट्टा दिया गया है और न ही पूर्ण नियोजन हुआ है, ऊपर से तुगलकी फरमान जारी कर विस्थापितों को विभाग और सरकार परेशान कर रही है, मगर अब लड़ाई आर- पार की होगी. किसी कीमत पर यह आदेश स्वीकार्य नहीं होगा. विस्थापितों ने सरकार और विभाग से अपने आदेश में तब्दीली लाने की मांग की है.
बता दे कि स्वर्णरेखा परियोजना के अस्तित्व आने से चार दशक से भी अधिक का समय बीत चुका है. चांडिल डैम के 84 मौजा के 116 गांव के विस्थापितों का पूर्ण पुनर्वास और नियोजन नहीं हो सका है, जिसको लेकर आए दिन विस्थापितों, परियोजना के अधिकारियों एवं सरकार के बीच तनातनी होती रहती है. एक- बार फिर से सरकारी आदेश के बाद विस्थापित और सिंचाई विभाग आमने- सामने है. आगे देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या विभाग अपने आदेश में बदलाव लाती है, या विस्थापितों का आंदोलन और उग्र होता है.