आदित्यपुर/ Sumeet Singh सरकार बेटियों को पढ़ाने को लेकर कई दावे करती है. सरकार “बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ” के नारे को लेकर खूब वाहवाही लूट रही है, मगर सरकार के इस नारे को निजी स्कूल ठेंगा दिखा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला सरायकेला- खरसावां जिला के आदित्यपुर नगर निगम वार्ड 17 स्थित सेंट्रल पब्लिक स्कूल का सामने आया है.
जहां स्कूल प्रशासन ने बीपीएल श्रेणी की एक छात्रा के परिजनों को नामांकन फॉर्म यह कहते हुए देने से इंकार कर दिया कि उनका बीपीएल कार्ड किसने बनाया ? सवाल यह उठता है, कि यह जांचने का अधिकार स्कूल का है या उस प्रशासन का जिसने बच्ची के परिजनों को बीपीएल कार्ड बना कर दिया है !
क्या है मामला
दरअसल आदित्यपुर नगर निगम वार्ड 20 की रहने वाली रेखा देवी अपने 5 वर्षीय पुत्री इशिका का सेंट्रल पब्लिक स्कूल में नामांकन कराना चाहती है पिछले 3 दिनों से रेखा देवी स्कूल का चक्कर काट रही है. पहले दिन स्कूल जाने पर प्रबंधन द्वारा यह कहकर लौटा दिया गय, कि आपके घर से स्कूल की दूरी अधिक है, इसलिए गायत्री स्कूल में नामांकन कराएं. जबकि गायत्री स्कूल और सेंट्रल पब्लिक स्कूल की दूरी महिला के घर से समान है. ऐसा नहीं है कि सेंट्रल पब्लिक स्कूल में इससे अधिक दूरी के बच्चे नहीं पढ़ते हैं. फिर यह सवाल क्यों किया गया, इसकी जांच होनी चाहिए. दूसरे दिन पुनः महिला स्कूल गई और प्रबंधन से फॉर्म देने की मांग की. दूसरे दिन यह कहकर फॉर्म नहीं दिया गया, कि आय प्रमाण पत्र के साथ सभी प्रपत्रों की छाया प्रति के साथ आने पर ही फॉर्म दिया जाएगा. तीसरे दिन जब महिला सारे दस्तावेज लेकर पहुंची, तब प्रबंधन ने यह कह कर फॉर्म लेने से इनकार कर दिया कि आपका बीपीएल कार्ड किसने बनाया है ? जब आपका अपना घर है, भीतर महिला ने कहा कि अपना घर जरूर है मगर घर पर छत नहीं है तो क्या हम इसके हकदार नहीं हैं. स्कूल के इस रवैया से महिला बिफर उठी और रोते हुए स्कूल से निकल गई.
सुलगते सवाल
सवाल यह उठता है कि बीपीएल कार्ड के सत्यता की जांच करेगा कौन ? महिला ने बताया कि वह काफी उम्मीद लेकर स्कूल में आई थी, ताकि उसकी बेटी का भविष्य बन सके. मगर स्कूल जिस तरह से उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है उससे उसका सपना अधूरा रह जाएगा. वह मजबूर होकर अपनी बच्ची को सरकारी स्कूल में पढ़ाने को विवश हो जाएगी. महिला ने बताया कि अपना पेट काटकर भी बच्ची को पढ़ाना चाहती हूं, मगर स्कूल के ऐसे तानाशाही रवैया से मेरा भरोसा टूट गया है. मैं जाऊं तो कहां जाऊं !