आदित्यपुर: नगर निगम के अधीन पड़नेवाले आदित्यपुर दिंदली बाजार की आड़ में कृषि उत्पादन बाजार समिति से कर वसूली का टेंडर लेने वाली एजेंसी फुटपाथ और थाना रोड का अतिक्रमण कर वहां अवैध रूप से दुकान लगवाकर हर दिन हजारों रुपये की अवैध वसूली कर न केवल नगर निगम बल्कि सरकार को भी राजस्व का चूना लगा रही है. इसपर ध्यान देने की जरूरत है.
कृषि उत्पादन बाजार समिति को तय करनी चाहिए कि एजेंसी के शुल्क वसूली के दायरे कहां तक निर्धारित किए गए हैं. एजेंसी बाजार से बाहर यानी थाना रोड में लगने वाले दुकानों से किस आधार पर कर वसूली करती है. और इसके लिए कितनी राशि निर्धारित है. वैसे साफ- सफाई का जिम्मा नियमतः कृषि उत्पादन बाजार समिति को करना चाहिए, जबकि उक्त बाजार और अवैध रूप से थाना रोड में लग रहे दुकानों से फैलने वाली गंदगी को नगर निगम साफ करा रही है. हालांकि कृषि उत्पादन बाजार समिति फिलहाल भंग है. इसका संचालन कैसे हो रहा है और राजस्व की निगरानी कौन कर रहा है इसकी भी जांच होनी चाहिए.
इस संबंध में बाजार समिति के सचिव ने बताया कि टेंडर का दर तय है मगर दुकानदारों से कितना शुल्क लिया जाएगा इसका कोई विभागीय गाइडलाइन नहीं है. यानी संवेदक टेंडर लेने के बाद मनमाना शुल्क वसूल सकता है. इतना ही नहीं जब सचिव से पूछा गया कि बाजार का दायरा कहां तक निर्धारित है तो वे झेंप गए. उनसे जब पूछा गया कि बाजार से बाहर सड़क के किनारे अतिक्रमण कर लग रहे दुकानों से टैक्स वसूलने के आदेश है ? इसपर भी उन्होंने कोई सटीक जवाब नहीं दिया.
आपको बता दें कि आदित्यपुर थाना रोड में करीब डेढ़ सौ स्थायी (अतिक्रमण कर बनाए गए) और इतने ही अस्थायी दुकान हर दिन लगते है. दुकानदारों से 30- 50 रुपये तक प्रतिदिन वसूले जा रहे हैं. बाजार से अंदर जो वसूली हो रही है वो अलग. इतना ही नहीं कोविड काल में जय प्रकाश उद्यान में बने अस्थायी बाजार पर भी संवेदक ने कब्जा जमा लिया है. वहां आज भी दुकान सज रहे हैं और वहां से टैक्स वसूली का गोरखधंधा चल रहा है. किरीब 7.50 लाख में बाजार का टेंडर एजेंसी द्वारा तीन साल के लिए लिया गया है. जिसकी मियाद 2025 में पूरी हो रही है. करीब 20 हजार रुपये प्रतिदिन एजेंसी कर वसूल रही है. यानी एक साल में ही एजेंसी अपना पैसा वसूल चुकी है. अब तीनगुना लाभ कमा रही है.
बता दें कि थाना रोड में अवैध अतिक्रमण की वजह से हर दिन जाम की स्थिति बनी रहती है. आपातकाल की स्थिति में थाना, शहरी स्वास्थ्य केंद्र, बिजली विभाग का कार्यालय, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का कार्यालय वन विभाग का कार्यालय तहसील कार्यालय आने- जाने में लोगों के साथ कर्मियो को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. थाना और ट्रैफिक पुलिस भी इस मामले में मौन है. अब नगर निगम और जिला प्रशासन को क्लियर करना चाहिए कि सरकार के नाम पर राजस्व की उगाही किसके इशारे पर हो रहा है.