आदित्यपुर में अवैध अतिक्रमण पर आवास बोर्ड का बुल्डोजर चलते ही आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र की राजनीति हिलोरें मारने लगी है. गौरतलब है कि शुक्रवार को आवास बोर्ड द्वारा वर्षों से बोर्ड के जमीन पर अतिक्रमण कर रह रहे लोगों के कब्जे से मुक्त कराने का सिलसिला शुरू किया गया. शाम होते- होते राजनीतिक के खिलाड़ियों ने दांव खेलना शुरू कर दिया. सबसे पहले आदित्यपुर नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष सह राजद नेता पुरेन्द्र नारायण सिंह खटाल संचालकों एवं अतिक्रमणकारियों के साथ स्थानीय विधायक सा मंत्री चंपई सोरेन के आवास पर जाकर उक्त कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाने की मांग की.
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फोटो मंत्री चम्पई सोरेन से मिलते पुरेन्द्र नारायण सिंह की
तर्क यह दिया गया कि वर्षों से आवास बोर्ड के पास खटाल के लिए आवेदन दिए जाने के बाद भी आवास बोर्ड द्वारा उन्हें भूखंड मुहैया नहीं कराया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि जितने भी खटाल संचालक मंत्री चंपई सोरेन के पास पहुंचे थे, उनका खटाल कहीं और है, और मकान कहीं और. दूसरी बात कि आखिर इतने वर्षों से किसके इशारे पर खटाल संचालित हो रहे थे. अब तक आवास बोर्ड क्या कर रहा था ?
बरसात के मौसम में क्यों टूटी आवास बोर्ड की निंद्रा !
अब हम बात करते हैं झुग्गी झोपड़ियों की. इससे इनकार नहीं किया जा सकता, कि आवास बोर्ड की जमीन पर जितने भी झुग्गी झोपड़ी बने हैं वह आज के आज नहीं बने हैं. उन झुग्गी झोपड़ियों को किसके इशारे पर स्थापित होने दिया गया. बरसात के मौसम में अतिक्रमण हटाना किस मानसिकता का परिचायक है. क्या दर्जन भर झुग्गी झोपड़ियों और अवैध अतिक्रमण को हटाकर आवास बोर्ड क्षेत्र के लोगों को आंदोलित करना चाहती है ? या इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश है.
शुक्रवार को हटाए गए अतिक्रमण की तस्वीर
इधर शनिवार को आवास बोर्ड के संभावित अभियान से डरे सहमे झुग्गी झोपड़ियों के लोग गोलबंद होने लगे. हर चौक- चौराहों और नुक्कड़ों पर लोगों की जुबान पर एक ही सवाल थे कि क्या कोई उनकी बात सुनेगा ? क्या कोई फरिश्ता उनके आशियाने को बचाने आएगा ? जैसे जैसे दिन ढलता गया लोगों की धड़कनें बढ़ती गई. इसी बीच भाजपा नेता गणेश महाली, भाजपा आरआईटी मंडल अध्यक्ष अमितेश अमर, सतीश शर्मा वार्ड 20 के पूर्व पार्षद सुधीर कुमार चौधरी, कांग्रेसी नेता सह पूर्व मेयर प्रत्याशी अंबुज कुमार वगैरह प्रकट हुए और बस्ती वासियों को सांत्वना देते हुए आर- पार की लड़ाई का उलगुलान कर दिया. हालांकि आवास बोर्ड के बुल्डोजर ने मोर्चा संभाल चुका था, मगर कृष्णा नगर, हरिजन बस्ती, जनता रो हाउस, रिक्शा कॉलोनी आदि के सैकड़ों अतिक्रमणकारियों ने बुल्डोजर का रास्ता रोक दिया.
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क्या कहा नेताओं ने
भाजपा नेता गणेश महाली ने आवास बोर्ड प्रशासन की कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे झारखंड सरकार की ओछी मानसिकता करार दी. उन्होंने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार हर गरीब को मकान का सपना दिखा रही है, दूसरी तरफ झारखंड सरकार गरीबों के मकान उजाड़ने पर तुली है. आवाज बोर्ड की इस कार्रवाई से आदिवासी मूलवासी परिवार बेघर होंगे, ना कि आमिर परिवार बेघर होंगे. उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि एक भी गरीब का घर यदि उजड़ता है तो सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन किया जाएगा.
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गणेश महाली (भाजपा नेता)
वही आदित्यपुर नगर निगम वार्ड 20 के पूर्व पार्षद सुधीर कुमार चौधरी ने झारखंड सरकार के सचिव विनय कुमार चौबे के साल 2011 के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि एक तरफ सरकार के सचिव ने 10 साल से अधिक समय से सरकारी जमीन पर रह रहे लोगों को भूखंड आवंटित करने का आदेश जारी किया है. लोग उक्त भूखंड पर मकान बनाकर रह रहे हैं. सरकारी सुविधाएं उन्हें मुहैया कराई जा रही है. उनका बिजली कनेक्शन, आधार कार्ड, वोटर कार्ड सब कुछ बन चुका है. ऐसे में आवास बोर्ड की कार्रवाई कहीं से भी उचित नहीं है. उन्होंने कहा अगर आवास बोर्ड का बुलडोजर चलेगा तो पहले उनकी लाश से गुजरना होगा.
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सुधीर कुमार चौधरी (पूर्व पार्षद)
वहीं कांग्रेसी नेता अंबुज कुमार भी अतिक्रमणकारियों के समर्थन में कूद पड़े. उन्होंने आवास बोर्ड की कार्रवाई को जमीन माफियाओं के इशारे पर किए जाने की बात कही. उन्होंने भी दो टूक कह डाला जान देंगे पर जमीन नहीं देंगे. उन्होंने बताया कि 50 साल से भी अधिक समय से यहां गरीब आदिवासी मकान बनाकर रह रहे हैं. बगैर किसी प्लानिंग के आवास बोर्ड कैसे इन गरीबों को उजाड़ सकती है. आवास बोर्ड के पूर्व सचिव विनय कुमार चौबे के आदेशों का हवाला देते हुए उन्होंने भी सभी अतिक्रमणकारियों को कब्जा देने की मांग की. अन्यथा उग्र आंदोलन की चेतावनी दी.
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अंबुज कुमार (कांग्रेसी नेता)
क्या जनता को मिलेगा इंसाफ !
नेताओं के भरोसे इस उम्मीद के साथ जनता अपने आशियाने को बचाने में जुटी है कि किसी तरह से कार्रवाई टल जाए. मगर समाचार लिखे जाने तक नेताओं के साथ अतिक्रमणकारियों ने आवास बोर्ड का बुल्डोजर रोक रखा है. यूं कहें तो आवास बोर्ड और जनता आमने- सामने है. सूत्र बताते हैं कि मामला ऊपर लेवल से मैनेज किया जा रहा है. अब ऊपरी लेवल कौन है ये हम नहीं बता सकते. मगर इतना तो तय होना चाहिए कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर आवास बोर्ड की जमीन का अतिक्रमण कैसे हुआ ? जब अतिक्रमण हो रहा था उस वक्त विभाग कहां था ? अगर कार्रवाई करनी ही थी, तो बरसात के बाद भी यह कार्रवाई हो सकती थी. वैसे जानकर उक्त कार्रवाई को अगले साल होनेवाले नगर निगम चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि हर हाल में जनता फिर से जनता राजनीति का शिकार होने वाली है. होना ये चाहिए कि या तो उन्हें मालिकाना हक मिले या पूरे क्षेत्र से अवैध अतिक्रमण हटे.
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