आदित्यपुर: नगर निगम के वार्ड 22 स्थित अटल पार्क का टेंडर रद्द हो सकता है. मालूम हो कि बीते 11 जनवरी को हुए बीड में बीएम इंटरप्राइजेज 1.04 करोड़ की बोली लगाकर टेंडर हासिल करने में सफल हुई थी मगर टेंडर के एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी संवेदक ने हैंडओवर की प्रक्रिया पूरी नहीं की है. इसको लेकर नगर निगम की ओर से संवेदक को दो नोटिस भेजा जा चुका है.
क्या कहता है नियम
बायलॉज के अनुसार बीड की प्रक्रिया पूरी होने के तीन दिनों के भीतर संवेदक को राशि जमा कराकर हैंडओवर लेना है, मगर बीड के 20 दिनों बाद भी संवेदक ने टेंडर के शर्तों के अनुसार इकरारनामे की राशि नगर निगम में जमा नहीं किया है. जिससे बीड में शामिल अन्य संवेदकों का डीडी फंस गया है.
आगे क्या
नगर निगम के प्रशासक रवि प्रकाश ने बताया कि संबंधित संवेदक को हैंडओवर की प्रक्रिया पूरी करने के लिए दो- दो नोटिस जारी किया गया है अब तीसरे नोटिस भेजने की तैयारी चल रही है यदि संवेदक ने गंभीरता नहीं दिखाई तो टेंडर रद्द कर दिया जाएगा उसके बाद की प्रक्रिया के तहत आगे की कार्रवाई की जाएगी. नगर निगम के नियमावली के मुताबिक दूसरे सर्वेश्रेष्ठ बोली लगनेवाले संवेदक को मौका मिल सकता है या री- टेंडर की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है.
पढ़ें एक नजर में अटल पार्क के टेंडर से लेकर बीडिंग में क्या हुआ
बता दें कि बीते 11 जनवरी को हुए बीड में तीन संवेदकों बीएम इंटरप्राइजेज, राजमणि इंटरप्राइजेज और आरएस इंटरप्राइजेज को टेक्निकल स्वीकृति मिलने के बाद बोली लगी थी. इस बीड के लिए न्यूनतम बोली 36 लाख 45 हजार 250 रुपए रखी गयी थी. आरएस इंटरप्राइजेज 42 लाख की बोली लगाकर पिछड़ गया और उसने बीड से खुद को अलग कर लिया था. उसके बाद बीएम इंटरप्राइजेज और राजमणि इंटरप्राइजेज के बीच लगे बोली में राजमणि इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर मनमोहन सिंह ने 1.03 करोड़ की अंतिम बोली लगाई जिसके बाद बीएम इंटरप्राइजेज ने जैसे ही 1.04 करोड़ की बोली लगाई मनमोहन सिंह ने क्विट कर लिया. इसके साथ ही अटल पार्क का ठेका बीएम इंटरप्राइजेज को मिल गया. इसमें 18 % जीएसटी एवं 1% लेबर सेस संवेदक को अतिरिक्त चुकाने हैं. वहीं अटल पार्क के लिए शुल्क प्रति दिन के हिसाब से 15 हजार निर्धारित किया गया है. जिसमें जीएसटी अथवा किसी तरह का कोई शुल्क अलग से नहीं लिया जाएगा. बीड के बायलॉज के हिसाब से 15 हजार में अटल पार्क के भवन के अलावा किचन एवं लॉउंज भी दिया जाएगा इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लेना है. यदि ऐसा किया जाता है तो इसके लिए नगर निगम के प्रशासक अथवा उपनगर आयुक्त से शिकायत की जा सकती है.