सरायकेला: आदित्यपुर कॉलोनी के रोड नम्बर 7 निवासी 56 वर्षीय लालबाबू विश्वकर्मा की ध्वस्त हो चुके सिस्टम ने आखिर जान ले ली.
लालबाबू विश्वकर्मा ने बीते 24 अप्रैल को कोरोना वैक्सीन लिया था, उसके बाद उनकी तबियत बिगड़ने लगी, जिसके बाद परिजन उन्हें स्थानीय चिकित्सक के पास ले गए.
चिकित्सक द्वारा कॉमन प्रक्रिया बताते हुए कुछ एंटीबायोटिक दवाइयां दी गई. जिसके बाद भी उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं होने पर परिजनों को घबराहट हुई.
आनन-फानन में परिजन ब्रह्मानंद अस्पताल ले गए. मृतक के पुत्र के अनुसार उन्हें हर्ट और शुगर की समस्या थी. ब्रह्मानंद अस्पताल ने नो बेड का हवाला देते हुए भर्ती करने से इंकार कर दिया.
थक हार कर टाटा मुख्य अस्पताल का परिजनों ने रुख किया. जहां चिकित्सकों ने तत्काल एडमिट करने का निर्देश दिया, मगर बेड को लेकर यहां भी उन्हें निराशा मिली. इस बीच की मरीज की स्थिति बिगड़ती जा रही थी.
अंततः किसी तरह एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया जहां आइसोलेशन वार्ड A17 में एडमिट कराया जा सका. परिजनों ने बताया एडमिशन की प्रक्रिया में विलंब होने के कारण अस्पताल द्वारा इलाज शुरू नहीं किया जा सका जिससे देर रात अंततः मरीज ने दम तोड़ दिया.
आलम ये है कि एमजीएम अस्पताल द्वारा शुक्रवार दोपहर तक शव निस्तारण की प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है. अस्पताल प्रबंधन ने बताया, कि शव अभी भी बेड पर पड़ा हुआ है. शीत गृह में शव भरे पड़े हैं.
परिजनों ने सीधे- सीधे एमजीएम अस्पताल पर समय से इलाज शुरू नहीं करने का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि अगर समय रहते मरीज को ऑक्सीजन मुहैया हो गया होता तो उनकी जान बच सकती थी.