SARAIKELA सरायकेला- खरसावां जिला के कांड्रा पदमपुर स्थित आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
बता दें कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर उपायुक्त ने कंपनी द्वारा प्राकृतिक नाले में बेखौफ एवं लापरवाही से फ्लाई एश बहाने तथा नाला किनारे स्थित कई एकड़ रैयती खेतों के बर्बाद होने के मामले को संज्ञान में लेकर अनुमंडल पदाधिकारी को मामले की जांच करने का निर्देश दिया है. जानकारी हो कि गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत पदमपुर एवं आसपास गांव के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड पदमपुर कांड्रा द्वारा प्राकृतिक नाले में फ्लाई एश बहाने तथा नाला किनारे स्थित कई एकड़ रैयती खेतों को बर्बाद करने की शिकायत की थी. ग्रामीणों की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को इस संबंध में जांच करने का निर्देश दिया. जिसे संज्ञान में लेकर उपायुक्त अरवा राजकमल ने अनुमंडल पदाधिकारी राम कृष्ण कुमार को मामले की जांच करने का निर्देश दिया है. ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को दिए गए ज्ञापन में मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है कि सरायकेला- खरसावां जिला के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत पदमपुर से पिंड्राबेड़ा, रपचा, हरिहरपुर, चंपानगर, सालम पाथर, मोहनपुर मुर्गागूटू होते हुए रेघाडीह एक प्राकृतिक नाला बहता है जो स्वर्णरेखा नदी में मिल जाता है. यह नाला इन ग्राम वासियों के लिए जीवन रेखा है. सिंचाई एवं पेयजल से लेकर नहाने धोने तक इसका पानी बरसों से उपयोग किया जाता रहा है. पशु- पक्षी एवं पालतू जानवर भी इस नाले के पानी का उपयोग करते आ रहे हैं. परंतु पदमपुर स्थित आधुनिक पावर एंड नेचुरल नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड द्वारा अपने लाखों टन फ्लाईएश को प्राकृतिक नाला में बहा दिया जाता है, जो नाला के किनारे स्थित रैयती खेतों में 2 से 5 फीट तक बैठ गया है. जिसके कारण 2014 से इन खेतों में कृषि का कार्य बिल्कुल बंद हो गया है. इसे हटाए बिना कृषि कार्य संभव नहीं है. ग्रामीणों ने कहा, कि वर्तमान में भी निरंतर फ्लाई एश को नाला में बहाया जा रहा है, जिससे इसका पानी उपयोग करने लायक नहीं रह गया है. इसी नाला में सिंचाई के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से बनाए गए चेक डैम बेकार हो गए हैं. ग्रामीणों ने बताया कि 2017 में धरना प्रदर्शन के बाद कंपनी ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए जांच उपरांत कुछ रैयत दारों को मुआवजा दिया गया तथा खेत की सफाई का आश्वासन दिया गया था. परंतु बाद में खेतों की सफाई नहीं की गई और स्थिति जस की तस है. इसके बाद भी रैयतदारों ने कई बार प्रशासन एवं प्रबंधन को शिकायत पत्र लिखे, परंतु ना ही प्रशासन और ना ही प्रबंधन ने कोई कदम उठाया. इतने गंभीर विषय पर प्रथम प्रबंधन एवं प्रशासन का मौन रहना लोकतंत्रिक आस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है. मुख्यमंत्री को बताया गया कि कुछ दिन फ्लाई ऐश को बहाना बंद किया गया था, परंतु फिर से फ्लाईएश बहाना प्रारंभ कर दिया गया है, जो नाला में स्पष्ट देखा जा सकता है. ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन एवं प्रदूषण नियंत्रण परिषद की मौन स्वीकृति प्राप्त है, तथा सैकड़ों ग्रामीणों के लोकतांत्रिक अधिकारों से ज्यादा कंपनी महत्वपूर्ण है. ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि आधुनिक पावर लिमिटेड द्वारा प्राकृतिक नाला में फ्लाई एश बहाना बंद करें, ताकि मनुष्य एवं पशु नाला का पानी उपयोग कर सकें. रैयती खेतों में जमा फ्लाई ऐश को तत्काल हटाया जाए, ताकि किसान पहले की तरह कृषि कार्य कर जीवन यापन कर सकें. 2014 से फसल की क्षति के समतुल्य मुवावजा देने की कृपा की जाए. ग्रामीणों ने कहा अगर इतने ज्वलंत विषय पर प्रशासन एवं प्रबंधन कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो रैयतदार तथा प्रभावित ग्रामीणों के परिवार आमरण अनशन पर बैठेंगे.