झारखंड के दो दिग्गज राजनीतिज्ञों के बीच जुबानी जंग के बीच झारखंड की राजनीति एकबार फिर से मैनहर्ट मामले को लेकर सुर्खियों में है. एक ओर जहां राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मैनहर्ट मामले में अपनी संलिप्तता को सिरे से ख़ारिज करते हुए हर जांच में सहयोग की बात कही है, वहीं मैनहर्ट मामले में रघुवर दास की भूमिका पर सवाल उठनेवाले पूर्व विधानसभा समिति के सभापति और कभी भाजपा के कद्दावर नेता रहे जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने एकबार फिर से रघुवर दास पर निशाना साधते हुए उनसे मैनहर्ट मामले पर खुद के द्वारा लिखी गई किताब “लम्हों की खता” में पेश सबूतों का जिक्र करते हुए कहा है कि आजतक किसी ने उनकी किताब के तथ्यों पर सवाल नहीं उठाए हैं.

आखिर किन परिस्थितियों में पूर्व मुख्यमंत्री को एसीबी में पूछताछ के लिए तलब किया गया, और तत्कालीन आईजी एमवी राव ने पांच- पांच बार सरकार को चिट्ठी लिखकर कार्रवाई किए जाने का आदेश क्यों लेना पड़ा. उन्होंने बताया कि जब समिति के समक्ष यह मामला आया था उसी वक्त सरकार को इसे रोक देना चाहिए था तकनीकी सेल के 55 इंजीनियरों ने भी मामले में गड़बड़ियां पाई थी. इसके अलावा विजिलेंस ने भी मामले में गड़बडियां पायी थी. मामला हाइकोर्ट पहुंचा था. वहां भी विजिलेंस कमिश्नर के पास जाने का निर्देश दिया गया था. फिर भी मामले को दबा दिया गया. सरयू राय ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के दावों को बड़बोला पन बताते हुए कहा, कि एसीबी पूरे मामले की तफ्तीश करने के बाद ही अपने दफ्तर में उन्हें अभियुक्त के तौर पर तलब किया था. और वह मैनहर्ट मामले के दोषी हैं. किसी को भी अगर उनके द्वारा पेश किए गए दावों पर आपत्ति है, तो उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा करना चाहिए. बीजेपी आलाकमान से इस पूरे मामले पर विचार करने की बात कही है.

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