GAMHARIA सरायकेला जिले के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में पढ़ने आ रही ग्रामीण बच्चियों में मिल रहे कुष्ठ के लक्षण से जिला प्रशासन चिंतत है. जिले के डीसी अरवा ने राजकमल मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के बच्चियों की प्रॉपर स्किन जांच कराने का निर्णय लिया है.
डीसी के आदेश पर जिला सिविल सर्जन कार्यालय से मेडिकल जांच टीम आवासीय विद्यालय में शिविर लगाकर प्रत्येक बच्चियों की बारीकी से स्किन जांच करवा रही है. बुधवार को गम्हरिया प्रखंड की आदित्यपुर स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में जिले की फिजियोथेरेपिस्ट मीरा कुमारी को मेडिकल जांच टीम के साथ भेज कर कराई गई प्रॉपर स्किन जांच में 11 बच्चियों में इसके लक्षण मिले हैं. जिनमें 2 बच्चियों में कुष्ट की पुष्टि हुई है. बाकी के 9 बच्चियों को अभी संदिग्ध मानकर सभी के कुष्ट रोगों का प्रॉपर इलाज शुरू कर दिया गया है. फिजियोथेरेपिस्ट मीरा कुमारी ने बताया, कि आदित्यपुर में 11 बच्चियों में लक्षण पाए गए हैं, जिनका प्रॉपर इलाज शुरू कर दिया गया है. कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय आदित्यपुर (गम्हरिया) के बच्चियों की जांच करने पहुंची मेडिकल जांच टीम की लीडर फिजियोथेरेपिस्ट मीरा कुमारी ने बताया कि कुष्ट एक छुआछूत वाली बीमारी है.
सबसे बड़ी बात कि इसका इंफेक्शन शरीर में होने के बाद स्किन पर दिखने में तकरीबन 4 साल लग जाते हैं. जिसकी वजह से इस बीमारी का इलाज भी लंबा चलता है. उन्होंने बताया, कि पिछले वर्ष भी इस विद्यालय में 10 बच्चियों में कुष्ट के लक्षण पाए गए थे, उन बच्चियों का अब तक इलाज चल रहा है. उन्होंने दावा किया कि जिन भी बच्चियों में इसके लक्षण मिले हैं उनके परिवार या आसपास जरूर कोई न कोई व्यक्ति संक्रमित होगा. ऐसे में हमलोग कुष्ट पीड़ित का हिस्ट्री जानने के लिए उनके अभिभावकों से भी मिलकर उनका प्रॉपर जांच करेंगे. अब यह बीमारी लाइलाज नहीं रही इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन कुष्ट रोग का जो इलाज का कोर्स है उसे पूरा करना जरूरी है.
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मीरा कुमारी (फिजियोथेरपिस्ट)