CENTRAL DESK पटना हाईकोर्ट (Patna High court) ने सहारा- सेबी (SAHARA-SEBI) विवाद के कारण बिहार सहित देशभर के अदालतों में लगातार बढ़ते मामलों को लेकर प्रमोद कुमार सैनी की याचिका पर न्यायाधीश संदीप कुमार की एकल पीठ ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए चिंता जाहिर की है.
अदालत ने 28 मार्च को सेबी को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है. विदित रहे कि बिहार सहित देश भर के निवेशकों का पैसा सहारा इंडिया (SAHARA-SEBI) विवाद के कारण फंसा पड़ा है. सहारा इन निवेशकों को उनकी जमा रकम का मैच्योरिटी पर भी भुगतान नहीं कर पा रहा है. इसके चलते तमाम अदालतों में मुकदमों की लाइन लगती जा रही है.
अब ऐसे मामलों को देखते हुए पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने सेबी के लीगल हेड (Legal Head of SEBI) को 28 मार्च को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया है. न्यायाधीश संदीप कुमार की एकल पीठ ने मंगलवार को यह निर्देश दिया. वे सहारा इंडिया के विभिन्न स्कीमों में निवेशकों की जमा राशि के भुगतान को लेकर दायर दो सौ से अधिक हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं.
सुनवाई करते हुए एकल पीठ ने सहारा के अधिवक्ता से पूछा कि सहारा की विभिन्न स्कीमों में जिन निवेशकों ने अपना धन जमा किया है, वह उन्हें क्यों नहीं लौटाया जा रहा है? अधिवक्ता ने बताया कि सहारा ग्रुप आफ कंपनीज की 24 हजार करोड़ से ज्यादा राशि सेबी के पास जमा है. अगर सेबी उसे लोटा देती है तो निवेशकों को भुगतान कर दिया जाएगा.
इस पर कोर्ट ने सेबी के अधिवक्ता से पूछा कि वह सहारा ग्रुप आफ कंपनीज की राशि उसे क्यों नहीं लौटा रही ? इसके साथ ही कोर्ट ने अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वह सेबी के लीगल हेड को अदालती आदेश की जानकारी मुहैया कराएं, ताकि 28 मार्च को वे अदालत में उपस्थित हो सकें. बता दें कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार समेत भारतीय रिजर्व बैंक, सेबी, आर्थिक अपराध इकाई और कंपनी रजिस्ट्रार को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था. इस मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से यह स्पष्टीकरण देने को कहा है कि सहारा समूह द्वारा जमा किए गए 24,000 करोड़ रुपये के धन को निवेशकों के बीच क्यों नहीं वितरित किया जा रहा है और नियामक के पास बेकार पड़ा रहता है.
सहारा समूह द्वारा जारी समाचार के अनुसार, उच्च न्यायालय में अपनी प्रस्तुति में, कंपनी ने कहा है कि सेबी के पास एस्क्रो खाते में धन बेकार पड़ा है, जिसे सहारा समूह की कंपनियों के निवेशकों के बीच वितरित किया जाना था. बाजार नियामक ने पिछले नौ वर्षों में निवेशकों को केवल 128 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. पटना उच्च न्यायालय के समक्ष सहारा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश प्रसाद सिंह ने मंगलवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार सेबी को समूह की अन्य कंपनियों के निवेशकों को पुनर्भुगतान करने में कोई बाधा नहीं है. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक रिट याचिका में पूंजी बाजार नियामक ने कहा है कि सहारा से प्राप्त धन का उपयोग सभी निवेशकों को चुकाने के लिए किया जाएगा. यदि पुनर्भुगतान नहीं किया जाता है, तो पैसा ब्याज सहित सहारा को वापस कर दिया जाएगा. सिंह ने कहा, “हालांकि, इस तरह के उपक्रम के बावजूद, सेबी ने निवेशकों को न तो अधिशेष धन का भुगतान किया और न ही सहारा को वापस किया.
उच्च न्यायालय ने सेबी को 25 मार्च को या उससे पहले लिखित में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. अदालत ने सेबी मुख्यालय के एक अधिकारी को 28 मार्च को अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का भी निर्देश दिया है.