दुमका: जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड परिसर में आदिवासी मूलवासी विकास मोर्चा शिकारीपाड़ा, युवा संघ शिकारीपाड़ा, मुखिया संघ शिकारीपाड़ा, संताल परगना आदिवासी बुद्धिजीवी मंच दुमका, आदिवासी क्लब काठीकुंड और गोपीकांदर के संयुक्त तत्वावधान में जनाक्रोश सह जनादेश सभा आयोजन किया गया. सबसे पहले शिकारीपाड़ा के कॉलेज मैदान के सामने सिदो- कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर जन आक्रोश रैली निकाली गई जो मुख्य बाजार होते हुए शिकारीपाड़ा प्रखंड परिसर पहुंची.
इस अवसर पर तमाम संगठन के प्रतिनिधिमंडलों ने शिकारीपाड़ा प्रखंड विकास पदाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन समर्पण किया गया, जिसके माध्यम से बताया गया कि 1932 के खतियान आधारित झारखंडी स्थानीयता की पहचान को परिभाषित किया जाय तथा सभी सरकारी पदों की नियोजन संबंधी 1932 खतियान आधारित नियोजन नीति लागू कराया जाय. झारखडियों के लिए तृतीय व चतुर्थ वर्गीय पदों पर 100% सरकारी नौकरी सुनिश्चित किया जाय. झारखंड सहित संताल परगना से बाहरी भाषा (भोजपुरी, मगही, अंगिका) को हटाया जाय. पांचवीं अनुसूची व पेसा कानून-1996 का नियमावली अविलंब निर्माण कराकर लागू कराया जाय. पिछली रघुवर सरकार द्वारा निर्मित नियोजन नीति को अविलंब निरस्त व रद्ध कराया जाय. संताली भाषा को झारखंड राज्य का प्रथम राजभाषा का दर्जा दिया जाय. इस मौके पर उपस्थित प्रतिभागियों ने गगनचुंबी नारे लगाए गये, जिसमें 1932 खतियान आधारित स्थानीयता व नियोजन नीति लागू करो, भोजपुरी मगही, अंगिका- बाहरी भाषा नहीं चलेगा, संताली को प्रथम राजभाषा का दर्जा दो, हेमंत सरकार होश में आओ, गठबंधन सरकार होश में आओ, झूठा आश्वाशन नहीं चलेगा जैसे नारे लगाए गए. इस अवसर पर भारी संख्या ग्रामीण महिला पुरूष उपस्थित थे.
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