चाईबासा : सनातन धर्म हमेशा से नारी प्रधान रहा है. बदलते समय के साथ नारियों को शिक्षा से वंचित कर दिया गया. गर्भ में कन्याओं की हत्या होने लगी. यह बहुत बड़ा पाप है. उक्त बातें प्रसिद्ध कथा वाचक चित्रलेखा ने कहीं.
शुक्रवार को चाईबासा में पत्रकारों से बात करते हुए प्रसिद्ध कथावाचक चित्रलेखा ने कहा कि अध्यात्म ही ऐसा मार्ग है जिसके जरिए परम शांति और परम आनंद की प्राप्ति की जा सकती है. लोग भौतिकता में दौड़ रहे हैं, लेकिन वह गलत दिशा में दौड़ लगा रहे हैं. घर संसार छोड़ना नहीं है, बल्कि आध्यात्मिकता को जीवन का अंग बना लेना है. भारत में महिलाओं के पिछड़ेपन के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, कि सनातन धर्म हमेशा से नारी प्रधान रहा है.
समाज के वरिष्ठ लोग इसका ध्यान रखेंगे तो नारी आगे बढ़ेगी. महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर चित्रलेखा ने कहा कि आजकल के युवा टीवी और फोन पर जो देखते हैं उससे ही उनका विचार बनता है. टेक्नोलॉजी अच्छी चीज है, लेकिन इसके दुष्परिणाम से बचने की जरूरत है. जैसा चित्र हम देखते हैं वैसा ही हमारा चरित्र बन जाता है. इसलिए देश के युवाओं को भारतीय संस्कृति और मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए.
चित्रलेखा (कथावाचक)