कांड्रा: राज्य सरकार द्वारा शराब बेचे जाने के विरोध में शनिवार को भाजपा नेता रमेश हांसदा ने संवादाता सम्मेलन कर कड़ा विरोध जताते हुए कहा, कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने आदिवासी समाज को शोषण के चंगुल से निकालने के लिए सामाजिक आंदोलन की शुरुआत की थी. दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सामाजिक आंदोलन के परिणामस्वरूप आदिवासियों ने स्वाभिमान से जीना सीखा, हर मौके पर रोना नहीं. आदिवासी समाज को शराब से दूर रहने की नसीहत दी. आज भी दिशोम गुरु युवाओं को शराब से दूर रहने की अपील हर सभा में करते है. आज समय की मांग है, कि आदिवासी समाज खासकर युवा सामने आये और दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सम्मान की रक्षा के लिये मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को सद्बुद्धि देने के लिये प्रार्थना करें. प्रार्थना नही सुने जाने पर संघर्ष का बिगुल फूंकें. एक तरफ दिशोम गुरु सदैव शराब के विरोध में रहे. दूसरी तरफ उनके मुख्यमंत्री पुत्र हेमंत सोरेन शराब के सरकारीकरण के प्रयास में लगे हुए हैं. अभी तक सरकारी दुकान पर अनाज मिलता रहा है, मगर अब सरकारी दुकान पर शराब बेचने की भी तैयारी कर ली गई है. मतलब जान बचाने के लिए सरकारी दुकान से ही अनाज लें और जान लेने वाली शराब की दुकान भी सरकारी. उन्होंने कड़े शब्दों में इसकी निंदा करते हुए कहा कि शराब का सरकारीकरण आदिवासी समाज कतई बर्दास्त नही कर सकता. आदिवासी समाज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील करता है कि वो अधिकारियों के बहकावे में आकर शराब का सरकारीकरण नही करें. दिशोम गुरु की अपील और संघर्ष का सम्मान करें वरना हर एक आदिवासी शिबू सोरेन बन कर शराब के सरकारीकरण के खिलाफ सड़क पर आकर विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होगा. संवादाता सम्मेलन में चतुर हेम्ब्रम, चमु हेम्ब्रम सहित कई लोग उपस्तिथि थे.
रमेश हांसदा (भाजपा नेता)