पिछले आठ सालों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे सहारा इंडिया परिवार ने आज अपना 45 वां स्थापना दिवस मनाया. देशभर में फैले सहारा इंडिया के तमाम कार्यालयों एवं फ्रेंचाइजी कार्यालयों में 45 वें स्थापना दिवस के मौके पर समूह के मुखिया यानी सुब्रत रॉय सहारा का संदेश पढ़ा गया.
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साथ ही जल्द ही तमाम बाधाओं को पार करते हुए फिर से निवेशकों का भरोसा कायम करने की प्रतिबद्धता दोहराई गयी.
विदित रहे कि पिछले करीब आठ सालों से सेबी के साथ विवाद के बाद से सहारा समूह को घोर वित्तीय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. देश के करोड़ों निवेशकों को जहां अपना जमा पूंजी डूबने का डर सता रहा है वहीं सहारा से जुड़े लाखों कार्यकर्ताओं पर बेरोजगारी का डर सता रहा है. साथ ही निवेशकों का कोपभाजन भी बनना पड़ रहा है.
मंगलवार को जमशेदपुर और टाटानगर रीजन के सभी ब्रांचों एवं फ्रेंचाइजी कार्यालयों में 45 वें स्थापना दिवस के मौके पर कार्यकर्ताओं ने संस्था के क्रियाकलापों को पुनः पटरी पर लाने का संकल्प दोहराया और सहारा प्रमुख के आदर्शों पर चलते हुए निवेशकों के हितों का हर संभव पालन करने का प्रण लिया.
सहारा इंडिया का कहना है कि वे अपने जमाकर्ताओं के पुनर्भुगतान हेतु प्रतिबद्ध है. सहारा इंडिया की विज्ञप्ति में कहा गया कि पिछले 8 साल से भी अधिक समय साल से ज्यादा समय से सेबी के साथ हमारे एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एम्बरगो लगाने के कारण हम समस्या का सामना कर रहे हैं. इस एम्बार्गो ने सहारा समूह की सभी कंपनियों की चल-अचल संपत्तियों को बिक्री के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. बाद में न्यायालय ने हमें कुछ शर्तों के साथ संपत्तियों को बेचने की अनुमति दी है.
सहारा इंडिया का कहना है कि वे अपने जमाकर्ताओं के 24,000 करोड़ रुपए से अधिक उपार्जित ब्याज के साथ जमा कर चुके हैं, लेकिन पिछले 8 साल से ज्यादा समय में सेबी ने 129 करोड़ रुपए का भुगतान हमारे जमाकर्ताओं को किया है. हमने सेबी को हमारी राशि वापस करने का निर्देश देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण हमें पिछले एक साल से न्यायालय से सुनवाई की तारीख नहीं मिली है.
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