रांची/ सरायकेला: राज्य पुलिस के लिए शुक्रवार को उपलब्धियों भरा रहा. राज्य पुलिस के समक्ष 10 लाख के हार्डकोर नक्सली महाराज प्रामाणिक ने आत्मसमर्पण कर दिया है. भले राज्य पुलिस के आलाधिकारी इस उपलब्धि के लिए पीठ थपथपा ले, मगर इसका सेहरा किसपर बांधेगा ये गौर करने वाली बात होगी. क्योंकि महाराज सरायकेला- खरसावां जिले के चौका थाना क्षेत्र के दारुदा गांव से निकलकर नक्सलवाद के रास्ते गया था. सरायकेला और जमशेदपुर जिले में पदस्थापित बड़े- बड़े एसपी के कार्यकाल में यह संभव नहीं हो सका कि उनके हाथ महाराज प्रामाणिक के गिरेबान तक पहुंचे. मगर वर्तमान एसपी आनंद प्रकाश के पदस्थापन के कुछ ही दिनों के भीतर महाराज के ईचागढ़ पुलिस के हत्थे चढ़ने की सूचना मिली, मगर उसकी आधिकारिक पुष्टि किसी ने नहीं की. कुछ दिनों बाद ही नक्सली थिंक टैंक एक करोड़ के ईनामी प्रशांत बोस, उनकी नक्सली पत्नी शिला मरांडी सहित छः हार्डकोर नक्सलियों के सरायकेला जिले के कांड्रा गिद्दीबेड़ा टॉल प्लाजा से गिरफ्तारी भी एसपी आनंद प्रकाश के कार्यकाल में हुई.
शुक्रवार को राजधानी रांची में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण के दौरान सरायकेला के एसपी भी मौजूद रहे, मगर स्थानीय मीडिया की नजरों में उनकी भूमिका गौण रही.
महाराज प्रमाणिक के नक्सली बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है. मोबाइल लूट की एक मामूली घटना ने महाराज प्रमाणिक को इतना बड़ा नक्सली बना दिया, कि उस पर झारखंड पुलिस को दस लाख का ईनाम तक घोषित करना पड़ा. अब पुलिस की गिरफ्त में आ चुके महाराज प्रमाणिक के नक्सली बनने की कहानी पर एक नजर डालते हैं.
महाराज प्रमाणित सरायकेला खरसावां जिले के ईचागढ़ प्रखंड के दारुदा गांव का रहने वाला है. बात वर्ष 29 अप्रैल 2009 की है. सरायकेला खरसावां जिले में 17 मोबाइल फोन और 5000 नगद लूट की घटना घटित हुई थी. इस घटना में महाराज प्रमाणिक का नाम सामने आया था. अपराध की दुनिया में महाराज प्रमाणिक ने पहली बार कदम रखा था. इस घटना को लेकर महाराज प्रमाणिक के खिलाफ पहली बार थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. इसी घटना ने महाराज प्रमाणिक को नक्सली बना दिया. इस घटना के बाद महाराज प्रमाणिक के दोस्तों ने उससे बातचीत के सिलसिले में कहा कि आखिर कैसे दिन आ गए हैं, कि दो- चार हजार के लिए लूट की इस तरह की घटनाओं को अंजाम देना पड़ रहा है. यह बात दोस्तों के जुबान से निकली थी, लेकिन महाराज प्रमाणिक के कलेजे में जाकर बैठ गई. इस बात ने महाराज प्रमाणिक को नक्सली बनने के रास्ते पर ले जाने का काम किया.
इस तरह कुंदन पाहन से जा कर मिला
कहा जाता है कि उस समय इलाके में कुंदन पाहन नामक नक्सली की हर तरफ चर्चा थी. महाराज प्रमाणिक नक्सली बनने के लिए कुंदन पाहन से जा मिला. कुंदन पहन ने महाराज प्रमाणिक को प्रशिक्षित किया और धीरे- धीरे महाराज प्रमाणित एक कुख्यात नक्सली के रूप में सामने आने लगा. कुंदन पाहन की तरफ महाराज प्रमाणिक का यह झुकाव इसलिए पैदा हुआ क्योंकि कुंदन पाहन उस समय झारखंड की बड़ी- बड़ी कंपनियों से लेवी वसूलने का काम करता था. महाराज प्रमाणिक को लगा कि वह भी कुंदन पाहन की तरह मशहूर हो सकता है और धन कमा सकता है.
सबसे पहले सीआरपीएफ जवान पर किया हमला
नक्सली बनते ही महाराज प्रमाणिक खूंखार बन गया. सबसे पहले उसने सीआरपीएफ के एक अफ़सर पर हमला किया और सरायकेला- खरसावां जिले के कांग्रेस पार्टी के चांडिल प्रखंड अध्यक्ष की हत्या कर दी.
संगठन में सब जोनल कमांडर बना गया
माओवादी संगठन में उसकी पैठ का नतीजा यह हुआ कि उसके आकाओं ने उसे सब जोनल कमांडर के पद से नवाज दिया. इधर पुलिस की फाइलों में भी एक मामूली अपराधी 10 लाख का इनामी नक्सली बन गया. अबतक झारखंड के कोल्हान प्रमंडल के सरायकेला- खरसावां, पूर्वी सिंहभूम और पश्चिम सिंहभूम के क्षेत्र में इस इनामी नक्सली की तूती बोलती थी, हालांकि अब इस पर विराम लग जाएगा.
पुलिस ने उसके कई साथियों को मार गिराया
सरायकेला जिले के ईचागढ़ थाना क्षेत्र के दारूदा गांव का रहने वाला महाराज प्रमाणिक कई नक्सली घटनाओं को अंजाम दे चुका है. हालांकि, पुलिस ने भी प्रमाणिक के कई अहम साथियों को मुठभेड़ में मार गिराया है. कई बार तो महाराज प्रमाणिक का सामना भी पुलिस की गोलियों से हुआ, लेकिन हर बार वह किसी ना किसी तरह मुठभेड़ से बच निकला.
पुलिस अफसर लगातार सरेंडर के लिए बना रहे थे दबाव
पूर्वी सिंहभूम जिले के कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पिछले कई सालों से महाराज प्रमाणिक पर सरेंडर करने का दबाव बना रहे थे. लगातार उसके घर परिवार के लोगों को समझा रहे थे कि महाराज प्रमाणिक किसी तरह पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दे, और मुख्यधारा से जुड़ जाए, लेकिन भाकपा माओवादी संगठन के बीच पैदा हुए विवाद ने इस कदर महाराज प्रमाणिक को लाचार कर दिया, कि उसे पुलिस के समक्ष खुद ही सरेंडर करना पड़ा.