सरायकेला: गम्हरिया पंचायत अंतर्गत बीरबांस पंचायत के निश्चिंतपुर में मकर के दूसरे दिन पहला माघ को वार्षिक चाड़रीपाट पूजा उत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें स्थानीय एवं दूरदराज के हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर सुख- शांति एवं मन्नतें पूरी होने की कामना करते हुए पूजा- अर्चना करते हैं. जानकारी हो, कि निश्चिंतपुर में मकर संक्रांति के दूसरे दिन पहला माघ को आस्था व विश्वास के साथ चाड़रीपाट पूजा का आयोजन किया जाता है जिसमें तीन अलग-अलग पूजा स्थल पर पारंपारिक रीति- रिवाज व संस्कृति के अनुसार भोला बाबा के रुप में भगवान शंकर, मां पाउड़ी एवं चाड़री मां व वन कुमारी की पूजा-अर्चना की जाती है. पूजापाठ उत्सव का शुभारंभ वन कुमारी पूजा से आरंभ होता है. चाड़री पाट पर स्थानीय एवं आसपास के लोगों की आस्था व विश्वास है, कि यहां आकर कर सत्य भावना के साथ पूजा- अर्चना करने तथा मन्नतें मांगने पर मनोकामना पूरी होती है. चाड़री पाट पूजा स्थल लगभग पांच सौ फीट की उंचाई पर पहाड़ी के खोह पर है. जहां पहुंचने के लिए दुर्गम रास्ता है. वनभूमि पर अवस्थित एवं बड़े- बड़े चटानों की पहाड़ी होने के कारण पूजा स्थल तक जाने के लिए सुगम रास्ता नहीं है. पूजा स्थल तक जाने के लिए श्रद्धालुओं को चट्टान एवं घने पेड़ो से होकर पथरीली जमीन पर नंगे पांव चलकर गुजरना पड़ता है. विभिन्न क्षेत्र आकर श्रद्धालु चाड़रीपाट में पूजा- अर्चना कर सुख, शांति एवं समृद्धि की कामना करते हैं. मकर संक्रांति के दूसरे दिन पहला माघ को आयोजित वार्षिक चाड़री पाट पूजा में स्थानीय एवं दूरदराज से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. चाड़री पाट में बूढ़ा बाबा के रुप में भगवान शिव की तथा मां पावड़ी एवं चंडी देवी की अलग-अलग पूजा स्थल पर पूजा की जाती है. बूढ़ा बाबा के रुप में भगवान शिव की पूजा पुष्प, बेलपत्र एवं मिठाई प्रसाद के साथ की जाती है, जबकि पाउड़ी देवी एवं चाड़री पाट देवी की पूज में बकरे, बत्तख एवं मुर्गो की पूजा की जाती है. श्रद्धालु पूजा- अर्चना कर मन्नतें मांगते हैं, जबकि कुछ श्रद्धालु पहले की मांगी हुई मन्नतें पूरी करते हैं. कुछ श्रद्धालु मन्नतें पूरी करने के लिए षष्टांग दंडवत करते हुए चाड़रीपाट पहाड़ी चढ़कर पूजास्थ्ल तक पहुंचते हैं. जिसमें अधिकांश महिला श्रद्धालु होती हैं. वन कुमारी देवी की पूजा कुंवारी कन्याएं करती है. लोगों में आस्था है कि कुमारी देवी की पूजा से कन्याओं को सुयोग्य वर मिलता है. चाड़री पाट का मुख्य पुरोहित गौर सिंह सरदार हैं. इनके पहले उनके पिता चाड़री पाट पूजा के पुरोहित थे. गौर सिंह सरदार का कहना कि सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा कई कई प्राचीन पूजा स्थलों का विकास किया गया परंतु सरायकेला- कांड्रा मुख्य मार्ग पर स्थित चाड़री पाठ के विकास की ओर न तो प्रशासन का और न ही सरकार का ध्यान जाता है. उन्होंने कहा कि चाड़री पाट का विकास कर इसे एक पर्यटन स्थल बानाया जा सकता है.
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