घोर वित्तीय संकट से जूझ रहे सहारा समूह पर एकबार फिर से निवेशकों ने भरोसा जताया है. देशभर के निवेशकों ने दिसंबर महीने में परिपक्व हो चुके करीब 8 हजार करोड़ रुपए पुनर्निवेश कराए हैं.
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जिसमें हैदराबाद जोन अव्वल रहा है. रांची जोन 373 करोड़ के साथ दूसरे स्थान पर रहा है. जिमसें जमशेदपुर रीजन ने देशभर में अव्वल रहते हुए सौ करोड़ से अधिक का व्यवसायिक उपलब्धि हासिल किया है. वहीं टाटानगर रीजन ने भी करीब 75 करोड़ रुपए का व्यसायिक कीर्तिमान स्थापित किया है.
हालांकि नया व्यवसाय अपेक्षाकृत नहीं होने के कारण समूह की देनदारियों का भार कम नहीं हुआ है और परिपक्वता अवधि पूर्ण होने के बाद भुगतान की आस लगाए करोड़ों निवेशक अभी भी कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं.
समूह के एक अधिकारी ने बताया, कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक निवेशक धैर्य बनाए रखें. मामला न्यायपालिका के अधीन है इसलिए कुछ स्पष्ट रूप से बोलना उचित नहीं होगा. मगर शीर्ष प्रबंधन निवेशकों की देनदारी को लेकर प्रतिबद्ध है, जल्द ही निवेशकों के भुगतान की प्रक्रिया शुरू होने की संभवना है.
छोटे निवेशक हो रहे परेशान
सहारा समूह शुरू से ही छोटे- छोटे निवेशकों के जरिए बचत योजनाओं के माध्यम से उन्हें आकर्षक ब्याज दरों के साथ भुगतान दिलाती रही है. सहारा- सेबी प्रकरण के बाद से उपजे हालातों के कारण समूह घोर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही है. पिछले 9 सालों से सहारा सेबी विवाद के बाद समूह की देनदारियां बढ़ती जा रही है. कोरोना महामारी के बाद लगातार दो साल में हालत और बदतर हो चले हैं. छोटे निवेशकों का भुगतान समय पर नहीं होने के कारण बाजार में समूह की साख लगातार गिर रही है.
मीडियाकर्मी मसाला नहीं लोगों को सच्चाई बताएं
विगत 9 साल से चल रहे सहारा- सेबी विवाद का खामियाजा अब एजेंट और ऑफिस के कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. समय पर मैच्युरिटी नहीं मिलने पर निवेशक हिंसक होने लगे हैं ऑफिस और फील्ड के कार्यकर्ता उनका कोपभाजन बन रहे हैं. देशभर में फैले पांच हजार से भी अधिक सहारा के कार्यालयों में कमोबेश यही स्थिति बनी हुई है. मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण सहारा- सेबी अकाउंट में जमा पैसों का उपयोग सहारा समूह नहीं कर सकती है.
24 हजार करोड़ जमा हैं सहारा- सेबी खाते में फिर भी नहीं हो रही सुनवाई
सहारा- सेबी प्रकरण को लेकर जानकर इसे 21 वीं सदी के सबसे बड़े वित्तीय त्रासदी मान रहे हैं.
2011- 12 में तत्कालीन यूपीए सरकार के कार्यकाल से शुरू हुए सहारा- सेबी विवाद और उबाऊ न्यायिक प्रक्रिया का अंत आखिर कब होगा ये महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि इस प्रक्रिया ने सहारा के साम्राज्य को पूरी तरह बर्बाद कर उस दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां से सहारा के पास मात्र दो ही विकल्प बचे हैं या तो संस्था को अपना पैराबैंकिंग सेक्टर को बंद करना होगा या पुनः शून्य से शुरुआत करनी होगी, दोनों ही प्रक्रिया में नुकसान सहारा इंडिया परिवार के 12 लाख कार्यकर्ताओं को उठाना होगा. 1978 से लेकर 2022 (44) साल तक का वक्त फाइनेंसियल सेक्टर के निवेशकों के विश्वास को बनाए रखना आसान नहीं होता.
जानकर बताते हैं कि इतने लंबे वक्त तक चलने वाले इस विवाद में सहारा समूह मुद्रा दोहन का केंद्र बन गया है. समूह अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा न्यायिक प्रक्रिया और अपनी साख को अखबारों के माध्यम से विज्ञापन के पीछे खर्च करने में लगा रहा है. निवेशक और कार्यकर्ता त्राहिमाम कर रहे हैं. वक्त रहते अगर समूह को लेकर गम्भीरता नहीं दिखाई गई तो बेरोजगारी, पलायन, आत्महत्या, और न जाने कितने दर्दनाक दृश्य देखने को मिलेंगे. वैसे दैनिक अखबारों और शोषल मीडिया के जरिए इसके उदाहरण सामने आने लगे हैं. देशभर में सहारा- सेबी के विरोध में प्रदर्शन. सहारा के कार्यालयों में निवेशकों और एजेंटों के बीच हिंसक झड़प और देश के अलग- अलग हिस्सों से सहारा के एजेंटों की आत्महत्याओं के मामले आ रहे हैं. सहारा समूह का दावा है कि उसने सहारा- सेबी अकाउंट में 24 हजार करोड़ जमा करा दिए हैं.
सेबी ने अपने वार्षिक रिपोर्ट में 23 हजार करोड़ जमा कराए जाने की बात स्वीकार किया है. मार्च 2020 से सहारा- सेबी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित है, आखिर क्यों ! कोरोना त्रासदी का हवाला देकर इतने बड़े मामले पर गंभीरता नहीं दिखाने के कारण न्यायपालिका पर सवाल उठने लगे हैं. सेबी के दावे की जांच क्यों नहीं कराई जा रही है.
सहारा प्रमुख इतने बड़े अपराधी तो नहीं थे जिसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ रही है. सहारा इंडिया परिवार के गौरवशाली इतिहास का आंकलन करते हुए अविलंब इस त्रासदी के निष्पादन का रास्ता निकालने की जरूरत है. 12 लाख कार्यकर्ताओं के समक्ष बड़ी मुसीबत मुंह बाए खड़ी है.
सहारा के पास देनदारियों की तुलना में तीन- चार गुणा अधिक की परिसंपत्तियां
सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है, कि समूह के पास देनदारियों की तुलना में करीब तीन- चार गुणा से अधिक की परिसंपत्तियां हैं. इस बीच निवेशकों के हितों को ताक पर रखते हुए समूह ने ने सेबी के दावे और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार करीब 24 हजार करोड़ सहारा- सेबी खाते में जमा करा दिए हैं, तो सुनवाई में विलंब क्यों. आज सहारा के करोड़ों निवेशक अपनी गढ़ी कमाई को लेकर असमंजस में में और कार्यकर्ता हतोत्साहित महसूस कर रहे है.
आज भी सहारा के लाखों कार्यकर्ताओं को अपने अभिभावक के प्रति भरोसा कायम है
ये उक्त संस्थान में सिखाए गए ज्ञान और व्यवहारिकता का ही नतीजा है, जहां बगैर किसी यूनियन के सारे कार्यकर्ता आज भी एकजुट होकर अपने अभिभावक यानी सहारा प्रमुख के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और हर संभव इस मुसीबत से निकलने का प्रयास कर रहे हैं.
“हालांकि अब अगर न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और पत्रकारिता का सहयोग नहीं मिला तो दुनिया के सबसे बड़ी बेरोजगारी की त्रासदी के लिए उक्त विवाद को याद किया जाएगा, जिसके लिए देश के चारों स्तंभ जिम्मेवार होंगे “
ब्यूरो रिपोर्ट
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6 Comments
Hon’ble Supreme court must take initiative at earliest & resolved the issue otherwise nither public nor intellectual’s loose faith on our law & justice
Sir ji ab to bas marna hai agar is mah me pess nahi mela to me mar jauga
mera mob 9753045424
plz help
5 logo ne dhmki de rakhi hai
me gram bhatpachlana me rahta hu
तह बडनगर
dist ujjain mp 456313
Hon’le
Chief justice & Prime Minister sir ,
Aap logo se anurodh hai ki corona ki is bhisan trasdi me aap logo ko rojgar nahi de sakte hain to kam se kam hum sabhi saharayan ka rojgar bhi to mat chiniye.so plz.justify.
Nivesh karta Nahin mananiy ko taiyar Hain Sahara India Swayam bhugtan Karen Kyunki ki Nivas karta Sahara India ko paisa Diye Hain Sahara Shri se Anurodh hi hai ki ki jald se jald bhugtan karwane ka kasht Karen
Bhugtan jaldi Karen anyatha news karta Karyalay Girne ko taiyar
Thank you editor for writing the compete fact about sahara,, after a long gap I have seen a print media who has written the fact. Govt,, sebi,, and supreme court,, all are responsible for the present scenario of sahara Indian,, I am thinking about the democracy,, where is it? By the people, of the people and for the people, it’s only looking beautiful on paper,, but it’s complete different on practical,, all want to satisfy their illusionsnary ego, and no matter what the would face on day to day life…. Really India run by the lord.