राजनगर: महिला कॉलेज चाईबासा के स्नातकोत्तर हिंदी विषय की छात्रा कुनी पूर्ति का कॉलेज प्रशासन एवं कोल्हान यूनिवर्सिटी की लापरवाही के चलते पीजी में फॉर्म फिलअप नहीं हो सका. जिससे अब छात्रा कुनी पूर्ति (सत्र 2020-22) की परीक्षा देने से वंचित हो जाएगी. इस सम्बंध में पीड़ित छात्रा का कहना है, कि वह पीजी हिंदी विषय की फर्स्ट सेमेस्टर की छात्रा हैं. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद उसने हार्ड कॉपी कॉलेज में जमा किया था, परंतु कॉलेज प्रशासन की लापरवाही के चलते समय पर उसका हार्ड कॉपी यूनिवर्सिटी में जमा नहीं हो पाया. जिससे समय पर यूनिवर्सिटी से पंजीयन संख्या प्राप्त नहीं हो सका. फॉर्म फिलअप का डेट निकला और फॉर्म फिलअप से वंचित रह गयी. इधर कॉलेज प्रिंसिपल से कुनी ने गुहार लगाई तो प्रिंसिपल ने इसे मानवीय भूल बताते हुए गत 23 अक्टूबर 2021 को संकायाध्यक्ष को पत्र लिखकर कुनी की पंजीयन संख्या निर्गत करने की मांग की. फिर भी बात नहीं बनी तो कुनी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हुई और मंत्री चम्पई सोरेन एवं सांसद गीता कोड़ा से गुहार लगाई. मंत्री के आप्त सचिव गुरुप्रसाद महतो ने अपने लेटर हेड पर कोल्हान यूनिवर्सिटी के वीसी को पत्र लिखा. जिसके कुछ दिन बाद कुनी को पंजीयन संख्या मिल गई, परंतु दूसरी बार यूनिवर्सिटी द्वारा विलंब शुल्क के साथ बढ़ाई गई तिथि 17.11.2021 को समाप्त होने वाली थी. इस दरम्यान कुनी को दो दिन का वक्त जरूर मिला, परंतु कई प्रयास के बाद भी उसका ऑनलाइन फार्म सबमिट नहीं हो सका. पीड़ित छात्रा कुनी पूर्ति ने बताया, कि अंतिम दो दिन तक काफी प्रयास किया, लेकिन साइट खुल ही नहीं रहा था. तिथि पार होने के बाद भी यूनिवर्सिटी से संपर्क किया. वीसी से मिली, वीसी ने कहा परीक्षा संचालन विभाग के अजय कुमार चौधरी से मिलिए काम हो जाएगा. परन्तु यूनिवर्सिटी के डीएसडब्ल्यू एवं परीक्षा संचालन विभाग के अजय कुमार चौधरी ने मुझे आश्वासन देकर कई बार दौड़ाया. आपका काम आज हो जाएगा, कल काम हो जाएगा कहते हैं. कभी चार बजे और तो कभी सुबह 11 बजे आने को कहते हैं. मुलाकात होने पर अभी बिजी हैं, इंतजार करो कहकर फिर लौटा देते हैं. इससे मैं आर्थिक और मानसिक रूप से काफी परेशान हो गई हूं. मुझे 2019-21 सत्र में सीटें कम होने की वजह से एडमिशन नहीं मिल पाया था. इस बार भी रिएडमिशन कराने को बोल रहे हैं. बड़ी मुश्किल से सीट मिला है, सिर्फ फॉर्म फिलअप की वजह से यह सत्र भी छूट गया तो फिर एडमिशन मिलेगा या नहीं. समय गुजर रहा है, आगे की पढ़ाई जारी रख पाऊंगी या नहीं समझ में नहीं आ रहा. पिछले कई दिनों से फॉर्म फिलअप के लिए अपने ढाई साल की बच्ची और पति के साथ यूनिवर्सिटी का चक्कर काट रही हूं. रोज करीब 40- 50 किमी राजनगर से चाईबासा मोटरसाइकिल से पति और बच्चे को लेकर आना जाना कर रही हूं. क्या मैं गरीब आदिवासी महिला हूं, इस वजह से मेरा काम नहीं हो रहा है? मुझे साफ- साफ क्यों नहीं बताया जा रहा. काम हो जाएगा हो जाएगा कहकर सिर्फ दौड़ाया जा रहा है. मुझे आगे पढ़ना है मैं क्या करूं.

