बिहार के सड़ चुके सिस्टम से अब बदबू आने लगी है. जिस लालू के राज को जंगल राज बता सुसाशन की दुहाई बिहार में दी जा रही है उसी सुसाशन की एक तस्वीर सासाराम से निकलकर आयी है.
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जहां सासाराम सदर अस्पताल में एक बूढ़ी मां अपने जवान बेटे को पीठ के सहारे इस वार्ड से उस वार्ड चक्कर काटती रही, मगर अस्पताल कर्मियों को बूढ़ी मां का दर्द नजर नहीं आया.
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सासाराम सदर अस्पताल में उस वक्त एक अजीबोगरीब तस्वीर देखने को मिला, जब एक मां अपने जवान बेटे को कंधे पर उठाकर इस वार्ड से उस वार्ड में घूमती नजर आई. इस दौरान किसी स्वास्थ्यकर्मी की मदद के लिए उस पर नजर नहीं पड़ी. बता दें कि नोखा थाना के कदवा का रहने वाला विकलांग युवक योगेश चौधरी थोड़ा बहुत मजदूरी करता है. पिछले दिनों मजदूरी कर लौटने के दौरान साइकिल से गिर जाने से उसके पैर में गंभीर चोट आई तथा फैक्चर हो गया. ऐसी स्थिति में प्रमिला देवी नामक महिला ने अपने जख्मी विकलांग बेटे को किस तरह लेकर नोखा से सदर सासाराम पहुंची. फिर सासाराम आकर ऑटो से उतरने के बाद उसे किसी तरह अपने पीठ पर टांग कर अस्पताल पहुंची. इतना ही नहीं, अस्पताल के विभिन्न वार्ड में भी उसे कुछ इसी तरह घूमते देखा गया. यहां तक कि वार्ड से अस्पताल के एक्स-रे रूम तक अपने कंधे पर ही बेटे को उठाकर मां को ले जाते देखा गया. लेकिन किसी स्वास्थ्य कर्मी ने स्ट्रेचर या ह्वील चेयर से उसकी मदद नहीं की, जबकि अस्पताल में तमाम तरह के उपकरण उपलब्ध है. एक जवान विकलांग बेटे को कंधे पर लेकर घूमती मां की यह तस्वीर यह बताने के लिए काफी है, कि मां की ममता आज भी कितनी भारी है, जो अपने जवान बेटे को भी इस बुढ़ापे में पीठ पर उठाकर अस्पताल पहुंचा सकती है.
बाईट
योगेश चौधरी
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