दुमका: राज्य के मुख्यमंत्री के गृह जिला दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड के मलूटी पंचायत के स्वास्थ्य केंद्र बीमार हो चुका है. लाखों खर्च कर बने इस स्वास्थ्य केंद्र के आसपास उगे झाड़ियां और पहुंच पथ के अभाव में अस्पताल की व्यवस्था दम तोड़ रहा है.
आलम यह है कि आपातकाल की स्थिति में अस्पताल तक एंबुलेंस पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है. मरीज के परिजन आज भी खाट पर मरीजों को लाने ले जाने के लिए विवश है. सबसे परेशानी उस वक्त होती है, जब बारिश के दिनों में अस्पताल टापू में तब्दील हो जाता है.
उन्नत झारखंड, बदलते झारखंड, युवा झारखंड… ना जाने किन- किन नामों से झारखंड को अलंकृत किया जाता है, लेकिन मलूटी के उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति को देखकर सारे उपमाओं पर विराम लग जाता है. वह भी तब जब राज्य का मुखिया इसी क्षेत्र का हो. ऐसे में सरकारी तंत्र और स्वास्थ्य विभाग को सोचने की जरूरत है कि राज्य के अन्य हिस्सों में स्वास्थ्य सुविधा कैसी होगी. इन दिनों राज्य में “आपके अधिकार- आपकी सरकार- आपके द्वार” की खूब चर्चा हो रही है. दावा किया जा रहा है, कि पंचायत- पंचायत शिविर लगाकर जरूरतमंद लाभुकों को सरकारी योजनाओं से आच्छादित किया जा रहा है, लेकिन सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर की अगर हम बात करें तो, वह आज भी सरकारी उदासीनता का दंश झेल रहा है. सड़क, बिजली- पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं आज भी झारखंड के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों के लोगों को मयस्सर नहीं हो सकी है.
सरकार को अगर ध्यान देना है, तो पहले मूलभूत सुविधा और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करे, तभी राज्य की जनता को उनका वास्तविक अधिकार मिल सकेगा. वैसे मलूटी स्वास्थ्य केंद्र की दुर्दशा को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है. लोग अब स्वास्थ्य केंद्र की दुर्दशा को लेकर सरकार और प्रशासन से मांग उठाते नजर आ रहे हैं.