1857 में सिपाही विद्रोह के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले शहीद जग्गू दीवान का शहादत दिवस शुक्रवार को पुरानी बस्ती में मनाया गया. शहीद की प्रतिमा पर अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अशोक षाड़ंगी, जवाहर लाल नेहरू कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य अरुण कुमार, पूर्व प्रभारी नागेश्वर प्रधान, पूर्व वार्ड पार्षद दिनेश जेना, भाजपा नेता शेष नारायण लाल, सरोज प्रधान, सुमिता होता फाउंडेशन के अध्यक्ष सदानंद होता, गोनू जायसवाल, वेद प्रकाश, मोहम्मद अशरफ और सुमिता होता फाउंडेशन के सदस्यों ने पुष्प माला अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. प्राचार्य नागेश्वर प्रधान ने कहा कि जग्गू दीवान महान योद्धा थे. देश के लिए उनकी दी गई कुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जा सकता. जग्गू दीवान ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1857 सिपाही विद्रोह के जंग में हिस्सा लिया था. उस वक्त जब राजा अर्जुन सिंह पर अंग्रेजी सेना दबाव बना रही थी, उन्हें अंग्रेजों के साथ मिल जाने को कहा गया था, लेकिन जग्गू दीवान अंग्रेजों के खिलाफ होकर उनका विरोध करते रहे.
गुलामी नहीं थी स्वीकार : विधायक गागराई ने कहा कि शहीद जग्गू दीवान को गुलामी स्वीकार नहीं थी. अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर पेड़ की डाली से बांधकर दो भागों में अलग कर दिया था. उस वक्त अंग्रेजों की क्रूरता का विरोध हुआ था. कांग्रेस जिलाध्यक्ष सन्नी सिंकू समेत अन्य ने भी सभा को संबोधित किया. मौके पर सुमिता होता फाउंडेशन के संरक्षक रामगोपाल जेना, सचिव सदानंद होता, विवेक कुमार, डिक्की मंडल, जय जगन्नाथ प्रधान, माइकल दास व अन्य मौजूद रहे.