सोमवार को छऊ गुरु शशधर आचार्या को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने साल 2020 के लिए कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजा. इस दौरान राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह सहित तमाम केंद्रीय मंत्री एवं अन्य वीआईपी और वीवीआईपी मौजूद रहे पद्म श्री सम्मान मिलने के बाद गुरु शशधर आचार्य ने इसका श्रेय अपने गुरुओं दिया और कहा आज उन्हीं की बदौलत मुझे यह सम्मान मिला है. उन्होंने कहा अब मेरी जिम्मेदारियां पहले से बढ़ गई है. उन्होंने कहा अब मुझे और अधिक मेहनत करने की जरूरत है. मैं प्रयास करूंगा छऊ कला को और बेहतर तरीके से वैश्विक मंच प्रदान कर सकूं.
छऊ गुरु शशधर आचार्या का प्रोफाईल
सरायकेला-खरसावां जिला विश्व में छऊ कला नगरी के रूप में विख्यात है. यह जिला छऊ कला में हर दिन नए मुकाम हासिल करता जा रहा है. इसी भूमि से उत्पन्न यह कला देश ही नहीं पूरे विश्व में अपनी खास पहचान बना रही है. सरायकेला छऊ 1200 वर्ष पौराणिक कला है, अब तक झारखंड के सरायकेला के 6 गुरुओं को पद्मश्री मिल चुका है. वर्ष 2020 के लिए सरायकेला के छऊ नृत्य गुरू शशधर आचार्य को पद्मश्री से नवाजे जाने की घोषणा की गई थी. इससे जिले के सभी कलाकारों में खुशी की लहर देखने को मिल रही है.
50 देशों में छऊ नृत्य की कला का प्रदर्शन कर चुके हैं शशधर आचार्या
शशधर 50 देशों में छऊ नृत्य की कला का प्रदर्शन कर चुके हैं. वे दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में छऊ की ट्रेनिंग देते हैं. साथ ही पुणे के नेशनल स्कूल ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में भी जाकर क्लास लेते हैं. शशधर आचार्या 1990 से 1994 तक राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला के निदेशक रहे और फिर स्टडी लीव के लिए वहां से निकले तो आज तक ज्वॉइन नहीं किया.
5 वर्ष की उम्र से ही छऊ नृत्य से जुड़ गए थे शशधर आचार्या
अभी वर्तमान में आचार्या छऊ नृत्य विचित्रा के नाम से सरायकेला तथा दिल्ली में उनकी संस्था चलती है. वे अपने परिवार की पांचवीं पीढी हैं और 5 वर्ष से ही छऊ नृत्य से जुड़ गए थे. अभी वे दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा तथा पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में भी पढ़ाते हैं. वे फिलहाल नई दिल्ली के पर्यावरण एंक्लेव में रहते हैं. उनकी पत्नी हेलेना आचार्या भी कला से जुड़ी हैं. मूल रूप से बेंगलुरू की दिल्ली में पली-बढ़ी हेलेना संगीत नाट्य अकादमी की सचिव थीं. अभी हेलेना केंद्र सरकार के डांस विभाग की उपसचिव हैं. गौरतलब है कि अब तक सरायकेला के 6 लोगों को पद्मश्री मिल चुका है. शशधर आचार्य सराइकेला छऊ से पद्मश्री पाने वाले सातवें गुरू हैं. वे अपने परिवार की पांचवीं पीढी हैं, जो छऊ नृत्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. उनके पूर्वज ओडिशा के रहने वाले थे. आचार्य अपने परिवार से पांचवीं पीढ़ी के नर्तक हैं. उन्होंने छऊ को अपने पिता लिंगराज आचार्य से और फिर नटशेखर बाना बिहारी पटनायक, विक्रम कर्मकार, केदारनाथ साहू और सुधेंद्रनाथ सिंहदेव से सीखा. 1990 के दशक की शुरुआत में उन्होंने गुरुकुल नृत्य अकादमी और फिर मुंबई के पृथ्वी थिएटर में काम करने के लिए सरायकेला छोड़ दिया था. वे भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान पुणे और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली में एक संकाय सदस्य हैं. छऊ गुरु शशधर आचार्या का जन्म जन्म 1961 में सरायकेला में हुआ था. उनके पूर्वज ओडिशा के रहने वाले थे. 16वीं शताब्दी में सिंहभूम के राजा उनके पूर्वज पुरुषोत्तम आचार्य को सरायकेला लाए थे. उसके बाद राज परिवार के संरक्षण में छऊ को आगे बढ़ाने में लोगों ने योगदान दिया.
आचार्य छऊ नृत्य विचित्रा के छऊ गुरु रंजीत आचार्य ने बताया गुरु शशधर आचार्य सरायकेला छऊ के एकलव्य प्रतिष्ठित कलाकार हैं और अपने बाल्यकाल से ही इस छऊ के प्रति समर्पित रहे हैं. यूनेस्को द्वारा छऊ नृत्य को भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दिलाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
गुरू ने जताया आभार
वहीं, राजकीय नृत्य कला केंद्र निदेशक गुरू तपन पटनायक ने एक लंबे अरसे के बाद भारत सरकार को पद्मश्री से पुरस्कृत किए जाने पर अभार प्रकट किया है. यह सम्मान इस कला के उत्थान में इसके पूर्व पद्मश्री गुरूओं के समर्पण सरायकेला की संस्कृति को गर्व से दर्शा रहा है.
सरायकेला के राजा ने दी नई पहचान
दरअसल, पिछले पांच पीढ़ियों से सरायकेला छऊ में समर्पित परिवार के सदस्य को पहली बार पदमश्री मिलने जा रहा है. इससे परिवार में खुशी की लहर है, सरायकेला छऊ पहले राज परिवार का पुश्तैनी नृत्य हुआ करता था. 1960 में सरायकेला के राजा उदितनारायण सिंहदेव ने चैत्र पर्व के जरिये इस कला को एक नई उड़ान दी थी. यह कला भारत ही नहीं बल्की विश्व में भारतीय संस्कृति को दर्शा रही है. पिछले कई वर्षो से सरायकेला छऊ को भारत सरकार की तरफ से 6 बार पद्मश्री से नवाजा गया है. इस वर्ष 7 वां पद्मश्री शशधर आचार्य को दिया गया है. इस सम्मान से सरायकेला में छऊ नृत्य प्रेमियों के बीच खुशी का माहौल है. सरायकेला छऊ कलाकार अपनी कला का नमूना देश ही नहीं विदेशों में भी प्रदर्शित कर चुके हैं.