विज्ञापन
सरायकेला जिला राज्य का इकलौता ऐसा जिला होगा जहां डिप्टी कलेक्टर लेवल के अधिकारियों पर एक गैर प्रशासनिक अधिकारी का जोर चल रहा है. हद तो ये है कि उस अधिकारी के जिम्मे आर्म्स मजिस्ट्रेट जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है, जबकि पांच- छः डिप्टी कलेक्टर लेवल के अधिकारी जो योग्यता और अनुभव में उनसे काफी आगे हैं.
हम बात कर रहे हैं जिला मत्स्य पदाधिकारी, सह जिला गोपनीय प्रभारी, सह जिला आर्म्स मजिस्ट्रेट, सह राज्य फिशिरिंग ट्रेनिंग टीम के सदस्य प्रदीप कुमार की. वैसे श्री कुमार गैर प्रशासनिक सेवा से आते हैं. इतने महत्वपूर्ण पदों पर प्रतिनियुक्ति से हर कोई हैरान है. यहां तक कि कलेक्ट्रेट में पदस्थापित कई अधिकारी अपनी योग्यता को भी कोस रहे हैं. कई अधिकारी ये भी कहते सुने गए, कि इस सरकार से इससे ज्यादा उम्मीद करना बेमानी होगा. ऊंची रसूख, महंगी गाड़ियां बगैर राजनीतिक सरपरस्ती एक सामान्य कर्मचारी अगर मेंटेन करे तो निश्चित तौर पर दाल में कहीं काला है. प्रदीप कुमार के समकक्ष पदाधिकारी किसी अन्य जिलों में इतने महत्वपूर्ण पदों पर शायद ही काबिज हो. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसी कौन सी पढ़ाई प्रदीप कुमार ने पढ़ी है जिसके बूते वे इतने महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे हैं, इसपर रिसर्च करने की जरूरत है. एक जिले के एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता जिला आर्म्स मजिस्ट्रेट जैसे महत्वपूर्ण पद को लेकर प्रदीप कुमार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उनके कार्यकाल में अनुशंसित आर्म्स लाइसेंस की जांच कराए जाने को लेकर प्रधान सचिव को चिट्ठी लिखने की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही उनके इतने महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थान को हाईकोर्ट में चुनौती भी देने की तैयारी कर रहे हैं.
हालांकि कई बार जिले के उपायुक्त से कुछ मीडियाकर्मियों ने प्रदीप कुमार के पदस्थान को लेकर सवाल पूछने का प्रयास किया मगर उन्होंने इसके लिए खुद की भूमिका से इंकार करते हुए कहा ये मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है. हालांकि कैमरे से सामना करने से वे बचते नजर आए.
अरवा राजकमल (उपायुक्त)
वैसे प्रदीप कुमार का कार्यकाल जिला में पूरा हो चुका है, फिर भी उनका जिला में जमे रहना कई सवालों को जन्म दे रहा है. दबी जुबान से कई विभागों के अधिकारी भी प्रदीप कुमार के कार्यशैली और रौब से त्रस्त आ चुके हैं, मगर उपायुक्त की चुप्पी और प्रदीप कुमार के रसूख के कारण अधिकारी बस अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं. कमोबेश हर विभाग पर प्रदीप कुमार का सीधा नियंत्रण है. अब तो क्षेत्र में उपायुक्त के नाम पर उगाही के भी चर्चे होने लगे हैं. भले उपायुक्त को इसकी भनक न हो ! मगर ये कैसे संभव हो सकता है, कि गली- गली में चर्चा-ए-आम हो और जिला का मालिक बेखबर हो.

विज्ञापन