Saraikela भले राज्य सरकार ने सरायकेला जिले में ईमानदार उपायुक्त का पदस्थान कर जिले को विकास की गति देने की उम्मीद लगाए बैठी है, मगर जरा सोचिए जिस जिला मुख्यालय से पूरे जिले की गतिविधियां संचालित होती है और ईमानदार उपायुक्त अगर अपने कार्यकाल में पदस्थापित गोपनीय शाखा के अधिकारी की भूमिका से अंजान बने रहें, तो इसे क्या समझा जाए !
हालांकि जिला मुख्यालय से लेकर सभी महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारी एवं कर्मी अब उपायुक्त के गोपनीय शाखा के रवैये से त्रस्त होने लगे हैं. दबी जुबान से चर्चा मुख्यालय से बाहर आने लगी है. मुख्यालय सूत्रों की अगर मानें तो जल्द ही जिला मुख्यालय के गोपनीय शाखा की शिकायत अन्य विभागों के अधिकारी एवं कर्मी उपायुक्त से कर सकते हैं, जरूरत पड़ने पर शिकायत मंत्री से भी करने की अधिकारी योजना बना रहे हैं. जिला गोपनीय शाखा में एक ऐसे पदाधिकारी का पदस्थान हुआ है जो नियम के विरुद्ध हुआ है. वैसे पूर्व के उपायुक्त के समय हुए पदस्थान पर सवाल भी उठे थे, मगर राजनीतिक रसूख और फेवर के अधिकारियों के बूते उक्त अधिकारी का किसी ने विरोध नहीं किया. हद तो ये है कि उक्त अधिकारी के जिम्मी दो- दो महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेवारी सौंपी गई है. वैसे यदि नियमों का हवाला दिया जाए तो बीते दिनों दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी द्वारा रांची समाहरणालय की स्थापना शाखा के निरीक्षण में प्रभार में बने रहने के नियमों का खुलासा किया गया है. जिसके तहत उपायुक्त के गोपनीय शाखा प्रभारी के प्रभार में प्रशासनिक सेवा से आने वाले पदाधिकारी की ही प्रतिनियुक्ति की जानी है, जो एक वरीयतम प्रशासी पदाधिकारी के रूप में होगा. उक्त किसी भी अहर्ता को नहीं पूरा करने के बावजूद लंबे समय से जिला के एक महत्वपूर्ण विभाग के अधिकारी उपायुक्त के गोपनीय शाखा के प्रभारी बने हुए हैं. जिसकी चर्चा जिला कार्यालय के महकमे में भी दबी जुबान में जारी है. वहीं इसे मोस्ट फेवरेबल बताते हुए चहेते की जमात बताया जा रहा है. मुख्यालय सूत्रों की अगर माने तो उक्त अधिकारी द्वारा जिले के उपायुक्त के मूल निर्देशों को विलोपित कर खुद के निर्देश को अधिकारियों पर थोपा जाता है. हर विभाग में सीधा दखल आम हो गयी है. गोपनीय शाखा का धौंस दिखाकर कई विभागों के कर्मचारियों का भी शोषण किया जा रहा है. हालांकि हम जिला मुख्यालय सूत्रों से मिली जानकारी जिले के उपायुक्त तक अपने माध्यम से पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं, अब उपायुक्त इसे इस रूप में लेते हैं ये उनकी मर्जी. वैसे मुख्यालय सूत्र ये भी बताते हैं कि उक्त अधिकारी पर एक बड़े सफेदपोश का हाथ है, जिस कारण वे नियम के विरुद्ध उक्त पद पर लंबे समय से जमे हैं.
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