भक्तों के मन मे श्रद्वा का भाव और हाथ में पूजा की थाली। जुबान में कुछ निकले तो सिर्फ माता शेरावाली का नाम। मां अंबे की भक्ती के सागर में डुबा खरसावां में नवरात्र सप्तमी के दिन पूजा पंडाल का कपाट खुलने के बाद कुछ ऐसा ही नजारा दिखा। सब तरह सिर्फ नारी भक्ति की महिमा दिखी। पुरूष हो या महिला सभी नारी के उस अनन्य रूप के आगे नतमस्तक दिखे। जिसमें सबको जन्म दिया है। सुबह पारंपरिक गाजे बाजे के साथ ढाक की धुन पर पुजारी द्वारा कलश यात्रा निकाली गई। नदी से विधिवत पूजा के बाद कलश को पूजा स्थल तक लाया गया। जंहा कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा सभी पंडालो में शुरू हो गयी। प्रतिमाओं में विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठा की गयी। इसी के साथ शुरू हो गया पंडालो में श्रद्वालुओ के रंेले का आने की सिलसिला। दुनिया की नई गति कहे या झझवाती की नई डगर। आज मां भगवती की आराधना असुरमर्दिनी के रूप मे अधिक हो रही है। मां की पूजा की गई।
देवी के है नौ स्वरूप
देवी के नौ स्वरूपों में पहला स्वरूप मां शैलपुत्री का है। दुसरा ब्रम्हाचारिणी, तीसरा चद्रघंटा, चैथा कुश्मांडा, पाचवां स्कंदमाता, छठवां कात्यायनी, सातवां कालरात्री, आठवां महागौरी व नौवां स्वरूप सिद्विदात्री देवी का है। दुर्गो सप्तशतो में देवी भगवती का कथन है, जो मेरा जिस रूप में ध्यान करता है, मै उसी रूप में उसके साथ होती हूं।
श्रद्वालुओ ने किया सुख शांति की प्रार्थना
खरसावां के तलसाही, बजारसाही, बेहरासाई, आमदा नया बजार, आमदा पुराना बजार, राजखरसावां रेलवे काॅलोनी एवं कुचाई के स्थित दुर्गा मंदिर में भक्तो की भीड उमडी, भक्तो ने पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की और भोग प्रसाद का चढावा चढा कर सुख शांति एवं समूदि के लिए प्रार्थना की।
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