खरसावां के दितसाई स्थित इंद्र मैदान में धूमधाम से इंद्रोत्सव का आयोजन किया गया. श्रद्वालुओं ने पारंपरिक विधि-विधान से अच्छी फसल और सुख-समृद्वि की कामना कर इंद्र छाता उठाया. पुजारी ने बताया कि वर्षा के देवता इंद्र बारिश देते र्है और धरती को हरियाली व धन्य-धान्य से संपन्न कर देते है. इसीलिए उनकी कृपा के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने और अगले बरस अच्छी बारिश देने के लिए उनकी विशेष पूजा पारंपरिक रिवाजों के अनुसार किया जाता है. खरसावां में इंद्र की पूजा सह मेला परंपरा काफी पुरानी है. पूजा-अर्चना के दौरान स्थानीय ग्रामीणों के नृत्य दल ने नाच गान प्रस्तुत किया. मांदर की थाप पर महिला व पुरूषों ने उत्सव मनाया. इंद्रोत्सव देवराज इंद्र की आराधाना का पर्व है. माना जाता है, कि इंद्रोत्सव के आयोजन से भगवान इंद्र प्रसन्न हो क्षेत्र में अच्छी बारिश के साथ- साथ ही सुख-समृद्वि का वरदान देते है. खरसावां के दितसाई में राजा के समय से शुरू हुई इंद्र पूजन की परंपरा आज भी कायम है. रजवाडे के समय से ही यहां पूरी सादगी के साथ इंद्रोत्सव का आयोजन होता है. इंद्र पूजा-अर्चना में खरसावां राजघराने के सदस्यों के साथ- साथ खरसावां के दितसाई, बदिराम, चिलकू, गोढपुर सहित विभिन्न गावों के ग्रामीण व श्रद्धालु शामिल होते है.
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