सरायकेला जिले के चर्चित दिव्यांगता प्रमाण पत्र निर्गत करने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसको लेकर घटना के पांचवें दिन पीड़ित दिव्यांग युवक अभिलाष मिश्रा ने सरायकेला थाने में डॉक्टर प्रदीप कुमार महतो के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है.
दिव्यांग अभिलाष मिश्रा
जिसमें आरआईटी थाना अंतर्गत आदित्यपुर 2 रेलवे कॉलोनी निवासी अभिलाष ने बताया है कि जन्म से ही उसका दाहिना कान नहीं है, और बाएं कान से भी कम सुनाई देता है.
दिव्यांग अभिलाष के बाएं कान की तस्वीर
इसको लेकर बीते 2 सितंबर को सिविल सर्जन द्वारा वर्ष 2015 में निर्गत दिव्यांगता प्रमाण पत्र को नए प्रारूप में निर्गत करने के लिए सरायकेला सदर अस्पताल के संबंधित चिकित्सक डॉ प्रदीप कुमार महतो से संपर्क किया, क्योंकि अभिलाष का चयन एफसीआई में अकाउंटेंट के रूप में हुआ है.
सदर अस्पताल सरायकेला से 2015 में जारी किया गया दिव्यांगता प्रमाण पत्र
उस दिन दिन के 3:05 बजे अपना पंजीकरण करा कर डॉ प्रदीप कुमार से मिलने पर उन्होंने पर्ची पर कुछ जांच लिखा.
2 सितंबर को लिखा गया जांच
2 सितंबर को लिखे गए जांच की रिपोर्ट
डायग्नोस्टिक सेंटर का बिल
पुनः 3 सितंबर को लिखा गया जांच
साथ ही उनके द्वारा बताए गए जांच केंद्र से ही जांच कराकर लाने की बात कही गई. अगले दिन 3 सितंबर को पुनः जांच रिपोर्ट के साथ अभिलाष अस्पताल पहुंचा. जिसे देख डॉ प्रदीप कुमार महतो उत्तेजित हो गए, और बगैर रिपोर्ट देखें जांच केंद्र के संचालक डॉ संजय कुमार मिश्रा पर पैसे लेकर रिपोर्ट बनाने की बात कहते हुए फोन पर धमकी देते हुए कहा, कि तुम्हें जेल भिजवा दूंगा. पुनः कई प्रकार का जांच लिखते हुए उन्होंने अभिलाष को दोबारा रिपोर्ट लाने को कहा. जिस पर अभिलाष द्वारा पूछे जाने पर, कि यदि यह जांच कल ही लिख देते तो एक साथ जांच कराकर आता, और परेशान नहीं होना पड़ता. जिस पर डॉ प्रदीप कुमार महतो ने कहा, कि 30 हजार रिश्वत दो. कोई जांच नहीं कराना होगा. और प्रमाण पत्र भी मिल जाएगा. जिसके बाद अभिलाष निराश होकर एक परिचित मनमोहन सिंह राजपूत से संपर्क किए तो वे उस समय सरायकेला में ही मौजूद थे. जो तत्काल सदर अस्पताल पहुंचकर डॉ प्रदीप कुमार को अपना परिचय देते हुए प्रमाण पत्र निर्गत नहीं करने का कारण जानना चाहा. जिस पर वे उत्तेजित हो गए और कहने लगे कि पैरवी कराते हो तुम्हारा काम नहीं होगा। इतना ही नहीं डॉ प्रदीप अविनाश के साथ धक्का-मुक्की करते हुए मारपीट कर बाहर निकाल दिए. इस दौरान उन्होंने अभिलाष के पैकेट से 1500 भी निकाल लिया. अभिलाष के साथ मारपीट और धक्का-मुक्की होता देख मनमोहन सिंह राजपूत बीच-बचाव करने का प्रयास किए तो उनके साथ भी डॉक्टर प्रदीप कुमार महतो ने बदसलूकी करते हुए चेंबर से बाहर निकल जाने को कहा. अभिलाष ने अपनी शिकायत में कहा है, कि उसके दिव्यांगता की स्थिति को देखते हुए डॉक्टर प्रदीप महतो द्वारा किया गया दुर्व्यवहार और मारपीट कर पैसे छीनने का मामला दर्ज कर करवाया है. अभिलाष ने अपनी शिकायत पत्र के साथ वर्ष 2015 में निर्गत किए गए विकलांगता प्रमाण पत्र, 2 सितंबर के पंजीकरण की मूल प्रति और डिसएबल स्पीच एंड हियरिंग केयर जमशेदपुर के रिपोर्ट की छाया प्रति भी संलग्न की है. हालांकि डॉक्टर से इस संबंध में उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया मगर उनका मोबाईल स्विच ऑफ मिला. फिलहाल पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है.
वैसे चंद सवालों का जवाब india news viral bihar/ jharkhand डॉ प्रदीप कुमार महतो से जानना चाहता है.
डॉक्टर प्रदीप से हमारा सवाल
1– आपके पास जब अभिलाष मिश्रा पहुंचा आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी ?
2– आपने जांच लिखा
3– अगले दिन अपने डायग्नोस्टिक सेंटर पर पैसे लेकर रिपोर्ट बनाने का आरोप लगाया सही है ?
4– क्या डायग्नोस्टिक सेंटर को बंद करा देना चाहिए ?
5– पुनः अगले दिन आपने पांच- जांच लिख दिए. पहले दिन ही क्यों नहीं लिखा ?
6– क्या सदर अस्पताल द्वारा 2015 में जारी दिव्यांगता प्रमाण पत्र फर्जी था ?
7– आपने अपनी शिकायत में अभिलाष एवं अन्य के खिलाफ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया. क्या अभिलाष के साथ मौजूद अन्य लोगों ने आपको अपना परिचय नहीं दिया था ?
8– क्या सिविल सर्जन ने आपको फोन किया था ?
9– आपने FIR दर्ज कराया उसके बाद फिर सोमवार (7 सितंबर) को अभिलाष को बुलाकर उसका आधार कार्ड क्यों मांगा ?
10– आपने पहले दिन FIR करवाया जिसमें आपने अभिलाष का नाम गलत लिखा. जब आपको मरीज का नाम भी नहीं पता था, फिर आपने कैसे पूरी रिपोर्ट को झूठा साबित कर दिया ?
11– आपके साथ किस तरह की बदसलूकी हुई ? कौन कौन मौजूद थे ? क्या आपने FIR में उनका नाम दिया है ?
12– जब आप बतौर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी जिले में पदस्थापित हैं, तो आपके विभाग से सम्बंधित प्रमाण पत्र आखिर निर्गत कौन करेगा ?
हालांकि इस पूरे प्रकरण पर हमारी पड़ताल जारी है. जल्द ही इस पूरे प्रकरण के असली खिलाड़ी का खुलासा करेंगे. क्योंकि मामला एक दिव्यांग नौजवान के भविष्य से जुड़ा है. एक बूढ़ी विधवा मां के उम्मीद से जुड़ा है. और सिस्टम को दीमक की तरह चाटने वाले भ्रष्ट अधिकारियों को बेनकाब करने से जुड़ा है.