झारखंड आंदोलन के अग्रणी नायक रहे निर्मल महतो की आज 34 वें शहादत दिवस है. इस मौके पर राज्य भर में निर्मल दा को श्रद्धांजलि अर्पित किया जा रहा है. आज ही के दिन 1987 को जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित चमरिया गेस्ट हाउस के समीप निर्मल दा को गोलियों से छलनी कर दिया गया था. जिसके बाद झारखंड आंदोलन की दशा और दिशा बदल गई थी. अंततः 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य की घोषणा हुई और निर्मल दा का सपना साकार हो गया. इधर सरायकेला- खरसावां जिले के सभी प्रखंडों में निर्मल दा के सहादत दिवस को सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाया गया. जहां सभी दलों के नेताओं ने उनकी प्रतिमा पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके सपनों का झारखंड बनाने का संकल्प लिया.
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