कांड्रा निवासी प्रख्यात शिक्षाविद, शायर एवं मशहूर रचनाकार फतेह नारायण सक्सेना का शुक्रवार को निधन हो गया. वे 85 वर्ष के थे और लंबे अरसे से बीमार चल रहे थे. श्री सक्सेना की क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान थी. वे उत्तर प्रदेश संघ सहित कई सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े थे. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगाने में इनकी अग्रणी भूमिका थी. कांड्रा स्थित हरिश्चंद्र विद्या मंदिर के कई दशकों तक वे प्राचार्य रहे और वर्तमान में एक अंग्रेजी माध्यम के प्रारंभिक स्कूल की स्थापना कर ग्रामीण क्षेत्रों में भी बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा ग्रहण करने का अवसर प्रदान कर रहे थे.
वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे तथा हिंदी, अंग्रेजी के साथ-साथ उर्दू के भी विद्वान थे. उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे एफएन सक्सेना ने कई पुस्तकों की भी रचना की, जिनकी काफी सराहना हुई. ‘चमन का फूल ‘ और 2015 में प्रकाशित ‘सफरनामा जिंदगी का ‘ शीर्षक से प्रकाशित उनकी पुस्तक आज भी हजारों पाठकों की पसंद है. कांड्रा और आसपास के क्षेत्रों में उन्हें लोग ‘ शिक्षा सम्राट ‘ की उपाधि देते थे. उनके कुशल मार्गदर्शन में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों में से आज कई लोग ऊंचे प्रशासनिक पदों पर आसीन हैं.
इसके अलावा उनके पढ़ाए कई छात्र आज अमेरिका, यूरोप के कई देशों में ऊंचे पदों पर आसीन होकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. उनके निधन की खबर मिलते ही पूरे क्षेत्र में शोक का माहौल व्याप्त हो गया. उनके पुत्र राजीव चित्रे जो टाटा स्टील में प्रबंधक स्तर के पद पर कार्यरत हैं के आवास पर श्री सक्सेना ने अपनी अंतिम सांसें ली. खबर मिलते ही पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए लोगों की काफी भीड़ उमड़ पड़ी और सभी लोगों ने एक स्वर से कहा कि साहित्य के एक बड़े युग का अंत हो गया. ऐसी प्रतिभा विरले ही किसी एक शख्स में देखने को मिलती है. इनका अंतिम संस्कार शनिवार सुबह 9:00बजे पार्वती घाट पर किया जायेगा.
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