Saraikela Big Breaking: इलाज में लापरवाही बरतने और मरीज के परिजनों के साथ बदसलूकी करते हुए उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने एवं धन दोहन मामले में सरायकेला- खरसावां जिला के आदित्यपुर स्थित 111 सेव लाइफ अस्पताल के संचालक डॉ ओपी आनंद की मुश्किलें बढ़ गई है.
डॉ आनंद को आईपीसी की धारा 120B, 420, 304, 386, 354C और 34 के दोषी मानते हुए जांच पदाधिकारी ने न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. वैसे इस मामले में दो अन्य अभियुक्त डॉक्टर रक्षित आनंद और डॉक्टर ओपी आनंद की पत्नी सरिता आनंद अब तक फरार चल रही है. पुलिस उनकी गिरफ्तारी को लेकर लगातार छापेमारी कर रही है. वही डॉक्टर ओपी आनंद बीते 23 मई को ही न्यायिक हिरासत में भेजे जा चुके हैं. गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दूसरे लहर के दौरान 111 सेव लाइफ अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीजों के इलाज के नाम पर जबरन धन उगाही और मरीज के परिजनों के साथ बदसलूकी करने का आरोप लगा था. जिसके बाद जिला प्रशासन और पुलिसिया अनुसंधान में डॉ ओपी आनंद, डॉ रक्षित आनंद एवं डॉक्टर ओपी आनंद की पत्नी सरिता आनंद पर लगे आरोप सही पाए गए हैं. विदित रहे कि आदित्यपुर 2 स्थित 111 सेव लाइफ अस्पताल के संचालक डॉक्टर ओपी आनंद उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के मौखिक निर्देश पर प्रभारी सिविल सर्जन के साथ 2 सदस्यीय टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया था. जहां जांच टीम ने अस्पताल में कई खामियां पाई थी. उसके बाद डॉक्टर ओपी आनंद ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ अमर्यादित भाषाओं का प्रयोग किया था. हालांकि बाद में डॉक्टर आनंद ने सार्वजनिक रूप से अपने कृत्य पर स्वास्थ्य मंत्री से माफी मांग ली थी. उसके बाद आदित्यपुर रैन बसेरा के एक कोरोना संक्रमित मरीज सुनील कुमार झा की मौत मामले में मृतक की बेटी ज्योत्सना झा एवं निधि झा ने अस्पताल के प्रबंधक डॉ ओपी आनंद, उनकी पत्नी सरिता आनंद और अस्पताल के एक अन्य जूनियर डॉक्टर रक्षित आनंद व अस्पताल के कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए डॉक्टर ओपी आनंद, उनकी पत्नी सरिता आनंद एवं डॉक्टर रक्षित आनंद के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाई किए जाने की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. इस संबंध में मृतक की दोनों पुत्रियों ने जिला प्रशासन के नाम एक चिट्ठी लिखा था. जिसमें दोनों ने अपने कोरोना वायरस से संक्रमित पिता के इलाज के दौरान अस्पताल प्रबंधन पर घोर लापरवाही और अमर्यादित भाषाओं का प्रयोग एवं जूनियर डॉक्टर रक्षित आनंद पर अश्लील हरकत करने का आरोप लगाया था. इतना ही नहीं इलाज के एवज में अस्पताल प्रबंधन पर महज 5 दिनों के भीतर 1 लाख 65 हजार रुपए वसूलने का भी आरोप लगाया था. मृतक के दोनों बेटियों के अनुसार हर दिन का अस्पताल प्रबंधन द्वारा 35 हजार रुपए चार्ज किए गए फिर भी उनके पिता के ईलाज में लापरवाही बरती गई. उनके अनुसार अस्पताल में किसी भी चिकित्सक या स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा पीपीई किट का प्रयोग नहीं किया जाता था. ना ही संक्रमित मरीजों की मौत के बाद बेड को सैनिटाइज किया जाता था. शिकायत में कहा गया था कि ना तो अस्पताल में एक्स- रे मशीन है, ना ही सीटी स्कैन की सुविधा है. मरीजों के परिजनों को गुमराह कर हर दिन पैसे ऐंठने का हथकंडा अस्पताल में अपनाने का आरोप लगाया था. मरीज के परिजनों के सवाल का कोई भी कर्मचारी या डॉक्टर द्वारा सटीक जवाब नहीं देने और मरीज की देखभाल के लिए नियुक्त स्वास्थ्य कर्मी एवं सफाई कर्मियों पर भी झल्ला कर बात करने के साथ सुविधा के नाम पर महज खानापूर्ति करने का आरोप लगाया था. मृतक की बड़ी बेटी ज्योत्सना झा ने बताया था, कि जूनियर डॉक्टर रक्षित आनंद द्वारा उनकी छोटी बहन निधि झा के साथ बदतमीजी भी की गई. जब वह दर्द से तड़प रहे अपने पिता के संबंध में डॉक्टर रक्षित को जानकारी देने उनके केबिन में पहुंची तो डॉक्टर रक्षित ने उसे मास्क हटाकर चेहरा दिखाने की बात कही, जबकि कोविड-19 के प्रोटोकोल के तहत बगैर मास्क के नहीं रहना है. खासकर अस्पताल जैसे संवेदनशील जगहों पर तो बिल्कुल ही नहीं. ज्योत्सना झा के अनुसार जब वह बीते 26 अप्रैल को अपने पिता को भर्ती कराने अस्पताल पहुंची थी, उनके पिता का ऑक्सीजन सैचुरेशन सामान्य से थोड़ा कम था. पहले अस्पताल प्रबंधन द्वारा 70 हजार की डिमांड की गई. तत्काल उनके द्वारा सीधे अस्पताल के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिए गए. उसके बाद ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड उपलब्ध कराया गया. 28 अप्रैल को वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा गया. फिर डॉक्टर आनंद ने कहा, कि अब तुम्हारे पापा ठीक हो रहे हैं. फिर अचानक बगैर ट्रेंड डॉक्टर के 29 अप्रैल को उनका वेंटीलेटर हटाया गया. जिससे उनकी स्थिति बिगड़ने लगी. उसके बाद पुनः वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया, लेकिन उनके पापा को नहीं बचाया जा सका 30 अप्रैल को उनकी मौत हो गई. इससे पहले अस्पताल द्वारा 1 लाख 60 हजार रुपए जमा करा लिया गया. उन्होंने बताया था, कि सारे पैसे अस्पताल के बैंक अकाउंट में जमा कराए गए हैं. 5 हजार नगद दिए गए हैं. अस्पताल प्रबंधन की ओर से उन्हें बिल मुहैया नहीं कराया गया. उन्होंने अस्पताल के प्रबंधक डॉ ओपी आनंद की पत्नी सरिता आनंद पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने बताया कि वे हर वक्त झल्लाकर बात करती थी. किसी भी जानकारी के लिए संपर्क करने पर उटपटांग भाषा का प्रयोग करती थी. दोनों बहनों ने पूरे अस्पताल के कर्मचारियों पर वैश्विक महामारी के काल में मरीजों के ईलाज के नाम पर आर्थिक दोहन करने का आरोप लगाया था. साथ ही प्रबंधक सहित सभी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की थी. इसी तरह का आरोप कदमा की एक एयर होस्टेस ने अपनी मां के इलाज को लेकर अस्पताल प्रबंधन पर लगाया था. जहां जांच में दोनों ही मामले सही पाए गए हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि डॉक्टर ओपी आनंद की रिहाई अब आसान नहीं होगी. वही मामले के दो अन्य आरोपी डॉक्टर रक्षित आनंद एवं डॉक्टर ओपी आनंद की पत्नी सरिता आनंद की गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है. हालांकि इस पूरे प्रकरण में राजनीति भी खूब हुई. फिलहाल डॉक्टर ओपी आनंद के खिलाफ जो साक्ष्य पेश किए गए हैं, उससे उन पर कार्रवाई होना तय माना जा रहा है.
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